हमारे पूर्वज कम शब्दो मे कहावत के जरिये बड़ी बड़ी बात को आसानीसे समजा देते थे. उस जमानेमे बोली और कहावत , भाषा का अभिन्न अंग था. उनका मानना था की दुनिया मे जितने झगड़े होते है वो जर, जमीन और जोरु की वजह से होते है. अतः वो लोग हमेशा कहते थे कि जर जमीन जोरु तीनो कजिया के छोरु.
जर का मतलब ज़ेवर – जेवरात से होता है मगर ईसका अर्थ पैसा , धन, दौलत, रूपया, रकम, लक्ष्मी, माल, संपत्ति, माया, द्रव्य, वित्त, पदार्थ, चीज, वस्तु, अर्थ आदि से लगाया जा सकता है. जर मे ऊँगली मे अंगूठी , हाथ मे कड़ा, नाक मे नथनी, कानमे रिंग या कुंडल, पावमे पायल, गलेमे हार , सर पर मुकुट आदि अन्य सोना चांदी के विभिन्न आभुषणो का समावेश होता है.
जमीन का मतलब भूमि , धरती आदि स्थायी मिलकत से है. जबकि जोरु का मतलब स्त्री, महिला से होता है. हमारे पूर्वजो का मानना था की दुनिया मे जितने लड़ाई झगड़े होते है, उसके पीछे ये तीन कारण प्रमुख होते है.
ये बात आम जनता के लिये तो बिलकुल सत्य साबित होती है. आम रहिवासी ओमे झगड़े के पीछेका मुख्य कारण यही बातें अधिक होती है. जर मे रुपये पैसो के लेनदेन का भी समावेश होता है.
पिछले तीस सालमे जमीन के भाव मे आश्चर्य चकित करने वाला उछाल आया है. अतः गावोंमें विशेष रुप से जमीन को लेकर झगड़े हो रहे है जो जमीन एक दूसरे की सीमासे लगकर होती है. अगर ये वाद विवाद कोर्ट तक जाता है तो दस बारा साल कोर्ट के चक्कर काटते रहो. यू कहो की इतने साल चप्पल घिसने की नौबत आती है.
तीसरे झगड़े का मुख्य कारण स्त्री, महिला का आकर्षण है, आज कल जिसकी वजह अनेक बार हत्या हो जाती है. इसके पिछेका मुख्य कारण महिला ओके प्रति मान मर्यादा का अभाव नजर आता है.
सिकंदर को दुनिया जीतनेका अरमान था, उसके मनसूबे के पीछे राजपाट, रूपया पैसे की लालच – हाउ का ही मुख्य कारण था. मुगलों का आक्रमण के पीछे भी यहीं कारण था.
भारत पाकिस्तान लड़ाई झगड़े की बात की जाय तो दोनों देश को ना तो एक दुसरो के पैसे हड़पना है ना तो एक दुसरे की जमीन पर कब्ज़ा करना है या ना तो स्त्री, महिला का प्रॉब्लम है. उसके पीछे एकमात्र कारण है आंतकवाद की प्रवृति. जो पाकिस्तान अपनी जमीन पर आंतकवाद को पनपने दे रहा है. और यहीं वैमनष्य के कारण ही दोनों देश के सैन्य के बिच सरहद पर हमेशा तनाव बना रहता है. इसमे भी जमीन का जिक्र तो आता ही है. जो पाकिस्तानी जमीन आंतकवादी को आसरा देती है.
अब इस पर आप गहन संशोधन करो तो आखिरकार आंतकवाद के पिछेका असली कारण तो जर या जमीन ही है. जिसकी मांग के लिये ये लोग दुनिया मे आंतकवादी प्रवृति करते है. इससे साबित होता है की हमारे वो पूर्वज लोग कितनी दूरदृस्टि रखते थे.
हमारे देश मे पुर्तगाल लोग आये, अंग्रेज आये उनका मुख्य मकसद जर ( धन दौलत ) से था. क्योंकि वो लोग जानते थे की भारत सोनेकी चिड़िया है. इतिहास साक्षी है की कई आक्रमण कारी हमारा सोना लूटकर विदेश लेकर गये थे.
जानकारों का मानना है की आने वाले दिनो मे अब लड़ाई आसमान की अवकाशी जगह के लिये होगी. अधिक देश चंद्रमा पर अपना स्वामित्व पाने की दौड़ मे सामिल होंगे और फिर शुरू होगा अवकाशी युद्ध.
अंत मे हम कजिया की बात करते है. कजिया लड़ाई झगड़ा से आजतक दुनिया मे किसी का भला नहीं हुआ है. इसका प्रमाण प्रथम विश्व युद्ध , दूसरा विश्व युद्ध से मिलता है जिसमे करोडो की जान चली गई थी. इसके अलावा दुनिया मे हुयी अनेक क्रांति के समय तथा अनेक देशो के बिच हुई लड़ाई इसका जीता जागता सबूत है.
अमेरिकन आर्मी द्रारा नागाशाकी और हिरोशिमा पर लादे गये अणुबम्ब ने तो हद्द कर दी जिसमे एक साथ करोडो लोग प्रभावित हुये. दुनिया मे आजतक कुदरती आपदा से जितने आदमी नहीं मरे उससे ज्यादा मानव सर्जित लड़ाई झगड़े मे कई निर्दोष लोगोंकी जान चली गई है.
वर्तमान अफ़ग़ानिस्तान – तालिबान युद्ध मे हजारों निर्दोष लोग मर रहे है. और ये कब तक चलेगा ? किसीको नहीं पता.
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शिव सर्जन