आपने रात के समय तारे की तरह झगमगाते जुगनू को कभी ना कभी अवश्य देखा होगा. जुगनू मच्छर के आकार का स्वप्रकाशित जीव हैं. रातके समय अपना भोजन ढूँढ़नेके लीये वो अपनी स्वप्रकाशित प्राकृतिक रोशनी का उपयोग करता हैं.
हवामे उपस्थित छोटे छोटे सूक्ष्म जीवाणु यह रोशनी को देखकर आकर्षित होते हे और नजदीक आते हैं.जिसको जुगनू आसानीसे भक्ष लेता हैं. कभी कभी वो अपने शिकारी को दूर भगाने के लिये भी ये रोशनी का प्रयोग करता हैं. यह
जुगनू रात के अंधेरे में खाड़ी या नदी किनारे मेंग्रोव के पेड़ के उपर झगमगाते नगर आते हैं.
मादा जुगनू उड़ नहीं सकती, क्योंकि उसके पंख नहीं होते, मगर वो चमकती जरूर हैं. नर जुगनू यहासे वहा पर उड़ सकता हैं, और स्वप्रकाशित भी हैं. जुगनू के अंडे जिसे लारवा कहते है. यह अंडे ( लारवा ) भी प्रकाशित होते हैं. दरअसल जुगनू के शरीर के भीतर रासायनिक क्रिया होकर कुछ केमिकल उत्पन्न होकर वो जब हवाके प्राणवायु के साथ संसर्ग मे आते हैं , तो रासायनिक प्रकिर्या होकर रोशनी पैदा होती हैं. जुगनू के फेफड़े नहीं होते. यही प्रक्रिया फेफड़ो का काम करती हैं और वो स्वसन क्रिया करके जिंदा रहता हैं. हे ना मजेकी बात.
वैसे जुगनू चमकते जरूर हैं मगर उसकी रोशनी बिलकुल ठंडी होती हैं इसीलिए उसके पीछे का भाग कभी गरम नहीं होता हैं.
वैज्ञानिक सर रॉबर्ट ने सन 1667 में इसकी शोध की थी. ऎसा भी नहीं हैं की कुदरत ने सिर्फ जुगनू कोही रोशनी की अनमोल भेट दी हैं. दुनिया के जंगलो में प्रकाश देने वाली करीब एक हजार जीव जंतु की प्रजातियां हैं. मगर उस जीवो मे जुगनू सबसे अधिक ज्यादा प्रसिद्ध और लोकप्रिय हैं. रात के अंधेरे में उसकी रोशनी,आकाश से गिरती उल्का की तरह दिखाई देती हैं जो प्रेक्षणीय होती हैं. जुगनू को कुछ लोग आगिया भी कहते है.
समुद्र में रहती कुछ मछलिया भी ऐसी हैं जो जुगनू की तरह स्वप्रकाशित हैं. वो भी अपना भोजन ढूँढ़नेके लिये ही अपने प्रकाश का उपयोग करती हैं.
आपने नागमणि का नाम सुना होगा. ये नागमणि हर सर्पो में नहीं पाया जाता. कुछ सापोमे नागमणि होते हैं जो मुहसे बाहर निकालकर उसके प्रकाशके इर्द गिर्द घूमकर रात को वो अपना भोजन ढूंढते हैं.
जुगनू के उपर कई गाने बने हैं, तथा जुगनू के उपर कई भाषा ओमे फिल्म भी बनी हैं एक पुरानी फिल्म श्री दिलीप कुमार जी और नूरजहाँ जी की आयी थी जो काफी लोकप्रिय हुयी थी. दूसरी फिल्म हेमामालिनी और धर्मेंद्र जी की भी जुगनू फिल्म आयी थी. जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी.
आपकी जानकारी के लिए बता दू कि रातको चंद्रमा हमें स्वप्रकाशित दिखाई देता है. मगर वह सूर्य प्रकाश का परावर्तन मात्र है. सूर्य एक तारा है. और तारे स्वप्रकाशित होते है तथा ग्रह परप्रकाशित होते है जैसे पृथ्वी, चंद्र सहित सौर्य मंडल के सभी ग्रह.
तारे स्वप्रकाशित होते है. जो हमें आकाश मे जुगनू की तरह झगमगाते दिखाई देते है. एक तारे से दूसरे तारे की दुरी लाखो – करोड़ों किलोमीटर की है. आकाश मे आकाशगंगा तारे का प्रकाशित झुंड आपने देखा होगा. उससे आप स्वयं ब्रह्मांड के अस्तित्व का अंदाजा लगा सकते हो.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.