“जोधपुर का प्रसिद्ध मेहरानगढ़ किला”
भारत को किलो का देश कहना गलत नहीं होगा. हमारे देश के विविध हिस्सो में करीब 500 से ज्यादा किले मौजूद है. इनमें से कई सैकड़ों साल पुराने तो कईयों के निर्माण के बारे में कोई साक्ष्य या प्रमाण ही नहीं है.
मेहरानगढ़ किले को सन 1459 में राव जोधा द्वारा जोधपुर में बनवाया गया था. यह किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है और 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर विध्यमान है.
यह किला विशाल दीवारों द्वारा संरक्षित है. इस किले का प्रवेश द्वार एक पहाड़ी के ऊपर है जो बेहद शाही है. किले में सात द्वार हैं जिनमें (1) विक्ट्री गेट, (2) फतेह गेट,(3) भैरों गेट, (4) डेढ़ कामग्रा गेट, (5) फतेह गेट, (6) मार्टी गेट और (7) लोहा गेट के नाम से जाना जाता है.
15 वीं शताब्दी के दौरान राठौर शासक राव जोधा ने 1459 में जोधपुर की स्थापना की थी. राजा राम मल के पुत्र राव जोधा ने शहर को मंडोर से शासित किया लेकिन फिर उसने अपनी राजधानी को जोधपुर स्थानांतरित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने भाऊचेरिया पहाड़ी पर किले की नीव रखी जिसकी दूरी मंडोर से सिर्फ 9 किमी थी.
“मेहरान” का अर्थ सूर्य है इसलिए राठोरों ने अपने मुख्य देवता सूर्य के नाम से इस किले को मेहरानगढ़ किले के रूप में नामित किया था. इस किले के मुख्य निर्माण के बाद जोधपुर के अन्य शासकों मे मालदेव महाराजा, अजीत सिंह महाराजा, तखत सिंह और महाराजा हनवंत सिंह द्वारा इस किले में अन्य निर्माण किए. यह भी कहा जाता है कि, मेहरानगढ़ दुर्ग के निर्माण के समय एक व्यक्ति की स्वैच्छिक बलि चाहिए थी , जिसके लिए राजाराम मेघवाल ने स्वैच्छिक बलि दी थी.
किले की वास्तुकला में आप 20 वीं शताब्दी की वास्तुकला की विशेषताओं के साथ 5 वीं शताब्दी की बुनियादी वास्तुकला शैली को भी देख सकते हैं. किले में 68 फीट चौड़ी और 117 फीट लंबी दीवारें है. मेहरानगढ़ किले में सात द्वार हैं जिनमें से जयपोली सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. किले की वास्तुकला 500 वर्षों की अवधि के विकास से गुजरी है.
महाराजा अजीत सिंह के शासन के समय इस किले की कई इमारतों का निर्माण मुगल डिजाइन में किया गया है. इस किले में पर्यटकों को आकर्षित कर देने वाले सात द्वारों के अलावा मोती महल (पर्ल पैलेस), फूल महल (फूल महल), दौलत खाना, शीश महल (दर्पण पैलेस) और सुरेश खान जैसे कई शानदार शैली में बने कमरें हैं.
मोती महल का निर्माण राजा सूर सिंह द्वारा बनवाया गया था. शीश महल, या हॉल ऑफ मिरर्स बेहद आकर्षक है जो अपनी दर्पण के टुकड़ों पर जटिल डिजाइन की वजह से पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. फूल महल का निर्माण महाराजा अभय सिंह ने करवाया था.
प्रसिद्ध मेहरानगढ़ किलेको काफी रहस्यमई भी माना जाता है. यह भारत का एकमात्र किला है जिसकी चोटी पर से ही पूरा पाकिस्तान दिखता है.
इस किले में 7 द्वार है लेकिन माना जाता है कि इस किले में 8वां द्वार भी है जो काफी रहस्यों से भरा हुआ है. किले के पहले द्वार पर हाथियों के हमले से बचने के लिए नुकीली कीलें लगवाये है.
मेहरानगढ़ किले में अंदर प्रवेश करते ही कई भव्य महल, नक्काशी वाले दरवाजे और जालीदार खिड़कियां देखने को मिलती है. इसमें मोती महल, फूल महल और शीश महल बेहद खास है. इस किले के पास में ही एक चामुंडा माता का मंदिर है, जिसे साल 1460 ईस्वी में राव जोधा ने बनवाया था.
मेहरानगढ़ किले के बारेमें कहा जाता है कि इसके निर्माण से पहले यहां एक साधु रहा करते थे. जहां वे रहते थे वहां एक पानी का सोता हुआ करता था. जब राजा ने उन्हें वहां से जाने के लिए कहा तो क्रोधित होकर साधु ने शाप देते हुए कहा कि जिस पानी के लिए तुम मुझे यहां से हटा रहे हो, वह पानी सूख जाएगा. तब से लेकर आज तक यहां और आस-पास के इलाकों में पानी की कमी देखी जाती है.
