जर्मनी को यहूदियों से मुक्त कराने की नाजी योजना को “अंतिम हल” कहा गया था. उसके वर्षों बाद उसे प्रलय या “होलोकॉस्ट” कहा गया. ” होलोकॉस्ट ” एक उभरती हुई प्रक्रिया थी जो ई. सन 1933 और 1945 के बीच पूरे यूरोप में हुई. यहूदीओका विरोधवाद होलोकॉस्ट की नींव था.
वैसे होलोकॉस्ट नाज़ी जर्मन शासन और उसके सहायक और सहयोगियों द्वारा साठ लाख यूरोपीय यहूदियों का व्यवस्थित, राज्य प्रायोजित उत्पीड़न और हत्या थी. यह एक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यूरोपी यहूदियों का नाज़ी जर्मनी द्वारा किया गया जाति-संहार था. उनको जड़ मूल से मिटाने की एक साजिस थी. वास्तव में ये एक निर्मम नरसंहार था. ये सोचा समजा और योजनाबद्ध प्रयास था. जो इतिहास पर काला धब्बा था.
1930 के दशक मे शासनने यहूदियों पर देश छोड़नेके लिए दबाव डाला.
जनवरी 1933 में एडॉल्फ हिटलर को चांसलर नियुक्त किए जाने के बाद जर्मनी में होलोकॉस्ट शुरू हुआ. करीब तुरंत, नाज़ी जर्मन शासन ने यहूदियों को आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से बाहर कर दिया था.
ई. सन 1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़कानेके बाद एडॉल्फ हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल को अमल में लाना शुरू किया. उसके सैनिक यहूदियों को कुछ खास इलाकों में ठूंसने लगे. उनसे काम करवाने, उन्हें एक जगह इकट्ठा करने और मार डालने के लिए विशेष कैंप स्थापित किए गए, जिनमें सबसे कुख्यात था ” ऑश्वित्ज.”
1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़काने के बाद हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल को अमल में लाना शुरू किया था. बताया जाता है कि ऑश्वित्ज के नाजी होलोकॉस्ट सेंटर पर एडॉल्फ हिटलर की खुफिया एजेंसी एसएस यूरोप देशों से यहूदियों को पकड़कर यहां लाती थी.
यहां काम करने वाले लोगों को जिंदा रखा जाता था, जबकि जो बुढ़े या अपंग लोग होते थे उन्हें गैस चेंबर में डालकर मार दिया जाता था. इन लोगों के सभी पहचान के सभी दस्तावेजों को नष्ट कर हाथ में एक खास निशान बना दिया जाता था.
बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के समय जब पोलैंड के ऑश्वित्ज में हिटलर की हैवानियत का सबसे बड़ा सेंटर नाजी होलोकॉस्ट पर तत्कालीन सोवियत सेना ने कब्जा कर लिया था. बताया जाता है कि अकेले इसी कैंप में हिटलर के आदेश पर 11 लाख से अधिक यहूदियों को गैस चेंबर में बंद करके मार दिया गया था.
कैंप में नाजी सैनिक यहूदियों को तरह तरह की यातनाएं दी जाती थी. वे यहूदियों के सिर से बाल उतार देते थे. उन्हें बस जिंदा रहने भर का ही खाना दिया जाता था. भीषण ठंड में भी इनकों केवल कुछ चिथड़े ही पहनने को दिए जाते थे. इस कैंप में किसी भी कैदी को सजा सार्वजनिक रूप से दी जाती थी, जिससे दूसरे अन्य लोगों के अंदर भी डर बना रहे.
यहूदियों को क्यों मारना चाहते थे नाजी नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी को नाज़ी कहा जाता था. नाजी पार्टी जर्मनी में एक राजनीतिक पार्टी थी जो सन 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद स्थापित हुई थी. नाजी नेतृत्व का कहना था कि दुनिया से यहूदियों को मिटाना जर्मन लोगों और पूरी इंसानियत के लिए फायदेमंद होगा. वास्तव में देखा जाय तो यहूदियों की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं था. इसके लिए उन्होंने उम्र, लिंग, आस्था या काम की परवाह नहीं की.
सन 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खात्मे के समय जब सोवियत संघ की सेनाओं ने ऑश्वित्ज पर कब्जा किया, तब जाकर यह कैंप बंद किया गया था. उस समय भी इस कैंप में सात हजार कैदी थे. वास्तव मे सोवियत सेना के हमले के पहले ही हार का अंदेशा देख नरसंहार से जुड़े कई सबूतों को नाजियों ने मिटा दिया था. फिर भी जो सबूत सोवियत सेनाओं के हाथ लगे वो हिटलर के जुल्म की दास्तां बताने के लिए काफी थे.
पूरे विश्व में होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस डे मनाया जा रहा है. होलोकॉस्ट जर्मन तानाशाह हिटलर के अत्याचारों की निशानी है. तारिख : 27 जनवरी के दिन सोवियत संघ की सेना ने पोलैंड के ऑश्वित्ज पर कब्जा कर हजारों यहूदी कैदियों को रिहा करवाया था. 1947 में इस यातना शिविर को स्मारक बना दिया गया था. हर साल 27 जनवरी को इजरायल, जर्मनी, अमेरिका व दुनिया भर के देशों से बड़ी संख्या में यहूदी इस जगह पर अपनों को श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं.