शिर्डी, संत साईबाबा के कारण तीर्थ बन चूका हैं. शिरडी का साईंबाबा मंदिर भारत के सबसे अधिक प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिरों में से एक है , जो महाराष्ट्र के शिरडी के छोटे से शहर में विद्यमान है. जिन्होंने अच्छाई और अच्छे जीवन जीने के तरीके का उपदेश अपने भक्तो को दिया.
साईं बाबा का असली नाम अज्ञात है. बाबा स्वयं कहा करते थे “हम तो साई है गुसाई है” जब वे शिरडी लौटे तो मंदिर के पुजारी महालसापति ने उन्हें साईं नामसे स्वागत किया था. साईं शब्द मालिक को संदर्भित करता है, लेकिन इसका अर्थ सर्वशक्तीमान भगवान भी हो सकता है. कई भारतीय और मध्य पूर्वी भाषाओं में बाबा शब्द एक सम्मानसूचक शब्द है जिसका अर्थ दादा, पिता, बूढ़ा व्यक्ति या साहब है. इस प्रकार साईं बाबा का अर्थ है ” मालिक “.
मंदिर का निर्माण सन 1922 में हुआ था और तब से यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है, जो दुनिया भर से लाखों आगंतुकोंको आकर्षित करता है.
आज से साईं बाबा को समाधि लिए पूरे 102 साल पुरे हो गए हैं. 15 अक्टूबर 1918 को दशहरे के दिन साईं बाबा ने द्वारकामाई में समाधि ली थी.
संत साईंबाबा अपने जीवन काल में शिरडी में रहते थे. संत श्री साईंबाबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा पर उनकी शिक्षाओं के लिए सभी धर्मों के लोग उनका अनुसरण करते हैं.
आज शिरडी का साईंबाबा मंदिर भारत के सबसे धनी मंदिरों में से एक बन चूका है. जिसकी कुल वार्षिक आय 350 करोड़ रुपये से अधिक है. पिछले महीने मुझे शिर्डी साईं जानेका सौभाग्य मिला. श्री साईबाबा संस्थान शिर्डी की व्यवस्था काबिले तारीफ हैं.
अब तो वरिष्ठ नागरिकोंके लिए गेट नंबर : 2 से डायरेक्ट प्रवेश हैं. आप
यदि वरिष्ठ नागरिक हो तो आधा घंटे के भीतर दर्शन लेकर बाहर आ सकते हैं.
आपके साथ एक व्यक्ति साथ मे लें जा सकते हैं. दर्शन को आने वाले हर एक भाविक भक्तो को बूंदी का प्रसाद निशुल्क वितरण किया जाता हैं. यदि भक्त चाहे तो 20 रुपये का दो लडडू के हिसाब से अधिक प्रसाद खरीद कर लें सकते हैं.
श्री साईबाबा प्रसादालय में सभी आगंतुकों को ‘प्रसाद’ या पवित्र भोजन वितरित करने की एक अनूठी परंपरा है, जिसे साईंबाबा का आशीर्वाद माना जाता है. आने वाले तमाम भक्तो को फ्री में भोजन की सुविधा हैं. आप V.I.P. भोजन करना चाहो तो आपको 50 रुपये की कूपन लेना होगा. श्री मंदिर से भोजनालय की दुरी करीब एक कि. मी. हैं. जहां आप पैदल यां रिक्शा से जा सकते हो.
पवित्र अग्नि :
मंदिर परिसर में ‘धूनी’ नामक एक पवित्र अग्नि है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इसे स्वयं श्री साईंबाबा ने प्रकट की थी. और यह 100 वर्षों से लगातार जल रही है.शिरडी शहर में कई अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं, जिनमें द्वारकामाई मस्जिद भी शामिल है, जहां कहा जाता है कि साईंबाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया था.
संग्रहालय :
मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी है जिसमें साईंबाबा के जीवन और शिक्षाओं से संबंधित कई लेख रखे हुए हैं. शिरडी साईंबाबा मंदिर में दुनिया भर से पर्यटक आते हैं, जिनमें मशहूर VIP हस्तियां और राजनीतिक नेता शामिल हैं, जो अपने जीवन में उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए आते हैं.
समाधि मंदिर :
मंदिर का मुख्य आकर्षण समाधि मंदिर है, जिसमें साईं बाबा के पवित्र अवशेष रखे हुए हैं. श्री साईं बाबा की संगमरमर की मूर्ति की एक झलक पाने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भक्त लंबी कतारों में खड़े होते हैं. साईं बाबा की समाधि के दर्शन वास्तव में एक दिव्य अहसास होता हैं.
