दिशा सूचक ध्रुव का तारा.

dhruv

ध्रुव का तारा ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सब से रोशन तारा है. यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से 45वां सब से रोशन तारा है. और यह हमारी पृथ्वी से लगभग 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है.

ध्रुव के तारा के बारेमें हर कोई जानते हैं. वैज्ञानिक लोग उसे ध्रुवतारा इसलिए कहते हैं, क्योंकि वह उत्तरी ध्रुव से हमेशा एक जगह चमकता दिखाई देता है, लेकिन धर्मग्रंथों में उसे बालक ध्रुव का तारा कहा जाता है.

आकाश के सभी तारे धीरे-धीरे घुमते हुए नजर आते है, लेकिन ध्रुव का तारा उत्तर की ओर स्थिर लगता है. रात में आसमान का निरिक्षण किया जाय तो ऐसा प्रतीत होता है की सारे तारे ध्रुव के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं.

ऐसा इसीलिए प्रतित होता है कि पृथ्वी के अक्ष की ठीक उपर ध्रुव का तारा स्थित है. पृथ्वी अपनी अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की और बढ़ते घूमती रहती है. इसीलिए हमें सूर्य सहित सभी तारे पूर्व मे उगते हुए दिखाई देते है.

ध्रुव का तारा पृथ्वी के अक्ष बिंदु की ठीक उपर होनेकी वजह से हमें एक जगह स्थिर दिखाई देता है. मिसाल के तौर पर कोई चक्र को हम घूमते देखते है तो, चक्र के मध्य बिंदु को छोड़कर सभी भाग तेजीसे घूमते नजर आते है. अर्थात मध्य बिंदु हमकों एक जगह स्थिर नजर आएगा. इसीलिए इसे अंग्रेजी में पोल स्टार भी कहा जाता है. पोल को हिन्दी में ध्रुव भी कहते हैं

ध्रुव तारेको कैसे ढूँढा जा सकता है ? यदि रातको आपको उत्तर दिशा मे ध्रुव का तारा को ढूंढना हो तो सप्तर्षि तारों की सहायता लेना सबसे सरल उपाय है. सप्तर्षि तारे के दो ऋषियों की सीधी रेखा में उत्तर की तरफ देखने पर आपको जो सबसे चमकता हुआ तारा नजर आएगा वह ध्रुवतारा है.

प्राचीन समय मे मछुआरे रातके समय सप्तऋषि तारे के सहारे ध्रुव का तारा ढूंढ़ निकालते थे. फिर वे अंदाजा लगाते थे कि पीठके पीछे की दिशा दक्षिण है, और अपने बायां हाथ (right hand ) के तरफ की दिशा पश्चिम और दायाँ हाथ (right hand) तरफ की दिशा पूर्व है.

ध्रुव तारा आकार में बहुत बड़ा होने के कारण खगोलशास्त्री इसे अत्यंत रोशनी वाला तारा भी कहते हैं. हमारा सूर्य भी एक तारा है. तारे स्वप्रकाशित होते है जबकि ग्रह पर प्रकाशित होते है. ध्रुवतारा हमारे सूर्य से भी बड़ा है. इस तारे का व्यास सूर्य से 30 गुना अधिक है. भार में यह हमारे सूर्य से 7.50 गुना अधिक है और इसकी चमक तो सूर्य से 22 सौ गुना अधिक है. सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है, जबकि ध्रुवतारे की दूरी पृथ्वी से 390 प्रकाशवर्ष है.

प्रकाश की गति एक सेकंड मे 186000 मिल ( अर्थात 297,600 ) किलोमीटर की दुरी तय करती है. यांनी प्रकाश की किरण 390 वर्ष में जितनी दूरी तय करेगी, ध्रुवतारा हमसे उतनी दूरी पर स्थित है !!! है ना आश्चर्य की बात.

वैज्ञानिको का यह भी मानना हैं कि 26 हजार वर्ष में एक बार ध्रुवतारे के स्थान में परिवर्तन आता है.

कई लोग ध्रुव के तारेको धर्मग्रंथों के साथ भी जोड़ते है. ध्रुव की कहानी के अनुसार, पांच साल का नन्हा ध्रुव राजा उत्तानपाद का पुत्र था, जिसे सौतेली मां ने अपने पिता के कंधे पर खेलने से मना कर दिया था. उसकी अपनी मां ने उसे सलाह दी कि वह अपना अधिकार खुद हासिल करे ध्रुव को यह मालूम हुआ कि जंगल में तपस्या करने से भगवान दर्शन देते हैं उसी उम्र में वह एक दिन जंगल चला गया और तपस्या करने लगा. उसकी छह महीने की घोर तपस्या से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया कि उसे पिता का प्यार भी मिलेगा और मृत्यु के बाद वह एक ऐसा तारा बनेगा, जो पूरे ब्रह्मांण को दिशा दिखाएगा.

बालक ध्रुव घर लौट आया था और छह साल की ही उम्र में राजा बन गया था उसने एक आदर्श राजा के रूप में अपनी प्रजा की सेवा की मरने के बाद वह तारा बन गया. जिसे हम सब लोग ध्रुवतारा कहते हैं.

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

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