” मुंडेश्वरी देवी ” मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो भारत के बिहार राज्य में सोन नदी के पास में कैमूर पठार की मुंडेश्वरी पहाड़ियों पर 608 फीट की ऊंचाई पर रामगढ़ नामक गांव में स्थित विध्यमान है. यह मंदिर देवी माता दुर्गा जी को समर्पित है. इसे भारत के सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक माना जाता है. इसे सन 1915 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक के रूपमें घोषित किया गया है.
सर्वसाधरण लोगोंकी मान्यता है कि, बली से माता प्रसन्न होती है. मगर यहां रक्त बहने से माता रूठ जाती हैं.
इस स्थान पर करीब 19 सौ सालों से नित्य पूजा-पाठ किया जा रहा है.
यह मुंडेश्वरी माता मंदिर को बिहार के सर्वाधिक प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं और उन्हीं में से एक कहानी यह है कि जब चण्ड और मुंड नाम के दो राक्षस, लोगों के बीच बेहद उत्पात मचा रहे थे, तब मां “मुंडेश्वरी” ने प्रकट होकर उनका वध किया था.
कथा के अनुसार माता ने “चण्ड” नामक राक्षस का वध तो कर दिया. पर “मुंड” नामका राक्षस पहाड़ी पर आकर छुप गया. उसी को ढूंढते माता देवी इस पहाड़ी पर आईं और यहीं आकर उन्होंने मुंड नाम के राक्षस का भी वध किया. इसीलिए इस मंदिर को ” मुंडेश्वरी माता मंदिर ” भी कहा जाता है. यहा पर रहने वाले स्थानीय निवासियों के अनुसार इस मंदिर में बकरे की बलि देने की परंपरा शुरू से रही है, लेकिन यहां पर बड़ी अनोखे तरीके से बलि चढ़ाई जाती है जिसमें एक बूंद भी रक्त नहीं बहता है.
बताया जाता हैं कि जब किसी की मन्नत पूरी हो जाती है तो वह प्रसाद के रूप में बकरे को माता जी की मूर्ति के सामने लाया जाता है. मंदिर के पुजारी माता के चरणों से चावल उठाकर बकरे के ऊपर डालते हैं जिसके बाद बकरा बेहोश हो जाता है. थोड़ी देर के बाद एक बार फिर बकरे के ऊपर चावल डाला जाता है. जिसके बाद बकरा होश में आ जाता है. तब उसे आजाद करके बलि स्वीकार कर ली जाती है. बलि देने की इस अनोखी परंपरा के जरिए यह संदेश दिया जाता है कि माता रक्त की प्यासी नहीं है और जीवों पर दया करना माता का स्वभाव है.
मुंडेश्वरी मंदिर अष्टकोणीय पत्थर से निर्मित है. यह मंदिर वास्तुकला की नागर शैली का नमूना है. मंदिर का शिखर या टॉवर नष्ट हो गया है. मगर नवीनीकरण कार्य के हिस्से के रूप में एक छत का निर्माण किया गया है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर, द्वारपालों, गंगा, यमुना और कई अन्य मूर्तियों की नक्काशीदार छवियों के साथ चौखट दिखाई देती है. मंदिर के गर्भगृह में मुख्य देवता देवी मुंडेश्वरी और चार मुख वाले शिव लिंग हैं.
असामान्य डिजाइन के दो पत्थर के बर्तन भी हैं. भले ही गर्भगृह के केंद्र में शिव लिंग स्थापित है, मुख्य पीठासीन देवता देवी मुंडेश्वरी हैं, जो एक आले के अंदर विराजित हैं, जिसे महिषासुर मर्दिनी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें भैंस की सवारी करने वाले दस हाथों वाले प्रतीक दिखाई देते हैं. मंदिर में गणेश , सूर्य और विष्णु जैसे अन्य लोकप्रिय देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं. इस पत्थर की संरचना का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है, और कई पत्थर के टुकड़े मंदिर के चारों ओर बिखरे हुए दिखाई देते हैं. एएसआई के अधिकार क्षेत्र में , यह काफी समय से पुरातात्विक अध्ययन का विषय रहा है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देश के तहत इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया है.मंदिर तक पहुंच में सुधार के लिए बिहार सरकार ने 2 करोड़ रुपये आवंटित किए है.
इस मंदिर की विशेषता है कि आप माता की मूर्ति पर अधिक देर तक दृष्टि टिकाए नहीं रख सकते हैं. इसी मंदिर परिसर में एक पंचमुखी शिवलिंग भी है जो दिन के तीन पहर रंग बदल लेता है.
पहाड़ी पर बिखरे हुए कई पत्थर और स्तंभ हैं जिनको देखकर ऐसा लगता है कि उन पर श्री यंत्र सिद्ध यंत्र मंत्र उत्कीर्ण हैं. जैसे ही आप मंदिर के मुख्य द्वार पर ही पहुंचेंगे वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय लगने लगता है.
सीढ़ियों के सहारे मंदिर के दरवाजे पर पहुंचने के साथ ही पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित मां मुंडेश्वरी भवानी मंदिर की नक्काशी अपने आप में मंदिर की अलग पहचान दिलाती है. मंदिर कितनी प्राचीन है और मंदिर में रखी मूर्ति कब और किस तरह के पत्थर से बनी है, ये सब बातें मंदिर में प्रवेश करने के पहले एक शिलालेख में अंकित है. इसपर साफ-साफ लिखा है की मंदिर में रखी मूर्तियां उत्तर गुप्त कालीन हैं और यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है.
यहा तक पहुंचने के लिए पटना , गया या वाराणसी के रास्ते सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. निकटतम रेलवे स्टेशन मोहनिया – भभुआ रोड रेलवे स्टेशन पर है जहां से सड़क मार्ग से यह मंदिर 22 किमी की दूरी पर है.
लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा , वाराणसी निकटतम हवाई अड्डा है, जो 102 किमी की दूरी पर स्थित है. एयर इंडिया, स्पाइसजेट सहित एयर इंडिया, थाई एयरवेज इंटरनेशनल, कोरियाई एयर और नाज़ एयरलाइंस जैसे अंतर्राष्ट्रीय वाहक यहाँ से संचालित होते हैं. यहां से दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के लिए दैनिक उड़ानें उपलब्ध हैं.