द्वारकामाई :
द्वारकामाई एक छोटी मस्जिद है जहाँ साईं बाबा ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिताया था, और इसका आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है. भक्तगण धूनी (पवित्र अग्नि) को अपना सम्मान दे सकते हैं जिसे साईं बाबा लगातार जलाते रहते थे और आशीर्वाद प्राप्त करते थे. द्वारकामाई में वह स्थान भी है जहाँ साईं बाबा बैठते थे और भक्तों से बातचीत करते थे, जिसे ‘द्वारकामाई मस्जिद सीट’ के नाम से जाना जाता है.
चावडी :
चावड़ी साईं बाबा से जुड़ा एक और प्रमुख स्थान है. यह एक छोटी सी इमारत है जहाँ साईं बाबा अपने जीवन के अंतिम वर्षों में हर दूसरी रात सोते थे. हर गुरुवार को द्वारकामाई से चावड़ी तक जुलूस बड़ी श्रद्धा के साथ निकाला जाता है. चावड़ी जाकर साईं बाबा की उपस्थिति को नमन करना शुभ माना जाता है.
विशाल प्रसादालय (भोजन कक्ष) :
मंदिर के नजदीक विशाल प्रसादालय (भोजन कक्ष) है, जहाँ सभी भक्तों को निःशुल्क भोजन परोसा जाता है. यहाँ हर दिन हज़ारों लोगों को भोजन कराया जाता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो. माना जाता है कि प्रसादम (पवित्र भोजन) खाना एक पवित्र अनुभव है और यह साईं बाबा की समानता और निस्वार्थ सेवा की शिक्षाओं की अभिव्यक्ति है.
साईं भक्त निवास :
शिरडी में साईं भक्त निवास, भक्तों के ठहरने के लिए बनाया गया आश्रम है. यहां कई श्रेणियों के कमरे हैं. साईं भक्त निवास में रहने के लिए, आप इन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं. पार्किंग की सुविधा, कैंटीन, 24 घंटे पानी और बिजली की आपूर्ति, सौर गर्म पानी प्रणाली, मंदिर परिसर से आने व जाने के लिए निःशुल्क बस सेवा.
साईं भक्त निवास मंदिर परिसर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर है.यहां कई श्रेणियों के 542 कमरे हैं. शिरडी में रहने के लिए, साईं भवन भी एक अच्छा विकल्प है.
साईबाबा के माता-पिता और मूल के बारे आज तक किसीको पता नहीं.
कथित तौर पर बाबा भारत के महाराष्ट्र के अहमदनगर ( अब अहिल्या नगर ) जिले के शिरडी गांव में पहुंचे, जब वह लगभग सोलह वर्ष के थे. हालाँकि इस घटना की तारीख के बारे में जीवनीकारों के बीच कोई सहमति नहीं है, लेकिन आम तौर पर यह स्वीकार किया जाता है कि बाबा तीन साल तक शिरडी में रहे, एक साल के लिए गायब हो गए और फिर 1858 के आसपास स्थायी रूप से वापस लौट आए.
यह १८३८ के संभावित जन्म वर्ष का सुझाव देता है. उन्होंने एक तपस्वी जीवन व्यतीत किया, एक नीम के पेड़ के नीचे निश्चल बैठे और एक आसन पर बैठकर ध्यान करते रहे. साई सच्चरित्र ग्रामीणों की प्रतिक्रिया का वर्णन करता है.
चार आरतीयों का आयोजन :
बाबाके जीवनकाल से चली आ रही रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हुए, समाधि मंदिर के अंदर प्रतिदिन ( दिन के समय के अनुसार ) चार आरती आयोजित की जाती हैं.
काकड़ आरती : (सुबह की आरती)
05.15 बजे
मध्याह्न आरती : (दोपहर की आरती)
12.00 बजे
धूप आरती : (शाम की आरती)
06.30 बजे
शेज आरती : (रात्रि आरती)
10.00 बजे
साईं बाबा की पालकी यात्रा हर गुरुवार को समाधि मंदिर से द्वारकामाई और चावड़ी तक फिर वापस साईं बाबा मंदिर तक निकाली जाती है. जाति, पंथ और धर्म के बावजूद, सभी धर्मों के भक्तों का समाधि मंदिर में दर्शन करने और प्रसादालय में मुफ्त भोजन करने के लिए स्वागत किया जाता है.
भारत में साईबाबा के मंदिर :
भारत में शिरडी साईं बाबा के कई मंदिर हैं. मंदिर भारत के बाहर के देशों में भी स्थित हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, त्रिनिदाद और न्यूज़ीलैंड, टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम, फिजी, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, केन्या, क्यूबा, कनाडा, पाकिस्तान, बेनिन,ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान शामिल हैं.
