शतरंज दिमाग का खेल है, अतः उसे बुद्धि बल का खेल भी कहा जाता है. ये एक चुनौती का खेल है. इसे खेलने के लिए तेज़ दिमाग की जरुरत होती है. यह खेल अपने पाले में रखे राजा को बचाने और दूसरे के पाले में रखे राजा को हराने के लिए खेला जाता है.
पाश्चात्य देशों के अनुसार यह खेल करीब 1500 साल पुराना है. जानकारो का कहना है ये राजा महाराजा ओका दिमागी खेल था, जो भारत की धरती पर उजागर हुआ था. कुछ लोगोंका मानना है की शतरंजके खेलका आविष्कार गुप्त काल मे हुआ था. महाभारत काल में पासे के प्रयोग से खेल खेला जाता था. तब इस खेल को चतुरंग कहा जाता था.
यह खेल जहां पारसी और अरब देशों में काफी घूमा, वहीं अंत में यह मुगलों की भी शान बना. उस समय स्पेन में जब शतरंज पहुंचा तो इसका नाम बदलकर ” एजेडरेज़ ” रख दिया गया. पुर्तगाल में इसे ” जादरेज़” के नाम से जाना गया. फिर यूनान मे शतरंज के नामसे प्रसिद्ध हुआ.
शतरंज के नियम शतरंज के खेल को विनियमित करने वाले नियम होते हैं. हालांकि शतरंज की ठीक-ठीक उत्पत्ति निश्चित नहीं है , किंतु यह ज्ञात है कि इसके आधुनिक नियम पहली बार 16 वीं शताब्दी के दौरान इटली में विकसित हुए थे. आज “विश्व शतरंज संगठन” (वर्ल्ड चेस ऑर्गेनाइजेसन ) मानक नियम तय करता है.
शतरंज दो लोगों द्वारा 6 प्रकार के 32 मोहरों (प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 16) के साथ खेला जाने वाला एक खेल है. प्रत्येक प्रकार का मोहरा खास तरीके से आगे बढ़ता है. खेल का लक्ष्य शह और मात होता है अर्थात विरोधी खिलाड़ी के बादशाह को अपरिहार्य रूप से बंदी बना लेना होता है. यह आवश्यक नहीं कि खेल शह देकर मात की स्थिति में ही खत्म हो, बल्कि खिलाड़ी प्राय:, अपनी हार में यकीन हो जाने पर हार मान कर खेल छोड़ भी सकता है. इसके अतिरिक्त खेल की ड्रॉ स्थिति में खत्म होने के भी कई तरीके होते हैं.
शतरंज एक ऐसा खेल है जिसमे दिमाग के साथ-साथ धैर्य की भी जरूरत होती है. अगर इस खेल को हडबडी के साथ खेला जाये तो आप इसे कभी भी जीत नहीं सकते , ये एक ऐसा खेल है जो आपके सोचने की शक्ति तथा तार्किक शक्ति को विकसित करता है . इस खेल को खेलने के लिए केवल 2 लोगों की जरूरत होती है.
शतरंज काले व सफेद वर्गों से मिलकर बना एक बोर्ड होता है. इसमें कुल 64 वर्ग (खाने) होते है. इसमें 32 वर्ग (खाने) काले व 32 वर्ग (खाने) सफेद होते है. खेलनेवाले प्रत्येक खिलाडी के पास काले और सफेद रंग के एक राजा एक वजीर ,दो ऊँट ,दो घोड़े ,दो हाथी ,आठ सैनिक (प्यादा) होते है.
पहली पंक्ति में बीच में राजा व वजीर ,उसके बाद ऊंट घोड़ा और अंत में हाथी होते है. दूसरी पंक्ति में प्यादे रखे जाते है. शतरंज में एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि काला वजीर काले खाने में तथा सफेद वजीर सफेद खाने में होना चाहिए. शतरंज का खेल केवल 2 खिलाडियों के बीच ही खेला जाता है और ये खिलाड़ी भी काला व सफेद कहलाते है. शतरंज के खेल की शुरुआत हमेशा सफेद खिलाड़ी ही करता है.
आमतौर पर यह खेल 10 से 60 मिनिट का होता है लेकिन टूर्नामेंट खेल 10 मिनिट से 6 घंटे का या इससे भी अधिक का हो सकता है. भारत देश में इस खेल का नियंत्रण अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना 1951 में की गई थी.
पुरे विश्व में इस खेल का नियंत्रण फेडरेशन इंटरनेशनल दि एचेस या फिडे द्वारा किया जाता है. शतरंज के टूर्नामेंट खेल को जीतने वाले खिलाडी को ग्रैंडमास्टर की उपाधि दी जाती है.
विश्व के प्रसिद्ध शतरंज खिलाडियों मे मैनुएल एरोन ने सन 1961 में एशियाई स्पर्धा जीती और इस खेल के पहले अर्जुन पुरस्कार विजेता बने. बी. रविकुमार ने सन 1979 में एशियाई जूनियर स्पर्धा जीती थी. दिव्येदु बरुआ ने सन 1982 में लायड्स बैंक शतरंज स्पर्धाजीती थी. विश्वनाथन आनन्द ने सन 1987 में विश्व जूनियर स्पर्धा जीतने वाले पहले भारतीय थे. उसके अलावा आरती रमास्वामी, पी. हरिकृष्ण, कोनेरू हम्पी , गैरी कास्पारोव आदि खिलाडी ने भी स्पर्धा जीती थी.
शतरंज (चैस) रुस, फ्रांस,सुडान का राष्ट्रीय व लोकप्रिय खेल है.
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