हुक्का किसे कहते है :
हुक्का के बारेमे जानना आप लोगों को दिलचस्प होगा. हुक्का एक प्रकार का ऐसा उपकरण होता है, जिसका उपयोग धूम्रपान करने के लिए किया जाता है. हुक्का के अंदर से आने वाला धुआं पानी के अंदर से आता है व इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला तम्बाकू भी अलग-अलग फ्लेवर (स्वाद) में आता है. आजकल तो हुक्का के तम्बाकू सेब, मिंट, चॉकलेट, लीकोरिस, कैपेचीनो तरबूज और चेरी आदि फ्लेवर में आने लगे हैं.
हुक्का पीने वाले सारे लोग का यह मानना हैं कि सिगरेट के मुकाबले यह कम हानिकारक होता है, लेकिन हुक्का पीने से सिगरेट पीने के समान ही इसका नुकसान होता है. हुक्का पीने से ओरल कैंसर, लंग कैंसर, पेट का कैंसर, खाने की नली का कैंसर आदि गंभीर बीमारी हो सकती है.
हुक्का के सेवन करने से फेफड़ों के ठीक से काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती रहती है और हुक्का पिने से दिल संबंधी रोगों के जोखिम बढ़ जाते हैं. इतना ही नहीं हुक्का पीने से व्यक्ति की प्रजनन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है और बांझपन का जोखिम अत्यधिक बढ़ जाता हैं.
हुक्का पीने वाले व्यक्ति से आने वाला धुंआ भी काफी हानिकारक होता है. हुक्के के निकलने वाले धुंए में काफी मात्रा में हानिकारक विषारू पदार्थ पाए जाते हैं, जिसमें मोनोक्साइड, कार्बन, टार धातु के विषैले और ऐसे केमिकल शामिल हैं, जो कैंसर का मुख्य कारण बन सकते हैं.
वास्तव में सिगरेट पीने वाले लोगों के मुकाबले हुक्का पीने वाले लोगों के शरीर के अंदर में अधिक धुंआ और कार्बन मोनोक्साइड गैस जाती है. वैसे हुक्का से भी शरीर के भीतर लगभग उतना ही निकोटीन प्राप्त होता है, जो सिगरेट पिने से मिलता है.
हुक्का पी रहे व्यक्ति से निकलने वाले धुएं के संपर्क में आना सेकेंड हैंड स्मोक होता है. यदि कोई गर्भवती हुई महिला हुक्का पीती है, तो उससे होने वाले शिशु का वजन सामान्य से कम हो सकता है. हुक्का बार और कैफ़े आदि में इस्तेमाल की गई हुक्का पाइप को अच्छे से साफ नहीं किया जाता, जिस कारण संक्रमण व अन्य रोग फैलने का भी खतरा काफी रहता है.
हुक्का अलग-अलग आकार-प्रकार और स्टाइल में आता है. आजकल तो हुक्के का डिजाइन भी काफी मॉडर्न बना दिया गया है, आजकल के हुक्के को धातु से बनाया जाता है. इसके ऊपर चिलम और नीचे पानी का बर्तन भी धातु से ही बना होता है. साथ में इसमें 3 से 4 पाइप लगे होते हैं, ताकि एक साथ कई लोग पी सकें.
कुछ प्रकार के हुक्के ऐसे होते हैं, जिनमें सिर्फ एक ही पाइप लगी होती है और ग्रुप में पीने के दौरान एक ही पाइप से सब बारी बारीसे पिया करते हैं. इतना ही नहीं आजकल हुक्के को कई अलग अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे नारघाइल, शीशा, हब्बल-बब्बल और गोजा आदि.
हुक्का के लिए इस्तेमाल किए गए तंबाकू में हल्की-हल्की मिठास लाने के लिए उसमें कई चीजें मिलाई जा सकती हैं, जैसे गुड़, फलों के छिल्के या शहद आदि. आजकल तो तंबाकू में कई प्रकार के फ्लेवर भी आने लगे हैं, जैसे नारियल, मिंट, कॉफी और अन्य फलों के फ्लेवर आदि. तंबाकू में अलग-अलग फ्लेवर व सुगंध आने से आजकल की युवा पीढ़ी भी हुक्का की तरफ काफी आकर्षित होने लगी है.
हुक्के का इस्तेमाल लगभग 400 सालों से हो रहा है, जिसकी शुरुआत भारत और एशिया में हुई थी. ई. सन 1600 की शुरुआत में भारत के एक फिजीशियन “हकीम अब्दुल फतेह” ने हुक्के का आविष्कार किया था. तब उनका मानना यह था कि तंबाकू का धुंआ पानी के अंदर से निकलने के बाद इतना हानिकारक नहीं रहता है.
हुक्का छोड़ना आसान तो नहीं होता, लेकिन हुक्का छोड़ने के लिए सबसे जरूरी होता है पहला कदम ठीक से उठाना और उसका पालन करना.हुक्का छोड़ने के दौरान आने वाली चुनौतियों के प्रति पहले ही तैयार रहना जरुरी है.
ज्यादातर लोग जो हुक्का छोड़ देते हैं, वे तीन महीनों के अंदर फिर से पीना शुरू कर देते हैं.
घर, ऑफिस या कार में तंबाकू वाले अन्य पदार्थों का इस्तेमाल ना करें.
सिगरेट की डिब्बी, लाइटर, एशट्रे और माचिस आदि को अपने आस-पास ना रखें. उन सभी कपड़ों को धो लें जिनसे धुंएं या तंबाकू जैसी गंध आती हो. कार, फर्नीचर, पर्दे और कालीन आदि को भी धो कर अच्छे से साफ कर लें, ताकि उनमें से तंबाकू या धुंए की गंध ना आए.
यदि आपको निकोटीन की तलब होती है, तो आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं. डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाएं देकर तंबाकू की तलब के लक्षणों को कम कर सकते हैं. यदि किसी कारण से आप डॉक्टर के पास नहीं जा सकते, तो भी आपके लिए ऐसे बहुत से प्रोडक्ट मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हैं जो हुक्का छुड़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं. ये प्रोडक्ट डॉक्टर की पर्ची के बिना ही मिल जाते हैं (ओटीसी), जो चुइंगम, चूसने वाली गोलियां व अन्य कई रूपों में उपलब्ध हैं.
क्या सिगरेट की तरह हुक्के की भी लत लग जाती है?
जैसा कि कुछ लोग सोचते हैं कि सिगरेट के मुकाबले हुक्का हमारे शरीर को कम हानि पहुंचाता है, वैसे ही कुछ लोगों का मानना है कि हुक्के की लत नहीं लगती. हालांकि सच्चाई यह है कि सिगरेट की तरह इसमें भी निकोटीन होता है जिसकी आदत पड़ जाती है. सिगरेट की तरह ही हुक्के की लत को छुड़ाना भी मुश्किल हो सकता है.
आजकल तो देश के कई बड़े शहरों में हुक्का पार्लर चल रहे. मुंबई सहित शहर के कई जगह धड़ल्ले से हुक्का बार चल रहे हैं. ज्यादातर जगह पर नाबालिगों को हुक्के में फ्लेवर्ड के नाम पर तंबाकू का सेवन करवाया जाता है.
हुक्का बार में मादक पदार्थ का सेवन करवाया जाना अपराध है. IPC धारा के तहत कार्रवाई का अधिकार पुलिस के पास है.