भारत को साधु, संतों की भूमि कहा जाता है. ये वैदिक भूमि है जहां एक से बढकर एक ऋषि, महर्षि दिव्य आत्मा ये प्रकट हुए है. विश्व का प्रथम सनातन हिंदू धर्म का भारत देश प्रणेता है.
भगवान स्वयं नव बार इस भूमि पर प्रकट हुए है. हमारे ऋषि मुनियों की तपस्चर्या से यह भूमि पल्लवित हुई है.
ऐसे ही एक तपस्वी बाबा नीम करोली जी की कहानी आप प्रबुद्ध मित्रो तक पहुचानी है.
बाबा करोली को उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं. वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे. उनका समग्र जीवन चमत्कारिक किस्से से भरा है.
बाबाका नाम नीम करोली कैसे पडा इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है. एक बार बाबा फर्स्ट क्लास के डिब्बे में सफर कर रहे थे. टिकट चेकर आया, पर बाबा के पास टिकट नहीं था. अतः बाबा को अगले स्टेशन “नीम करोली” में ट्रेन से उतार दिया गया.
बाबा थोड़ी दूरी पर चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए. गार्ड ने ट्रेन को चलाने की हरी झंडी दिखाई, परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से नहीं हिली. बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो किसीने बाबा को ट्रैन में बिठाने और बाबा से माफी मांगने को कहा.
बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चालू हो गई. तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया. वैसे नीम करोली बाबा का नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म सन 1900 के आसपास हुआ था. उनको 17 वर्ष की आयु में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था. बाबा का 11 वर्ष की उम्र में विवाह हो गया था.
बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं. ज्येष्ठ पुत्र अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे. हाल ही में उनका निधन हो गया है.
सन 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया था और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे. उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे. गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से भक्त पुकारते थे.
बाबा नीम करोली सन 1961में उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां एक आश्रम बनाने का विचार किया था. बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की और बाबाने सन 1964 में आश्रम की विधिवत स्थापना की थी.
नीम करोली बाबा की समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है. यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता. यहां बाबा का समाधि स्थल है. यहां पर बाबा नीम करौली की एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है. यहां हनुमानजी की मूर्ति भी है.
बाबा के चमत्कार अगिनत है. बाबा नीम करोली के धाम ” कैंची धाम” में अक्सर भंडारा चलता था. जो आज भी चलता है. एक बार भंडारे के लिए घी की कमी हो गई. ऐसे में सेवक परेशान हो गए. सभी बाबा के पास पहुंचे और उन्हें भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई. बाबा ने भोजन में घी के बजाय शिप्रा का जल डालने की बात कही.
*** शिप्रा नदी घी बन गई :
बाबा के कहा शिप्रा का जल क्या घी से कम है. बाबा के सेवक भी उनका आदेश मानकर कैंची धाम के बगल में बह रही शिप्रा से जल ले आए और उसे भोजन में इस्तेमाल किया. लेकिन यह जल घी में परिवर्तित हो गया.
नीम करोली बाबाके भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है. कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करने के बाद उनका जीवन बदल गया था.
कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था. हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य देव मानते थे. बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे. मान्यता है कि बाबा नीब करोली को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं.
नीम करोली बाबा भारत में ही नही विदेशों में भी संत के रूप में माने जाते है, उनके भक्त उन्हे दिव्य पुरुष मानते है. एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स और भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेटर विराट कोहली से लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा तक नीम करोली बाबा की भक्त है. और बाबा श्री हनुमान जी के भक्त है.
धार्मिक मान्यता है कि श्री हनुमान चालीसा का हर एक शब्द इतना पावन प्रभावशाली है कि अगर पूरे मनोयोग से इसे 7 बार, 11 बार या फिर 108 बार पढ़ा जाए तो जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है और हर एक काम सफल होने लगता है.
हर साल 15 जून के दिन देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां पर देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त आते हैं. इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. देश-विदेश से हजारों भक्त यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं. बाबा के भक्तों ने यहां पर श्री हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया है. यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर हैं. इनमें हनुमानजी का भी एक मंदिर है.
रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर मिरेकल ऑफ़ लव नामक एक किताब लिखी इसी में बुलेटप्रूफ कंबल नाम से एक घटना का जिक्र है. बाबा हमेशा कंबल ही पहनते थे. आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें भाव पूर्वक कंबल भेंट करते हैं.
*** बाबा ने बारिस रुकवा दी :
हनुमानगढ़ी मन्दिर के निर्माण कार्य के दौरान एक दिन भारी बारिश हो रही थी. बारिश बहुत तेज थी और रूक नहीं रही थी. तब नीम करोली बाबा बाहर आए और आकाश की तरफ देखते हुए बोले, “ पवन तनय बल पवन समाना”. बस इतना कहते ही तेज हवाएं बादलों को दूर उड़ा ले गयी और बारिश थम गयी.
*** गुफा गायब हो गई :
इलाहाबाद के एक भक्त बताते हैं , कि एक बार वह रात में वे कहीं जा रहे थे. और वे अपना रास्ता भटक गए थे. अचानक उनको अंधेरे में दूर एक गुफा दिखाई दी, जहाँ उजाला दिख रहा था. जब वे गुफा के पास गए तो ,उन्होंने देखा गुफा के अंदर महाराज बैठे थे.
महाराज जी ने उन्हें भोजन कराया, और कहा कि, “ तू रास्ता भटक गया है, तुझे उस तरफ जाना है.” वे महाराज जी के कहे अनुसार 15 से 20 कदम आगे चले तो उनको जिस गांव में जाना था, वो मिल गया. जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो, वहाँ न तो गुफा थी और न ही महाराज जी थे. सब बाबा की लीला थी.
*** पूजन के लिए आयी माताए :
एक बार भूमियाधार में कुछ माताये बाबा के पूजन लिए आई थीं, लेकिन उस दिन बाबा आश्रम में नहीं थे. बाबा द्वार पर बैठे थे. तब सभी माताएं बाबा के पूजन और दर्शन के लिए वहीं जाने का विचार करने लगी. लेकिन बाबा ने दूर से ही उन्हें हाथ हिलाकर लौट जाने का संकेत दिया.
बाबा जी के पास गुरूदत शर्मा भी बैठे थे. महिलाओं को निराश देखकर उन्होंने ने बाबा को दर्शन देने की प्रार्थना की. उनके कहने पर बाबा मान गए और उन्होंने माताओं को अनुमति दे दी और उन्हें जल्दी पूजा कर के जाने को कहा.
महिलाएं पूजा करने लगी लेकिन आरती के लिये वे माचिस लाना भूल गई थी. माताओं ने बाबा जी के पास बैठे गुरुदत्त शर्मा को समस्या बताई, लेकिन वे उनकी सहायता करने में असमर्थ थे. तब बाबा ने रूई से सनी बत्तियों को हाथ में लिया और ” ठुलिमां ठुलिमां ” कहते हुये हाथ घुमाने लगे और एकदम से बत्तियां जल उठी. सभी यह दृश्य देखकर हैरान रह गए.
नीम करोली बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृंदावन की जमीन को चुनी थी.
डायबिटिक कोमा में चले जाने के बाद 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में नीम करोली बाबा की मृत्यु हो गई थी. बाद में आश्रम में उनके लिए भक्तों ने एक मंदिर बनाया. नीम करोली बाबा की प्रतिमा को 15 जून, 1976 को प्रतिष्ठित किया गया था. बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी लोग आते हैं. आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है.
नीम करोली बाबा को चमत्कारिक बाबा कहा जाता है. उन्हें 20वीं सदी का आध्यात्मिक संत, महान गुरु और दिव्य आत्मा माना जाता है. बाबा के भक्तजन बाबा को हनुमानजी का अवतार मानते हैं. बाबा ने अपने जीवन में हनुमान जी के 108 मंदिर बनवाए थे. कहते है, श्री पवन पुत्र हनुमान जी उनके गुरु है. नीम करोली बाबा का पूज्य समाधि मन्दिर वृन्दावन मे स्थित है.