कहानी = 1. ” ज्ञान की प्यास “
एक गुरु के दो शिष्य थे. एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा आलसी था. पहले शिष्य की हर जगह लोग प्रसंशा होती थी और सम्मान किया जाता था. जबकि दूसरे शिष्य की लोग उपेक्षा करते थे. एक दिन रोष में आकर दूसरा शिष्य गुरू जी के पास जाकर बोला, “गुरूजी! मैं उससे भी पहले से आपके पास विद्याध्ययन कर रहा हूँ. फिर भी आपने उसे मुझसे अधिक शिक्षा दी ”
गुरुजी थोड़ी देर मौन रहने के बाद बोले, पहले तुम एक कहानी सुनो. एक यात्री कहीं जा रहा था. रास्ते में उसे प्यास लगी. थोड़ी दूर पर उसे एक कुआं मिला. कुएं पर बाल्टी तो थी लेकिन रस्सी नही थी. इसलिए वह आगे बढ़ गया थोड़ी देर बाद एक दूसरा यात्री उस कुएं के पास आया. कुएं पर रस्सी न देखकर उसने इधर-उधर देखा. पास में ही बड़ी बड़ी घास उगी थी. उसने घास उखाड़कर रस्सी बटना प्रारम्भ किया.
थोड़ी देर में एक लंबी रस्सी तैयार हो गयी. जिसकी सहायता से उसने कुएं से पानी निकाला और अपनी प्यास बुझा ली. गुरु जी ने उस शिष्य से पूछा, अब तुम मुझे यह बताओ कि प्यास किस यात्री को ज्यादा लगी थी ? शिष्य ने तुरंत उत्तर दिया कि दूसरे यात्री को.
गुरूजी फिर बोले, प्यास दूसरे यात्री को ज्यादा लगी थी यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि उसने प्यास बुझाने के लिए परिश्रम किया. उसी प्रकार तुम्हारे सहपाठी में ज्ञान की प्यास है. जिसे बुझाने लिए वह कठिन परिश्रम करता है. जबकि तुम ऐसा नहीं करते.
शिष्य को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था. वह भी आगेसे कठिन परिश्रम में जुट गया.
कहानी : 2. गुस्से की दवा :
एक स्त्री थी. उसे बात बात पर गुस्सा आ जाता था. उसकी इस आदत से पूरा परिवार परेशान था. उसकी वजह से परिवार में कलह का माहौल बना रहता था. एक दिन उस महिला के दरवाजे एक साधू आया. महिला ने साधू को अपनी समस्या बताई. उसने कहा, “महाराज! मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है. मैं चाहकर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाती. कोई उपाय हो तो बताइये.”
साधू ने अपने झोले से एक दवा की शीशी निकालकर उसे दी और बताया कि जब भी गुस्सा आये. इसमें से चार बूंद दवा अपनी जीभ पर डाल लेना. 10 मिनट तक दवा को मुंह में ही रखना है. 10 मिनट तक मुंह नहीं खोलना है, नहीं तो दवा असर नहीं करेगी.” महिला ने साधू के कही बात के अनुसार दवा का प्रयोग शुरू किया. सात दिन में ही उसकी गुस्सा करने की आदत छूट गयी.
सात दिन बाद वह साधू फिर उसके दरवाजे आया तो महिला उसके पैरों में गिर पड़ी. उसने कहा, “महाराज! जी, आपकी दवा से मेरा क्रोध गायब हो गया. अब मुझे गुस्सा नहीं आता और मेरे परिवार में शांति का माहौल बना रहता है.
तब साधू महाराज ने उसे बताया कि वह कोई दवा नहीं थी. उस शीशी में केवल पानी भरा था. गुस्से का इलाज केवल चुप रहकर ही किया जा सकता है. क्योंकि गुस्से में व्यक्ति उल्टा सीधा बोलता है. जिससे विवाद बढ़ता है. इसलिए क्रोध का इलाज सिर्फ मौन है.
कहानी = 3. ईमानदार बेटा.
एक राजा के दस बेटे थे. उसने अपनी पूरी ज़िंदगी अच्छे से शासन चलाया पर अब वो बूढ़ा हो गया था. अतः उसे उत्तराधिकारी की तलाश थी. इसीलिए एक दिन उसने अपने सभी बेटों को पास बुलाया और कहा,देखो बेटा, अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और चाहता हूँ कि तुममे से किसी एक को अपना उतराधिकारी बना दूँ.
यह सुनकर सभी बेटे खुश खुशाल हो गए और खुद को एक दूसरे से बेहतर दिखाने की कोशिश करने लगे. राजा ने कहा कि मैं तुम सबको एक काम देता हूँ और जो भी इस काम को सबसे बढ़िया तरीके से करेगा वही इस राज्य का नया राजा बनाया जाएगा.
राजा ने सभी बेटों को एक-एक बीज दिया और कहा, तुम सबको इस बीज को लेकर एक साल के लिए जंगल में जाना है. वहाँ इसे गमले में रोपना है और देखभाल करनी है. एक साल के बाद मैं इसे देखने आऊँगा, जिसका पेड़ सबसे बड़ा होगा, वही इस राज्य का नया राजा बनेगा.
उस राजा के सबसे छोटे बेटे का नाम नवीन था. नवीन भी इन सारी बातों को बहुत ध्यान से सुन रहा था. राजाने सभी बेटों को बीज दिया और अलग अलग दिशाओं में जानेको कहा. नवीन ने भी जंगल पहुँच कर एक गमला लिया और उस बीज को रोप दिया.
बहुत अच्छी तरह से उस बीज को पानी देने या खाद देने पर भी कुछ समय बाद नवीन का वह पौधा मर गया. दूसरी ओर राजा के दूसरे बेटों ने जब बीज को रोप कर उसमें खाद दिया तो बीज से पौधा और पौधे से पेड़ बनने लगा.
एक साल बाद सभी बेटे फैसले के दिन जमा हुए. उनके एक से बढ़कर एक सुंदर और पेड़ अलग-अलग गमलों में नजर आ रहे थे, लेकिन नवीन का गमला खाली था. सभी दरबारी नवीन के गमले की तरफ देख कर हंस रहे थे और अन्य सभी गमलों की तारीफ़ों के पूल बांध रहे थे. इसी बीच राजा आया, उसने सभी गमलों को देखा और हसने लगा. नवीन ने राजा को अपनी ओर आते देखा तो वह अपना गमला शर्म के मारे पीछे छुपाने लगा. राजा ने उसके गमले को देखा और सभी दरबारियों की ओर मुड़ कर बोला, सुनो मैंने आपका नया राजा और मेरा उतराधिकारी चुन लिया है.
सभी बेटों की धड़कने तेज हो गयी. राजा ने कहा, आज से आपके नए राजा नवीन होंगे. राजा के दूसरे सभी बेटे व दरबारी यह सुनकर स्तब्ध रह गए.
इस पर राजा ने कहा, मैंने अपने सभी बेटों को वही बीज दिया था जो बंजर था और उसमें कभी कोई पौधा या पेड़ नहीं उग सकता था. मेरे अन्य बेटों ने मुझे धोखा देने के लिए उस बीज को बदल दिया लेकिन नवीन अपने काम के प्रति ईमानदार था और नवीन बेटा उसी वास्तविकता और ईमानदारी के साथ मेरे सामने आया. इस तरह नवीन ने वफादार और ईमानदार होनेका प्रमाण दे दिया है और मैं नवीन बेटा को मेरा उतराधिकारी नियुक्त करता हूं.
( समाप्त )