देशमें दूरदर्शन का विस्तार.

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                समय की गति न्यारी है. कब समय बीत जाता है,पता ही नही चलता. जमाना तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है. इलेक्ट्रॉनिक औजारों मे क्रांति आयी है. मुंबई – भाईंदर मे एक सामान्य कैटेगरी मे लैंड लाइन फोन पानेके लिए करीब 14 साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी. आज दो सालके वच्चे से लेकर करीब 70 सालके बुजुर्गो के हर हाथ मे एक मोबाइल फोन है.

          सन 1970 तक ट्रांजिस्टर या रेडियो वापरनेके लिए पोस्ट ऑफिस से 

लाइसेंस लेने की जरुरत पडती थी. घर मे रेडियो होना प्रतिष्ठा की निशानी मानी जाती थी. समय ने करवट बदली और आज नयी पीढ़ी के स्मार्ट मोबाइल मे रेडियो, कैमरा , घड़ी , कैलकुलेटर, पत्र की जगह SMS सेवा, वॉइस रिकॉर्डिंग सेवा, लाइव वीडियो कॉल, कैलेंडर और बैटरी जैसी अनेक सुविधा एक मोबाइल मे उपलब्ध है.

       हमारे भारत देश मे दूरदर्शन का पहला प्रसारण तारीख 15 सितंबर, 1959 के दिन प्रयोगात्‍मक आधार पर सिर्फ आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था. तब दूरदर्शन का प्रसारण एक सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था. उस समय उसका नाम

 ” टेलीविजन इंडिया ” रखा गया था.

      बाद में सन 1975 में इसका हिन्दी नामकरण”दूरदर्शन” नाम से किया गया. यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया.

      प्रारंभ मे एक बड़ा ट्रांसमीटर और 18 टेलीविजन सेट दिल्ली मे लगे थे. जो लोगोंको अजूबा लगता था.

      उसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरे अपना कारोबार का प्रसार किया था और दिल्‍ली (1965), मुम्‍बई (1972), कोलकाता (1975), चेन्‍नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत की थी. शुरु में तो दूरदर्शन दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था.

        दूरदर्शन को देश भर के हर शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी सन 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल. एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि ब्लैक एंड वाइट दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था. फिर प्रसारण ता : 7 जुलाई 1984 को दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम ” हम लोग ” जिसने लोकप्रियता के सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए थे.

        सन 1984 में देश के हर गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए कोशिश की गई. बाद भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद आया. जिससे धारावाहिक के किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ हर घर में लोकप्रिय हो गये.

बाद एक से बढ़कर एक धारवाहिक आयी. सन 1980 के दशक में मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार ,शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार किया बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता प्राप्त हुई थी.

         दूरदर्शन पर रामायण , महाभारत जैसी धार्मिक धारावाहिकों ने तो मानों अकल्पनीय सफलता हासिल की. सन 

1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुआ महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था. दुकानों मे ग्राहकी ठप हो जाती थी.

       रामायण की लोकप्रियता इतनी थी कि कई लोग तो अपने घरों को साफ सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के पुरे होने पर प्रसाद बाँटी जाती थी.

       दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को दिल्ली केंद्र के प्रथम प्रसारण से हुई थी.बाद में 1972 में दूरदर्शन केंद्र मुंबई से दूसरा प्रसारण प्रारंभ हुआ. सन 1975 तक यह सिर्फ 7 शहरों तक ही सीमित था. दूरदर्शन की विकास यात्रा सन 1982 में रंगीन टेलीविजन आने के बाद तेजी से आगे बढ़ी थी.

    इसके बाद एशियाई खेलों के प्रसारण से इस दिशा में क्रांति आयी. वर्तमान मे 

2 राष्‍ट्रीय व 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं. यह दूरदर्शन 14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 46 स्‍टूडियो के साथ यह देश का सबसे बड़ा प्रसारण कर्ता है.

     सन 1966 में कृषि दर्शन कार्यक्रम के जरिए दूरदर्शन देश में हरित क्रांति लाने का सूत्रधार बना. कृषि दर्शन सबसे लंबा चलने वाला दूरदर्शन का प्रोग्राम है. हमलोग, बुनियाद, रामायण, महाभारत, नुक्‍कड़, जैसे कार्यक्रमों ने दूरदर्शन की लोकप्रियता को बुलंदियों पर पहुंचाया.

ता : 3 नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू हुआ था.

        यूनेस्को ने भारत को दूरदर्शन शुरू करने के लिए 20,000 डॉलर और 180 फिलिप्स टीवी सेट दिए थे.

          हम लोगोंने देखा की भारत देश का सर्व प्रथम दूरदर्शन केंद्र नई दिल्ली है. जिसका प्रसारण प्रारंभ सन 1959 मे हुआ था. मगर वैश्विक स्तर पर देखा जाय तो दूरदर्शन अर्थात टेलीविजन का सर्वप्रथम प्रयोग ता: 25 जनवरी 1926 को इंग्लैंड के एक इंजिनियर जॉन बेयर्ड ने किया था. बादमे क्रमशः आजतक विकास होता रहा है.

        हमारे देशका ध्येय वाक्य सत्यमेव जयते (सत्य की ही जीत होती है.) है,इसी तरह ही दूरदर्शन का ध्येय वाक्य सत्यम शिवम सुंदरम है. इसका अर्थ है सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है, सुंदर ही सत्य है.

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