आपने पशु , पक्षी को कपडे पहनते कभी देखा है ? पुरे विश्व में सिर्फ इंसान ही ऐसा प्राणी है, जो कपड़े पहनता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी धरती पर कई ऐसे समुदाय हैं, जो कपड़े नहीं पहनते.
कुछ आदिवासी समुदाय आज भी कपड़े नहीं पहनते और ये आदिवासी समाज आमतौर पर खुद को मुख्यधारा से दूर रखते हैं. मगर मै जिस समुदाय की बात कर रहा हूं, वें ना तो आदिवासी है या ना तो अशिक्षित है. हम जिस गांव की बात कर रहे है वह काफी आगे है.
कुछ ऐसा ही एक अजीबोगरीब गांव के बारे में हम बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर हैरान जरूर हो जाएंगे. क्या आपने ऐसी जगह के बारे सुना है, जहां सभी बिना कपड़ों के रहते हों। ऐसा नहीं है कि वह सभी गरीब हैं या फिर उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं. लेकिन यह वहां की वर्षों पुरानी परंपरा है.
ये ब्रिटेन का एक सीक्रेट गांव है, जहां लोग सालों-साल से बिना कपड़ों के रहते हैं. वैसे वहां के लोगों के पास मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी नहीं है. लेकिन परंपरा और मान्यताओं को मानने वाले वहाके सभी लोग बिना कपड़े के ही रहते हैं.
मिरर डॉट कॉम खबर के मुताबिक, हर्टफोर्डशायर (Hertfordshire) के स्पीलप्लाट्ज (Spielplatz) गांव में न सिर्फ बड़े-बूढ़े बल्कि बच्चे भी बिना कपड़ों के ही रहते हैं. हर्टफोर्डशायर का यह गांव ब्रिटेन की पुरानी कॉलोनियों में से एक है. यहां पर न सिर्फ अच्छे मकान हैं, बल्कि शानदार स्विमिंग पूल, लोगों को पीने के लिए बीयर जैसी सुविधाएं भी मौजूद है. पिछले 94 करीब सालों से ज्यादा समय से यह लोग यहां ऐसे ही रह रहे हैं.
दुनियाभर में लोगों ने इस गांव पर कई डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म भी बना चुके हैं. यहां पर पड़ोसी, पोस्टमैन और सुपमार्केट डिलेवरी करने वाले लोग अक्सर आते ही रहते हैं. इस गांव का नाम स्पीलप्लाट्ज (Spielplatz) है, जिसका मतलब होता है प्लेग्राउंड यानी खेल का मैदान.
ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर में करीब 94 सालों से इस गांव के लोग बिना कपड़ों के ही रहते हैं. इस गांव के लोग पूरी तरह से शिक्षित हैं. धन-दौलत भी है. लेकिन, इसके बावजूद बच्चे, बूढ़े, महिला और पुरुष सभी बिना कपड़ों के ही रहते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव की खोज सन 1929 में इसुल्ट रिचर्डसन ने की थी. जब उन्होंने इस गांव की खोज की तो फैसला किया कि वह चकाचौंध की दुनिया से दूर इस गांव में अपना जीवन बिताएंगे. इस गांव में पब, स्वीमिंग पूल, क्लब की भी व्यवस्था है. इतना ही नहीं जो लोग इस गांव को देखने आते हैं उन्हें भी इन नियमों का पालन करना पड़ता है.
हालांकि, अगर सामान लेने के लिए कोई भी शहर या कहीं और जाता है तो कपड़े पहनता है. वहीं, लौटते ही सब बिना कपड़ों के हो जाते हैं. इसके अलावा जब ज्यादा ठंड पड़ती है तो लोगों को कपड़े पहने की आजादी है. या फिर किसी और कारण से किसी को कपड़े पहनने की इच्छा होती है तो वह पहन सकता है. वहीं, लोग इस तरह से आपस में घुले मिले हैं कि उन्हें इस बात को लेकर बिल्कुल ही तकलीफ नहीं होती कि वह बिना कपड़ों के हैं. कई सामाजिक संस्थाओं ने इस का विरोध भी किया. लेकिन, बाद में यह बंद हो गया.