कभी कभी एक चिंगारी भी भयंकर विनाशक आग का कारण बन सकती है. ऐसी ही घटना आजसे 25 साल पहले भाईंदर रेल आंदोलन की वजह निर्माण हुई थी. संघर्ष सेवा समिति का रेल आंदोलन के बाद कुछ समय तक रेल यात्री सेवामें थोड़ा बहोत सुधार हुआ था. मगर बाद मे परिस्थिति जैसे थी हो गई थी.
90 के दशक की बात है. दिन ब दिन भीड़ की समस्या विकट रुप धारण कर रही थी. प्लेटफॉर्म नंबर 5 और 6 निर्माण हो चूका था. विरार से चर्चगेट जाने वाली गाडी तब प्लेटफार्म नंबर 3 या 6 से होकर जाती थी. 3 नंबर से जाने वाली ट्रैन को 6 नंबर से या 6 नंबर से जाने वाली ट्रैन को 3 नंबर से जानेकी अचानक सूचना देने से, भीड़ को भारी परेशानी होती थी.
ऐसे ही एक दिन ट्रैन प्लेटफार्म बदली होतेही उपस्थित संतप्त भीड़ मेसे किसी ने पथ्थर बाजी की. ट्रैन को रोक दी गई. प्लेटफार्म की घड़ी, स्टेशन स्थित कैंटीन की तोड़फोड़ की. परिस्थिति हिंसक बनते गई और बाहरके असामाजिक तत्व सामिल हुए. रेल्वे परिसर मे कई जगह आगजनी की. स्टेट रिज़र्व पुलिस को बुलानी पड़ी.
उपस्थित आंदोलनकारियो ने रेल्वे ट्रैक पर लकड़े के स्लीपर का अवरोध रखकर उसे आग लगा दी. बाहर गांव से आने वाली सभी ट्रैन को विरार रोक दी गई. बोरीवली से चर्चगेट ट्रैन चालू रही.
भीड़ इतनी थी की रेल्वे सुरक्षा बल उसे रोक पानेमें असमर्थ था. रेल्वे को लाखों का नुकशान हुआ. इस वारदात की मेरे द्वारा खींची गई दुर्लभ तस्वीर आपको प्रस्तुत कर रहा हूं.
ऐसा ही दूसरा आंदोलन हुआ. जब भाईंदर पूर्व की शांति गंगा अपार्टमेंट स्थित टिकिट खिड़की को तोड़फोड़ दिया. लाखों की रेल्वे कूपन को चुरा लिया गया. टिकट पंचिंग मशीन को तोड़ दिया गया. टिकट कूपन को बाहर फेंक दिये गये. उस वक्त सी सी टीवी कैमरे नहीं थे इसीलिए अपराधियों तक पहुंच पाना रेल्वे प्रशासन को मुमकिन नहीं हो पाया. इतना होने के बाद भी रेल यात्री समस्या आज तक बनी हुई है.
एक उम्मीद नव निर्माण मेट्रो ट्रैन सेवा शुरु होनेकी है. जिससे कुछ हद तक रेल्वे ट्रैन की भीड़ कम हो सकती है. आगामी वर्षो मे भाईंदर खाड़ी से जल सेवा प्रकल्प तथा दहिसर, भाईंदर नेताजी सुभाष चंद्र बोस होते हुए पांजू, नायगांव तथा वसई के लिए 4 लाइन मार्ग शुरु होतेही यातायात की समस्या मे राहत मिल सकती है.
——=== शिवसर्जन ===——