किले में है संग्रहालय और शाही रेस्तरां भी है. जहां से विभिन्न प्रकार के उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं. इसके अलावा इस किले के अंदर एक शाही रेस्तरां भी मौजूद है, जहां पर आप अपने पार्टनर के साथ कैंडल लाइट डिनर का आनंद भी ले सकते हैं.
यहां जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम का होता है. अक्टूबर से मार्च के महीनों के बीच का मौसम काफी ठंडा और सुखद रहता है. इस मौसम में आप पूरे किले को एक्सप्लोर सकते हैं. किला घूमने के लिए सर्दियों के मौसम में सुबह के समय जाना ठीक रहता है. यह किला सुबह 9:00 बजे पर्यटकों के लिए खोला जाता है. आप दो या तीन घंटे एक किले में बिताने के बाद यहां के पास के पर्यटन स्थलों पर जा सकते हैं.
मेहरानगढ़ किला के कुछ रोचक तथ्य :
*** यह किला भारतीय राज्य राजस्थान के जोधपुर शहर से मात्र 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित है.
*** यह किला मूल रूप से सात द्वार व अनगिनत बुर्जों से मिलकर बना हैं.
*** किले को बनाने में आकर्षक बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था, जिसपर जोधपुर के कारीगरों ने अपनी शानदार शिल्पकारीका प्रदर्शन किया हैं.
*** इस किले की चौडाई 68 फीट और ऊंचाई 117 फीट है.
*** इस किले के एक योद्धा कीरत सिंह सोडा के सम्मान में यहाँ एक छतरी भी बनाई गई है. छतरी गुंबद के आकार का मंडप है जो राजपूतों की समृद्ध संस्कृति में गर्व और सम्मान व्यक्त करने के लिए बनाया जाता है.
*** किले के अन्दर एक जय पोल गेट भी है, जिसे महाराजा मान सिंह ने सन 1806 में बीकानेर और जयपुर की सेनाओं पर अपनी जीत की ख़ुशी में बनवाया था.
*** किले के अन्दर एक फ़तेह पोल भी है, जिसका निर्माण ई. सन 1707 में मुगलों पर मिली जीत की ख़ुशी में किया गया है.
*** राव जोधा ने सन 1460 मे इस किले के नजदीक एक चामुंडा माता के मंदिर का निर्माण करवाया था और वहा मूर्ति की स्थापना की थी. चामुंडा माता को जोधपुर के शासकों की कुलदेवी माना जाता है.
*** किले के अन्दर के एक हिस्से को संग्रहालय में बदल दिया गया, जहाँ पर शाही पालकियों का एक बड़ा समावेश देखने को मिलता है.
*** इस संग्रहालय में 14 कमरे हैं, जो शाही हथियारों, गहनों और वेशभूषाओं से सजे हैं.
*** यहाँ आने वाले पर्यटक किले के भीतर बने मोती महल, फूल महल, शीशा महल और झाँकी महल जैसे चार कमरे को भी देख सकते हैं.
*** मोती महल को पर्ल पैलेस भी कहा जाता है जोकि किले का सबसे बड़ा कमरा है. यह महल राजा सूर सिंह द्वारा बनवाया गया था, जहां वे अपनी प्रजा से मिलते थे.
*** फूल महल मेहरानगढ़ किले के विशालतम अवधि कमरों में से एक है. यह महल राजा का निजी कक्ष था. इसे फूलों के पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, इसमें एक छत है जिसमें सोने की सुंदर कारीगरी है.
*** शीश महल सुंदर शीशे के काम से सजा है. सैलानी शीशा महल में बनी अद्भुत धार्मिक आकृतियों को देख सकते हैं. शीश महलको “शीशे के हॉल” के रूप में भी जाना जाता है.
*** झाँकी महल, जहाँ से शाही औरते यहाँ हो रहे सरकारी कामोंकी कार्यवाही को देखती थीं. वर्तमान में, यह महल शाही पालनों का एक विशाल संग्रह है.
*** किले की नींव चारण जाति के ऋषि की पुत्री श्री करणी माता ने रखी थी. चूँकि राठौड़ों के मुख्य देवता सूर्य देव थे इसलिए किले का नाम मेहरानगढ़ रखा गया जहाँ मेहरान का अर्थ सूर्य और गढ़ का अर्थ किला है. किले की नींव राव जोधा के शासनकाल में रखी गई थी.
*** मालदेव ने 1531 से 1562 तक शासन किया और किले के भीतर कुछ संरचनाएँ बनाईं. फिर 1707 से 1724 तक शासन करने वाले महाराजा अजित सिंह ने कुछ संरचनाएँ बनवाईं. उनके किले का निर्माण अगले राजा महाराजा तख्त सिंह द्वारा 1843 से 1872 तक शासन करने के बाद हुआ. अंतिम शासक महाराजा हनवंत सिंह ने 1947 से 1952 तक शासन किया.
*** मेहरानगढ़ भारत का सबसे बड़ा किला है. यह किला इमारती कुशलता का प्रतीक है.