दीव , दमण , गोवा, सिलवासा , दादरा , नगर हवेली आज़ादी के बाद भी पुर्तगाल के हकूमत तले थे. आज मुझे सिर्फ दमण स्वतंत्रता संग्राम की बात करनी है. श्री डॉ राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन पंत प्रधान श्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में तत्कालीन भारतीय सेनाने ” ऑपरेशन विजय ” के तहत पुर्तगाल पर लड़ाई करनेका बीड़ा उठाया था.
भारतीय सेना के प्लान के मुताबित पश्चिम अरबी समुद्र से अवं पूर्व , उत्तर , दक्षिण से जमीन मार्ग अवं हवाई मार्ग से दमण पर आक्रमण करनेका व्यूह बनाया गया था. उस वक्त भारत के पास 45000 सैनिक थे जबकि पुर्तगाल के पास सिर्फ 3995 सैनिक थे.
भारतीय सेनाने तारीख :18 – 19 दिसम्बर 1961 के दिन हल्ला बोल दिया. लगातार 36 घंटे तक आमने सामने धमासान गोलीबारी हुई. दूसरी तरफ भारतीय एयर क्राफ्ट ने हवाई हमला चालु किया. भारतीय सेना के 22 सैनिक शहीद हुए जबकि पुर्तगाल के 30 सैन्य की जान चली गई थी.और उनके 57 सैनिक घायल हुए थे.
आखिर कार भारतीय सेना का ऑपरेशन विजय सफल हुआ और पुर्तगाल की 451 साल पुरानी हकूमत का अंत आ गया. इसी दौरान भारतीय सेना ने गोवा पर भी कब्ज़ा किया.
तत्कालीन पंत प्रधान राजीव गांधी के कार्यकाल में ता : 30 मई 1987 के दिन ” गोवा ” को स्वतंत्र राज्य का दरज्जा दे दिया गया. दमण की लड़ाई के समय भारतीय हवाई दल ने जो बमबारी की उसमे अनेक सरकारी दस्तावेज जल कर राख हो गये.
जब लड़ाई चल रही थी तब पोर्तुगाल अफसर को पता चल गया था की अब हार निश्चित है. अतः उन्होंने दमण को शक्तिशाली बम से उड़ाने का निर्णय लिया. उनका मनसूबा था की दमण पुरा नेस्ट नाबूद हो जाये. उन्होंने वायर को समुद्र तक खींच लिया. वहासे बम फोड़कर समुद्री मार्ग से भाग जानेका प्लान बनाया.
एक स्थानीय शख्स ने ये सब देख लिया. उसने सोचा यदि बम फूटा तो सबके सब मर जायेंगे. और फिर मैं भी कहा बच सकूंगा. वह घर दौड़ा, कुल्हाड़ी ले कर आया और वायर को बीचमें से काट डाला. अब बोट में सवार अफसर बटन दबाते रहे मगर, असफल. ईस तरह एक शख्स की समय सूचकता की वज़ह से अनेकों की जान बच गयी. ये कहानी का इतिहास में कही जिक्र नहीं है मगर पुराने स्थानीय लोग आज भी इसकी पुष्टि करते है.
दमण यूनियन टेरिटरी में आता है. दमण पर्यटकों के लिये आकर्षण केंद्र है. वेस्टर्न रेलवे वापी स्टेशन पश्चिम से आपको शेर टेक्सी मिल जाती है. जो आपको मार्केट तक पहुंचाती है. वहासे आधा किलोमीटर की दुरी पर दमण का सुंदर किला विध्यमान है. उत्तरीय छोर के कीले को संत जेरोम किला कहते है. कहां जाता है कि ये किला सन 1614 से 1627 के बीचमे मोगलो के आक्रमण से बचने के लिये बनाया गया था.
दमण गंगा खाड़ी के उत्तरी छोर को नानी दमण कहते है अवं दक्षिणी छोर को मोटी दमण कहते है. दोनों छोर पर पोर्तुगाल कलाकृति, पोर्तुगाल शैली का बना किला प्रेक्षणीय है. पोर्तुगाल लोगों ने दो कीले को जोड़ने के लिये खाड़ी के निचेसे टनल ( बोगदा ) बनाया था, मगर अब बंध कर दिया गया है.वर्तमान खाड़ी के उत्तर – दक्षिण जानेके लिये पुल नया बनाया गया है.
यहा पर दारू बंदी ना होनेकी वज़ह से वापी तक के लोग लुफ्त उठाने दमण तक आते है. वापी स्टेशन से शेयर टैक्सी मिलती है जो दाभेल होकर बीस मिनट में नानी दमण मार्किट पहुंचाते है. मैं स्वयं नानी दमण का निवासी हुँ. वापी गुजरात से गुमने के लिए आने वाले बाइक से यहां आकर पार्टी मनाकर वापस गुजरात चले आते है.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.