शिरडी की जिस मस्जिद में साईं बाबा रहते थे, वहां मुंबई के कलाकार शमा राव जयकर द्वारा बनाया गया उनका आदमकद चित्र है. शिरडी के साईं बाबा के कई स्मारक और मूर्तियाँ हैं, जिन्हें धार्मिक समारोह के लिए डिज़ाइन किया गया है. इनमें से एक, बालाजी वसंत तालीम नामक मूर्तिकार द्वारा संगमरमर से बनाया गया, शिरडी के समाधि मंदिर में है जहां साईं बाबा को दफनाया गया था.
शिरडी साईंबाबा मंदिर उत्सव :
मंदिर में हर वर्ष विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं और ये त्यौहार विश्व भर से बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते हैं.
राम नवमी :
शिरडी साईंबाबा मंदिर में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक राम नवमी उत्सव है. यह त्योहार मंदिर के अधिकारियों और भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. मंदिर को फूलों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया जाता है, और पूरे दिन विशेष पूजा और सेवा की जाती है. यह त्योहार बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है, और मंदिर उनके दर्शन और आराम के लिए विशेष व्यवस्था प्रदान करता है.
गुरु पूर्णिमा उत्सव :
यह त्यौहार गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, और माना जाता है कि इस दिन गुरु का आशीर्वाद मिलता है. मंदिर के अधिकारी इस दिन विशेष पूजा और सेवा करते हैं, और भक्त प्रार्थना करते हैं और गुरु का आशीर्वाद लेते हैं.
इन त्यौहारों के अलावा, मंदिर में दिवाली, नवरात्रि और दशहरा जैसे कई अन्य त्यौहार भी मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों को मंदिर के अधिकारी और भक्त बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं.
श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी. श्री साईबाबा समाधि मंदिर और इस परिसर में स्थित अन्य सभी मंदिरों का शासी और प्रशासनिक निकाय हैं, और यह साईबाबा की “सबका मालिक एक” की शिक्षाओं के प्रति समर्पित हैं तथा शिर्डी साईं समाधि मंदिर वाले साईं भक्तो को सुविधाएं प्रदान करता हैं.
शिर्डी के साईं बाबा के जीवन में कई चमत्कार हुए थे. उनके चमत्कारों की जांच ब्रिटिश सरकार ने भी करवाई थी. साईं बाबा के चमत्कारों के बारे में कुछ खास बातें :
*** साईं बाबा की धूनी की भभूत से
लोगों के दुख-दर्द दूर होते थे.
*** साईं बाबा समाधि लेने से पहले भी
अपने भक्तों को सोने-चांदी के
सिक्के देते थे.
*** साईं बाबा अपनी लाठी से छूकर
भक्तों की सारी तकलीफ़ें दूर किया
करते थे.
*** साईं बाबा के भक्तों का मानना है
कि अगर उनके प्रति भक्ति की
भावना से उनकी समाधि पर माथा
टका जाए, तो किसी भी तरह की
समस्या का समाधान हो जाता है.
**** साईं बाबा के कुछ चमत्कारों में
– पानी से जलाए दीपक जलाना,
– पेट दर्द से परेशान व्यक्ति को
ऊदी और आशीर्वाद देकर ठीक
किया.
– बारिश रोकने की घटना.
– कुएं में गिरी बच्ची को अदृश्य
शक्ति ने पकड़ा.
साईं बाबा के धर्म को लेकर विवाद :
साईं बाबा के विरोधी उन्हें चांद मियां कहते हैं. उनका तर्क है कि साईं बाबा मुस्लिम थे और हिंदुओं को उन्हें नहीं मानना चाहिए.
साईं बाबा की धार्मिक पहचान :
साईं बाबा के हिंदू और मुस्लिम दोनों अनुयायी थे. जब उन पर धार्मिक संबद्धता के बारे में दबाव डाला गया, तो उन्होंने खुद को किसी एक धर्म से जोड़ने से इनकार कर दिया.
सत्य साईं बाबा का अवतार :
सत्य साईं बाबा का दावा था कि वे शिरडी के साईं बाबा का दूसरा अवतार हैं.
शंकराचार्य स्वरूपानंद जी का तर्क :
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का तर्क था कि शिरडी में साईं बाबा की जो मज़ार बनी हुई है, उससे उनका मुस्लिम होना साबित होता है.
कुछ भी हो मगर शिर्डी के साईं बाबा के पास जाने वालें भक्त की हर मन्नत पूरी होती हैं.
( समाप्त )