नारी…. जगत जननी. ईश्वर की बनाई अनमोल पहेली. कभी सोचा है ? नारी के बिना ये जग कैसे होता ? ? ? शायद नर चिंपांजी बनकर जंगली अवस्था में एक जंगल से दूसरे जंगल में अन्य पशु, पक्षी और प्राणी की तरह जंगली अवस्था में इधर उधर भटकते रहेता …..!.
नारी को ईश्वर ने जीतनी कोमल बनाई है उतनी ही कठोर भी बनाई है. ये उठे तो मर्द का पंजा मरोड़ सकती है. नर को मोक्ष पानेके लिये सत्कर्म करना पड़ता है मगर नारी जाती मा बनतेही मोक्ष की अधिकारी बन जाती है.
संसार रूपी गाड़ी में नारी की भूमिका महत्त्व पूर्ण होती है. दांपत्य जीवन की शुरुआत में पति सर्वो सर्वा होता है, गाड़ी की लगाम पति के हाथो में होती है. धीरे धीरे पत्नी घर वालोंसे वाकिफ हो जाती है. सबकी कमजोरी को आत्मसात कर लेती है, और बढ़ती उम्र के साथ मौका मिलतेही पति को दबाकर पति से घर की लगाम छीनकर अपने हाथो मे ले लेती है. और अपनी हकूमत चलाने लगती है. रंग दिखाने लगती है. पति लाचार बनकर बच्चो का भविष्य की ओर देखते हुए चुपचाप सहन करते जाता है. यही हमारी परम्परा है,, ! हर घर घर की कहानी है… !.
नारी शक्ति को कम आंकना मूर्खता होगी क्योकि इसके आगे देव भी हार मान लेते है. ये ही नारी कल्पना चावला बनकर आकाश में उड़कर दुनिया में भारत का नाम रोशन करती है. झांसी की राणी बनकर दुश्मन का खात्मा करती है. शूरवीरता का पाठ सिखाती है. इंदिरा गांधी बनकर देश की प्रधान मंत्री बनती है. मेडम क्यूरी बनकर रेडियम की शोध करती है. लता मंगेशकर बनकर संगीत की गायक की दुनिया में अपना नाम रोशन करती है. ये हर भूमिका बखुबी निभाती है, पत्नी – मा – बहेन – भाभी – मामी – चाची – ननन्द – बुआ – देवरानी – जेठानी वगेरे वगेरे.
यही सीता माता बनकर अग्नि परीक्षा दे कर पवित्रता का पाठ सिखाती है. यही महा काली माँ बनकर राक्षसोंका नाश करती है. शबरी बनकर प्रेम की परिभाषा लोगोको सिखाती है. यही माता चामुंडा बनकर चंद – मुंड का वध करती है. यही मदर टेरेसा बनकर दीन दुखियोंकी सेवा करती है. यही मीराबाई बनकर प्रेम का पाठ सिखाती है.
नारी तु महाशक्ति है. नारी तु महालक्ष्मी है. नारी तु सरस्वती है. नारी तु महारानी पार्वती है. नारी तु आद्यशक्ति है. नारी तु अम्बा, भवानी, जगदंबा है. नारी तु महा काली है.
मित्रों,
हम नारी सशक्तिकरण की तो बात करते है पर नाबालिग लड़की आज भी सुरक्षित है ? नारी को आज भी प्रताड़ित किया जा रहा है. यह हमारी सभ्यता हे ?
नारी को आज भी भोग विलास का साधन माना जा रहा है. कई अन्य धर्मो में तो नारी को बच्चे पैदा करने वाला मशीन माना जाता है. यही हमारी मानसिकता हे ?
लोंगो की यह मानसिकता में सुधार लानेकी जरुरत है. नारी को इज्जत देना हमारी सनातन सभ्यता है. नारी अब अबला नहीं है. पुरुषो के साथ कदम मिलाकर चलती है. नारी अब सबला बन चुकी है. जगत जननी नारी को सलाम.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.