नया साल के एक दिन आगेसे कई लोग 31 दिसंबर से ही मानो साल भर की थकान दूर करने होटल, बीच , फार्म हाउस या रिसोर्ट मे पहुंच जाते है. नशेडियोका तो ये मनपसंद त्यौहार है. शराब, सुंदरी और खानपान के पीछे रुपियों की बारिश बरसाई जाती है. दो नंबर की कमाई करने वालों के लिए ये सुनहरा मौका होता है. खाओ, पीओ और मौज करो.
भारत ही नहीं पुरे विश्व भर मे ये हालत बनी हुई है. तो हममेसे कई लोग पारम्पारिक तरीके से नये वस्त्र परिधान करके मन पसंद रेसिपी बनाकर आनंद लेते है. 31 दिसंबर की रात ठीक बारा बजने के बाद आतिशबाजी होती है. लोग रास्ते पर उतरकर पटाखे फोड़कर, नाच – गान करके अपनी खुशी व्यक्त करते है.
कई लोग जवानी की जोश मे होश खो कर, शराब के नशे मे ड्राइविंग करते है. और ओरोको खतरे मे डालते है. मांसाहार करने वाले लोग इस दिन मटन, मुर्गी की पार्टी मनाकर लुफ्त उठाते है. क्रिश्चन लोग चर्च मे जाकर परमेश्वर येशु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है.
शायद येशु आज हमारे बिच हयात होता तो लोगोंको उपदेश देता था कि मैंने पुरे जीवन मे दीन दुखियोंकी सेवा की. मानवता का उपदेश दिया. अन्याय के खिलाफ लड़ते मौत को गले लगाया. मेरे जन्मदिन को आप लोग दीन दुःखी गरीब लोगोंकी सेवा करके मनाओ. एक दूसरे की मदद करो. गरीबों को खाना खिलाओ उन्हें नये वस्त्र दो. भूखे को अन्न दो. भाईचारा का पालन करो.
येशु ने ” Love thy Neighbour love thy self ” का नारा दिया. लोगो का प्यार और झुकाव ईसा मसीहा के प्रति बढ़ता गया जो तत्कालीन यहूदियों के कट्टर पंथी धर्मगुरुओं को खटकने लगा. उन लोगो को ईसा प्रभु में मसीहा जैसा कुछ ख़ास नहीं दिखा. उसे क्रूस पर लटकाया गया. उस वक्त ईसा की उम्र 33 साल की थी. बादमे ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को विश्व में सभी जगह फैलाया. यही धर्म ईसाई धर्म के नाम से प्रचलित दुनिया भर मे प्रसिद्ध हुआ.
क्रिश्चन धर्म गुरुओंको आदर से होली फादर कहते है. रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप, वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं. ‘पोप’ का अर्थ ‘पिता’ होता है. यह लैटिन के “पापा” शब्द से व्युत्पन्न हुआ है जो स्वयं ग्रीक के पापास से व्युत्पन्न है. पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं. संत है, तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं
क्रिश्चन धर्मग्रंथ ” बाइबिल ” में दो भाग हैं. पहला भाग पुराना नियम कहलाता है, जो कि यहूदियों के धर्मग्रंथ तनख़ का ही संस्करण है. दूसरा भाग नया नियम कहलाता है, तथा ईसा के चमत्कार, उपदेश और उनके शिष्यों के कामों का वर्णन करता है.
क्रिश्चन धर्म विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है, ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह है. जिसका अनुसरण करने वाले अनुयायीओ को ईसाई कहते है. ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम सिटी में हुआ था. माता का नाम मरियम था. जो गलीलिया प्रांत के नाज़रेथ गाँव मे रहती थीं. उनके पिता का नाम युसूफ था.
येशु के बारेंमे कहां जाता है की उन्होंने 13 साल की उम्र से 29 साल की उम्र तक क्या किया इसका कोई उल्लेख बाइबल मे कही नहीं मिलता. हो सकता हैं उन्होंने अज्ञातवास मे घोर तपस्या की हो.
बताया जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत केरल के तटीय नगर क्रांगानोर में हुई थी. जहां, ईसा के बारह प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस ईस्वी सन 52 में पहुंचे थे. कहा जाता हैं कि उन्होंने उस काल में सर्वप्रथम कुछ ब्राह्मणों को ईसाई मे धर्म परिवर्तन कराया था. बाद मे आदिवासियों को धर्मान्तरित किया था. दक्षिण भारत में सीरियाई ईसाई चर्च सेंट थॉमस के आगमन का संकेत देता है.
बाद मे सन 1542 में सेंट फ्रांसिस जेवियर के आगमन के साथ भारत में रोमन कैथोलिक धर्म की स्थापना हुई थी. जिन्होंने भारत के गरीब हिन्दू और आदिवासी इलाकों में घूम कर लोगों को ईसाई धर्म की शिक्षा देकर क्रिश्चन बनाने का कार्य शुरू किया था. तब कुछ लोगोंने उन पर सेवा की आड़ में भोले भाले लोगों को धर्मान्तर कराने का आरोप लगाया था.
भारत की आजादी के बाद क्रिस्ट प्रचारक मदर टेरेसा पर सेवा की आड़ में बड़े पैमाने पर गरीब लोगों को ईसाई मे परिवर्तन करनेके आरोप लगे. अंग्रेजों के शासन काल में यहां कॉन्वेंट स्कूल और चर्च के माध्यम से ईसाई संस्कृति और धर्म का व्यापक प्रचार और प्रसार किया गया था.
शायद आपको पता नहीं होगा कि ” मदर टेरेसा ” का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था. मदर टेरेसा का जन्म ता : 26 अगस्त, सन 1910 के दिन स्कॉप्जे, फील हाल अब मसेदोनिया में एक अल्बेनीयाई परिवार में हुआ था. मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं. मदर टेरेसा ने भारत में ” निर्मल हृदय ” और ” निर्मला शिशु भवन’ ” के नाम से आश्रम खोले जहां पर वह अनाथ और गरीबों को रखती थी. सन 1946 में गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया.
सन 1948 में स्वेच्छा से उन्होंने भारतीय नागरिकता ले ली और व्यापक रूप से ईसाई धर्म की सेवा में लग गई. सत्तर के दशक मे कई लोगोंने उनपर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया.
सनातन हिंदू धर्म प्रणाली मे सुबह सूर्योदय से दूसरे दिन सूर्योदय के काल को एक दिन कहां जाता है, मगर ईसवी सन कलेण्डर के अनुसार इनका दिन रात को ठीक बारा बजे बदलता है. इसीलिए रात बारा बजे लोग जश्न मनाते है.
एक जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद शुरू हुई थी. ये ईसाइयों का कैलेंडर है. ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलित था जिसमें सिर्फ 10 माह का एक साल होता था.
भारत में हिंदू नववर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है. जिसे महाराष्ट्र मे गुड़ी पाडवा कहते है. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्रमा जी ने इसी दिन से संसार की रचना को शुरू किया था.
इस्लामिक नव वर्ष हिजरी कैलेंडर के मुताबिक मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम महीने की पहली तारीख को अपना नया साल मनाते हैं.
सिख नव वर्ष नानक शाही कैलेंडर के अनुसार ता : 14 मार्च को होला मोहल्ला नया साल होता है. इसे वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है.
जैन धर्म में नए साल को निर्वाण संवत कहा जाता हैं. ये दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इससे एक दिन पहले ही महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.
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