तरबूज को कैसे पहचाने असली नकली

ग्राहक को “ग्राहक राजा” कहा जाता है. कुछ व्यापारी ग्राहक राजा को भगवान मानते है, मगर क्या आज की तारीख में ग्राहक सुरक्षित है ? कोई कांटे में कम देकर ग्राहकों को लूट रहा है तो कोई केमिकल युक्त माल बेचकर ग्राहक को गुमराह कर रहा है.

फेरी वाले, ठेला वाले या दुकान वाले सभी छोटे बड़े व्यापारियों को नियंत्रणमें रखने के लिए सरकारी यंत्रणा है. मगर ये लोग ग्राहकों की सुरक्षा के लिए काम करते है ? या फिर सिर्फ कुर्सी गरम करने का पगार लेते है ?

शोध का विषय है.

गर्मियों में लोग प्यास बुझाने के लिए कोल्ड्रिंक्स, आम रस, नींबू सरबत या तरबूज जैसे फल का रस या फल खाते है. क्या ये स्वास्थय के लिए उचित है ? हमें कैसे पता चलेगा मार्किट में बिक रहा फल असली है या नकली ? आज हम लोग चर्चा करेंगे कि तरबूज प्राकृतिक रूप से पका है या केमिकल से पका है.

गर्मियों में तरबूज स्वास्थय के लिए बेहद फायदेमंद होता है. गर्मी में इसकी जरूरत और स्वाद दोनों हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हो जाते हैं. हालांकि, मीठे और लाल तरबूज खरीदने के चक्‍कर में लोग केमिकल के इस्‍तेमाल से पकाए गए तरबूज का सेवन करते हैं. यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. इसीलिए हमें जानना जरुरी है कि ये असली है या नकली.

केमिकल वाले तरबूज की पहचान :

लालम लाल तरबूज हर बार सेहत के लिए अच्‍छे नहीं होते, हो सकता है इनमें खतरनाक केमिकल भी मिला हो!

केमिकल युक्त फल कैंसर जैसी गंभीर खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकते हैं. हम केमिकल से पकाए गए तरबूज की पहचान आसानी से कैसे कर सकते हैं.

गर्मी के मौसम में लोग लाल तरबूज सबसे ज्‍यादा खाते है. यह शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ साथ सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाने का काम करता है. इसे हर उम्र के लोग खाना पसंद करते हैं और बच्‍चे भी बड़े चाव के साथ इसे खाते हैं. लेकिन गर्मी में इसकी मांग बढ़ते ही मिलावटी तरबूज भी मिलने लगते हैं जो सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक होता है.

केमिकल के इस्‍तेमाल से तरबूज लाल लाल नजर आते हैं और काफी आकर्षक दिखते हैं. ऐसे तरबूज को देखकर हम लालच में आ जाते हैं और इन केमिकल से पकाए गए इन फलों को घर ले आते हैं. हम आपको बता रहे हैं कि आप किस तरह इन केमिकल वाले तरबूज से खुद को बचा सकते हैं और ये किस तरह खतरनाक है.

दरअसल कच्‍चे तरबूज को जल्‍दी पकाने के लिए व्यापारी या दुकानदार ऑक्‍सीटॉसिन (Oxytocin) केमिकल का इस्‍तेमाल करते हैं. यह इंसानों की सेहत के लिए काफी खतरनाक होता है. इसकी वजह से पेट में दर्द और नर्वस ब्रेकडाउन जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, इन्‍हें पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का भी इस्‍तेमाल किया जाता है. यह नमी के संपर्क में आकर एथिलिन रिलीज करता है और यह तेजी से पकने लगता है. इसे खाने पर सिर में दर्द या कैंसर तक की वजह बन सकता है.

केमिकल वाले तरबूजों की पहचान :

स्‍वाद से तरबूज को पहचानें जा सकता है . जब तरबूज को तेजी से पकाने के लिए केमिकल का इस्‍तेमाल किया जाता है तो ये सामान्‍य से कई गुना तेजी से कोशिकाओं का विभाजन करने लगता है, जिससे इसकी नेचुरल मिठास प्रभावित होती है. ऐसे में तरबूज का स्‍वाद मीठा नहीं लगता. अगर कोई तरबूज दिखने में लाल है लेकिन उसमें मिठास नहीं है, तो समझ जाएं कि ये केमिकल से पकाया गया फल है.

पानी से पहचान :

पानी से पहचान करने के लिए सबसे पहले तरबूज का एक छोटा टुकड़ा काटें और इसे एक ऐसे पैन में डालें जो पानी से पूरी तरह से भरा हो. अगर पानी अपना रंग तेजी से बदलने लगता है तो ये पक्‍का है कि इसमे केमिकल या फिर आर्टिफीशियल रंगों का इस्‍तेमाल किया गया है.

तरबूज को 2 से 3 दिन के लिए एक टेबल पर रखकर छोड़ दें. अगर इसमें कोई केमिकल इंजेक्‍ट किया गया है तो ये तेजी से सड़ने लगेगा और फल से बदबूदार रस टेबल पर गिरने लगेगा. यह बताता है कि इसे पकाने के लिए हानिकारक केमिकल का इस्‍तेमाल किया गया है.

भारत में मिलावती खानपान के लिए कानून तो है , मगर इसका उपयोग किया जाता है ? शोध का विषय है. अन्न और औषध प्रशासन तो है मगर कछुआ चाल चलता है. मिलावतखोरोकों को कानून का डर है नहीं. उन्हें पता है कि रिश्वत देकर निर्दोष छूट जायेंगे.

न्यायालय में विलंब ने न्याय प्रणाली को नपुंशक बना दिया है. केंद्रीय कानून मंत्री के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में कुल 69,766 मामले लंबित पड़े हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट में 60 लाख 62 हजार 953 मामले लंबित हैं. तथा जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की कुल संख्या 4 करोड़ 41 लाख 35 हजार 357 हैं.

यूं कहो कि हमारे देश की वर्तमान न्याय व्यवस्था वेंटीलेटर पर है. इसमे अति शीग्र सुधार जरुरी है. इस विषय में हमें गंभीरता से सोचना ही होगा अन्यथा कोल्हू का बैल चले सौ कोस मगर वही का वही.

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