ताजमहल जैसा ” बीबी का मकबरा.” | Bibi Ka makbara

bibi ka maqbara 1

प्यार मे पागल प्रेमी ना जाने क्या क्या कर बैठता है. प्यार मे ताज बने. प्यार मे ताज टूटे. प्यार मे कितने बर्बाद हुये तो , प्यार मे कितने आबाद हुये. कोई महबूबा को गुलाब का फुल देकर प्यार का इजहार करता है तो कोई प्यार मे मकबरा बना देता है.कोई अपनी प्रेमिका के लिये ताज बनाता है तो कोई मा की ममता का प्यार दर्शाने के लिये ताज बनाता है. ऐसा ही एक ताज……. 

       ” बीबी का मकबरा ” जो दूसरा ” ताजमहल ” के रूपमें पहचाना जाता है. यह महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद मे विध्यमान है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज़ के प्यार मे आगरा स्थित ताजमहल बनवाया था.   

      उसी के नक़्शे कदमो पर चलकर औरंगजेब के बेटे और शाहजहां के पोते आजम शाह ने ताजमहल से प्रेरित होकर अपनी मां रबिया दुरानी उर्फ दिलरास बानो बेगम की याद में वैसा ही ताज महल जैसे दिखने वाला ” बीबी का मकबरा ” बनवाया था. 

      इसका निर्माण सन 1651 से लेकर सन 1661 के बीच मे किया गया था. आगरा स्थित ” ताजमहल ” की तरह यह मकबरा एक ऊंचे वर्गाकार चबूतरे पर बना है और इसके चारों कोनों में चार मीनारें बनाई गई हैं. इसमें तीन ओर से सीढियों द्वारा पहुंचा जा सकता है. 

        मकबरे का मुख्य द्वार लकड़ी का बना हुआ है और उस पर पीतल की प्लेट लगी हुई है, जिसपर वेल बूटे की उत्कृ़ष्ट डिजाइन बनाई गई है. इसे लोग देश का दूसरा ताजमहल या ” दक्कन का ताज ” भी कहते है. मकबरा उसे कहते है, जिस कब्र के उपर ईमारत या वास्तु बनी होती है, ये मुसलमानो मे एक प्रकार की समाधी होती है. 

          ज्यादातर मुस्लिम बादशाहों के स्मारक मकबरे बने हैं. जैसे ताजमहल, हुमायुं का मकबरा, गयासुद्दीन तुगलक का मकबरा, अकबर का मकबरा , शेरशाह सूरी का मकबरा, बहू बेगम का मकबरा , जहाँगीर का मकबरा, टीपू सुलतान का मकबरा , औरंगजेब का मकबरा,, 

        शाहनवाज़ खान का मकबरा, एत्माद्दौला का मकबरा, गोल गुम्बज, सफदरजंग का मकबरा, शुजाउद्दौला का मकबरा, सआदत अली खान (द्वितीय) का मकबरा, सलाबत खान का मकबरा, कुली कुतुब शाह का मकबरा, हुसामुद्दीन होशगं शाह का मकबरा आदि अनेकों मकबराओ की लम्बी लिस्ट सामिल की जा सकती है. 

         बताया जाता है की इस मकबरा को बनानेमें खर्चा तब कुल 6, 68, 203 रुपये ( करीब सात लाख ) का आया था. ताजमहल बनानेका खर्च उस समय 3 करोड़ बीस लाख रुपए आया था. यही कारण बीबी का मकबरा को ” गरीबों का ताजमहल ” भी कहा जाता हैं.   

         शाहजहां के ताजमहल को शुद्ध सफेद संगमरमर से बनवाया गया था, तो बीबी का मकबरा का मुख्य डोम – गुम्बद को संगमरमर से बनवाया गया था. मकबरा का बाकी हिस्सा प्लास्टर से तैयार किया गया है, ताकि वह दिखने में संगमरमर जैसा लगे. इस मकबरा का मुख्य डोम आगरा के ताजमहल के मुख्य डोम से छोटा है. 

        बीबी का मकबरा एक विशाल जगह के केंद्र मे स्थित है. जो उत्तर दक्षिण में 458 मीटर और पूर्व पश्‍चिम में 275 मीटर है. बीबी का मकबरा में सुंदर गार्डन, तालाब , फव्वारे, वाटर केनाल आदि हैं. यहां पर अच्छा खासा रास्ता है और इसके गार्डन की दीवारें भी ऊंची बनाई गई हैं ताकि बाहर का व्यक्ति अंदर न देख सके. 

         बीबी के मक़बरे का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने, अंतिम सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था. इतिहासकारों के अनुसार इस मक़बरे का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के पुत्र आज़म शाह ने अपनी माँ दिलरस बानो बेगम की याद में बनवाया था. इन्हें तब राबिया-उद-दौरानी के नाम से भी जाना पहचाना जाता था. 

         इसका मुख्य गुम्बद और चार मिनार 3094 वर्ग मीटर मे फैला हुआ है. इस वास्तु निर्माण के लिए लगनेवाले पत्थर जयपुर की खदानों से लाये गए थे. आज़मशाह की इच्छा ये थी की इसे “ताजमहल” से भी ज्यादा भव्य बनाया जाय. मगर बादशाह औरंगज़ेब द्वारा दिए गए खर्च से वह संभव नहीं हो पाया.इस मक़बरे की डिज़ाइन अतउल्लाह द्वारा की गई थी. तब अतउल्लाह के पिताजी उस्ताद अहमद लाहोरी को विश्व प्रसिद्ध ” ताजमहल ” के मुख्य आर्किटेक्ट के तौर पर जाना जाता था. 

         इस मक़बरे का गुम्बद ताजमहल के गुम्बद से आकार में छोटा है. तकनिकी खामियों के कारण और संगमरमर की कमतरता के कारण यह वास्तु कभी भी ” ताजमहल ” के बराबर नहीं समझी गयी. फिरभी बीबी के मकबरे को लोग इसे ” महाराष्ट्र का ताजमहल ” भी कहते हैं.

             देश के कोई भी कोनेसे आप औरंगाबाद शहर तक पहुंच सकते है. शहर में सफर करने के लिए कई बसें चलती है, जो पर्यटकों को पूरे शहर में घूमा सकती है. यहां से 120 किमी. दूर रेलवे स्टेूशन है जिसे मनमाद रेलवे स्टेशन कहा जाता है. यहां से औरंगाबाद तक करीब एक हजार रूपए में प्राइवेट टैक्सीे से पहुंचा जा सकता है. औरंगाबाद में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के सभी प्रमुख शहरों और राज्यों से जुड़ा हुआ है.

           औरंगाबाद में गर्मी के सीजन मे जाना उचित नहीं है. गर्मियों के मौसम में यहां वातावरण बेहद गर्म होता है. इस शहर को घूमने का सबसे अच्छा सर्दियों का मौसम होता है. इस दौरान यहां का न्यूइनतम तापमान करीब 10 डिग्री सेल्सियस रहता है. अक्टूबर से मार्च तक यहां बड़ी तादाद में लोग घूमने आते हैं. आप यहां मानसून में भी घूम सकते हैं. 

      बीबी का मकबरा घूमने के लिए भारतीयों के लिए 10 रुपए का टिकट लेना पड़ता है. वही विदेशी नागरिकों के लिए 250 रुपए का टिकट है. 

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