तिरुपति बालाजी ( भगवान विष्णु ) Tirupati Balaji

Bhagwan Balaji

श्री वैंकटेश्वर या बालाजी को भगवान श्री विष्णु का अवतार माना जाता है. जो संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी है. मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कुछ समय के लिये श्री स्वामी  ” पुष्करणी नामक ” सरोवर के किनारे निवास किया था. यह सरोवर तिरुमाला के पास है. 

        तिरुपति के चारों ओर स्थित फैली पहाड़िया , शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं ” सप्तगिर‍ि ” पहाड़िया कहलाती हैं. श्री वेंकटेश्वर का यह मंदिर “सप्तगिरि” की सातवीं पहाड़ी के उपर करीब 3200 फीट की ऊचाई पर स्थित विध्यमान है. 

           मान्यता के अनुसार ग्यारहवीं शताब्दी में संत श्री रामानुज तिरुपति जी इस सातवीं पहाड़ी पर चढ़ कर गये थे. भगवान श्री वेंकटेश्वर ने प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था उसके बाद वे 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहे और कई जगह घूमकर वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाई थी. 

        तिरुपति बालाजी मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है.यह मंदिर भारत के सबसे सु प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. हरसाल लाखों की संख्या में भारत भर से यहां दर्शनार्थी आते हैं. मुख्य मंदिर के उपरांत यहां अन्य मंदिर भी हैं. देश के सबसे अमीर मंदिरों में से ये एक है. 

           कई शताब्दी पूर्व बना यह विष्णु भगवान का मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं. माना जाता है की चोल, होयसल और विजय नगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान रहा था. 

        माना जाता है की वैकुंठ के बाद भगवान श्री विष्णु का ये मनपसंद प्रिय स्थल है. अतः दुनिया भर से करोडो लोग यहां पर माथा टेकने आते है. 

        केशदान के अंतर्गत यहां आने वाले श्रद्धालु प्रभु को अपने केश समर्पित करते हैं. मान्यता है की केशों के साथ भक्त जन अपना दंभ व घमंड ईश्वर को समर्पित करते हैं. मंदिर के पास ” कल्याण कट्टा ” नामक स्थान पर सामूहिक रूप से केश कर्तन का कार्यक्रम संपन्न किया जाता है.सभी नाई इस स्थान पर बैठते हैं. केश दान के पश्चात यहीं पर स्नान करते हैं और फिर पुष्करिणी में स्नान करनेके बाद भक्त जन श्री मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं. 

मंदिर की कुछ विशेषताएं :

*** तिरुपति मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय से हुई है. इस मंदिर की महिमा का वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. 

*** भगवान बालाजी के सिर पर रेशमी केश हैं, और उनमें गुत्थिया नहीं आती और वह हमेशा ताजा रहेते है. 

*** बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है. 

 *** गर्भगृह मे जलने वाले दिपक कभी बुझते नही हैं, वे कितने ही हजार सालों से जल रहे हैं. 

*** पैदल यात्रियों हेतु पहाड़ी पर चढ़ने के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम नामक एक विशेष मार्ग बनाया गया है. 

*** टिकट लेने के लिये यहां कम्यूटर सिस्टिम है. यहां पर भक्तों जनों के लिये निशुल्क और शुल्क देकर दर्शन की व्यवस्था की जाती है. 

*** खास विकलांग लोगों के लिए ” महाद्वारम ” नामक मुख्य द्वार से प्रवेश की व्यवस्था है, जहां पर उनकी सहायता के लिए सहायक भी मौजूद रहते है. 

*** यहां पर प्रसाद के रूप में अन्न प्रसाद की व्यवस्था है जिसके अंतर्गत चरणामृत, मीठी पोंगल, दही-चावल जैसे प्रसाद तीर्थयात्रियों को दर्शन के पश्चात दिया जाता है.

*** ” पनयारम ” यानी लड्डू मंदिर के बाहर बेचे जाते हैं, जो यहां पर प्रभु के प्रसाद रूप में चढ़ाने के लिए खरीदे जाते हैं. इन्हें खरीदने के लिए पंक्तियों में लगकर टोकन लेना पड़ता है. श्रद्धालु दर्शन के उपरांत लड्डू मंदिर परिसर के बाहर से खरीद सकते हैं.

*** यहा वसंतोत्सव , तपोत्सव , पवित्रोत्सव,अधिकामासम आदि अनेकों उत्सव मनाये जाते है. यहाँका सबसे प्रमुख पर्व ब्रह्मोत्सवम मनाया जाता है. जिसे भक्त जन प्रसन्नता का पर्व मानते है. ये उत्सव 9 दिन तक चलता है.जो सितंबर-अक्टूबर महिनेमे आता है. 

*** तिरुमाला में मंदिर के आसपास रहने की काफी अच्छी व्यवस्था है. विभिन्न श्रेणियों के होटल व धर्मशाला यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. इनकी पहले से बुकिंग टीटीडी के केंद्रीय कार्यालय से कराई जा सकती है. सामान्यतः पूर्व बुकिंग के लिए अग्रिम धनराशि के साथ एक पत्र व 100 रुपए का एक ड्राफ्ट यहां पर भेजना पड़ता है. 

*** तिरुपति चेन्नई से 130 किलोमीटर दूर स्थित है, जो एक मुख्य रेलवे स्टेशन भी है.यहां से हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए सड़क व रेल व्यवस्था भी है. 

*** तिरुपति पर एक छोटा सा हवाई अड्डा भी है, जहां पर मंगलवार और शनिवार को हैदराबाद से फ्लाइट मिल सकती है. तत्पश्चात एपीएसआरटीसी की बस सेवा भी उपलब्ध है, जो परिसर तक पहुंचाने में 20 मिनट लेती है. —–=====शिवसर्जन ====——

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