पत्रकारिता जगत की कुछ विशेष बातें.

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जमाना तेजीसे बदलते जा रहा है. मोबाइल टेक्नोलॉजी ने तो सबके सब समीकरण बदल कर रख दिये है. पोस्ट ऑफिस के पत्र की जगह SMS ने छीन ली. घड़ी, कैलकुलेटर, रेडिओ, टेप रिकॉर्डर, फोन, कैमरा और विडिओ जैसे अनेक आविष्कारो को मोबाइल टेक्नोलॉजी ने अपने में समा लिया हैँ.

एक हमारा जमाना था जब हमारे समकालीन लोग, सुबह मे चाय की पहली चुस्की अख़बार को पढ़ते पढ़ते लिया करते थे. फिर नया जमाना आया इलोकट्रोनिक मीडिया का. देश में प्रथम दूरदर्शन का प्रारंभ होते ही लोग टी व्ही टेक्नोलॉजी के दीवाने बने. आजतक, जी न्यूज़ जैसी निजी चेनलो के आगमन के बाद दर्शक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पसंद करते दिखाई दिए.

मोबाइल टेक्नोलॉजी के विस्तार के चलते सोशल मिडिया ने सब लोगोंको अपना बनाकर रख दिया. अधिकांश लोगोंके हाथ में स्मार्ट फोन आ गया.

सन 1997 में विश्व का सबसे पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च हुआ. इसका नाम सिक्सडिग्री था. इस नये प्लेटफॉर्म को एंड्रयू वेनरिच सर ने शुरू किया था. सन 2001 में इसके दस लाख से ज्यादा यूजर्स थे. हर साल लोग 30 जून को सोशल मीडिया दिवस के रूपमें मनाते है.

वर्तमान में हर मोबाइल धारक पत्रकार है. कही भी कोई भी घटना को मोबाइल धारक मोबाइल कैमरा में कैद करके क्लिप को वायरल कर देता हैँ.

हमारे भारत देश में पत्रकारिता का आरम्भ छापखाने की पहली मशीन सन 1674 में पहुंचायी गयी थी. मगर भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 में प्रकाशित हुआ था. इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था.

पत्रकार मुख्य तीन प्रकार के होते हैं. (1) पूर्णकालिक (2) अंशकालिक (3) और फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र.

(1) पूर्णकालिक पत्रकार उसे कहा जाता है, जो किसी भी समाचार संस्थान में नियमित रूप से वेतन प्राप्त कर्मचारी के रूप में कार्य करता है. वो पूर्णकालिक पत्रकार किसी संस्थान का नियमित वेतन प्राप्त कर्मचारी होता है और वह अपना पूरा समय उस समाचार संस्थान के लिए देता है.

(2) अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर निश्चित सने के लिए काम करनेवाला पत्रकार है. कैरियर की शुरुआत के वर्षों में मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है और मैंने राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र ” संदेश ” मे कुछ समय के लिए अर्थात अंशकालिक रिपोर्टर के तौर पर कार्य किया है.

(3) फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र पत्रकार का संबंध किसी खास अखबार से नहीं होता है, बल्कि वे भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए वो लिखता है.

पत्रकारिता के अन्य रूप में :

खेल पत्रकारिता, महिला परकारिता, ग्रामीण पत्रकारिता, विकास पत्रकारिता, संदर्भ पत्रकारिता, संसदीय पत्रकारिता, रेडियो पत्रकारिता, दूरदर्शन पत्रकारिता, फोटो पत्रकारिता, विधि पत्रकारिता, अंतरिक्ष पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता, कृषि पत्रकारिता, और चित्रपट पत्रकारिता आदि अन्य पत्रकारिता का समावेश किया जा सकता हैं.

पत्रकार समाज का शिक्षक तुल्य होता हैं. एक अच्छे पत्रकार में वकील , वक्ता, मनोवैज्ञानिक, कुशल लेखक, और गुप्तचर के गुणों का समावेश होना चाहिए. तभी वह एक घटना में समाचार का बोध कर उसे जनता के समक्ष ला पाता है. इसके अतिरिक्त उसे दूरदर्शी भी होना चाहिए, तभी यह समझ पाएगा कि किस खबर का लोगों, समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

समाचार किसे कहते हैं. समाचार कैसा होना चाहिए ? समाचार में कुछ नया होना चाहिए. इसीलिए तो अंग्रेजी में इसे न्यूज़ ( कुछ नया ) कहा जाता हैं.

यदि कुत्ता इंसान को काटे तो उसे न्यूज़ नहीं कहा जाती मगर इंसान अगर कुत्ते को काटे तो वो खास न्यूज़ बन जाती हैं.

एक पत्रकार तभी अच्छा पत्रकार बन सकता हैं, जब उसके पास भाषा का भंडार हो. उसे शब्द के साथ खेलने का कसब हो. उसकी भाषा में शुद्धता हो, परिपक्वता हो.

पत्रकारों को लोकशाही का चतुर्थ स्तंभ माना जाता हैं. पत्रकार देश के लिए और लोकशाही की रक्षा के लिए मर मिटता हैं.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया – PCI एक वैधानिक और अर्ध-न्यायिक प्रतिष्ठान की स्थापना के उपलक्ष्य में देश भर में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है. भारतीय प्रेस परिषद ने इस दिन काम करना शुरू किया था. यह दिन भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है.

हर साल ता: 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है. आज ही के दिन साल 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार उदंत मार्टंड (द राइजिंग सन), कोलकाता पूर्व नाम कलकत्ता से सप्ताहिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित किया गया था.

पत्रकार उस व्यक्ति को कहते हैं जो समसामयिक घटनाओं, लोगों, एवं मुद्दों आदि पर सूचना एकत्र करता है एवं जनता में उसे विभिन्न माध्यमों की मदद से फैलाता है. इस व्यवसाय या कार्य को पत्रकारिता कहते हैं. संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं. स्तम्भकार यांनी (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं.

अभिव्यक्ति की स्‍वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्‍यक्‍त करने का एक राजनीतिक अधिकार है. इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान प्रदान करने का अधिकार रखता है.

संविधान के अनुच्छेद 19 सिर्फ भारत के नागरिकों ही स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है. इस अनुच्छेद में नागरिक शब्द का प्रयोग करके यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इसमें प्रदान की हुई स्वतन्त्रताएँ केवल भारत के नागरिकों को ही उपलब्ध हैं, किसी विदेशी को नहीं.

प्रेस कानून क्या हैं :

इस कानून के तहत जो कोई या तो बोले गए या पढ़े जाने के आशय से शब्दों या संकेतो द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में इस हादसे से लांछन लगता है तथा ऐसे लांछन से व्यक्ति की ख्याति की हानि होगी तो वह मानहानि का दावा कर सकता है.

इन्डियन पीनल कोड (IPC ) यानि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 में व्यक्ति की प्रतिष्ठा यानि की मान सम्मान की सुरक्षा के लिए कुछ प्रावधान हैं. इन्डियन पीनल कोड IPC की धारा 499 के तहत किसी के विषय वस्तु या व्यक्ति के बारे में अपमान जनक टिप्पणी करना, झूठी बात फैलाना, उसकी प्रतिष्ठा के खिलाफ कुछ लिखना, छापना या छपवाना मानहानि माना जाता है.

मानहानि करने के तरिके :

*** किसी के खिलाफ सोशल मीडिया पर बिना सहमति के पोस्ट करना.

*** दूसरे की जाती या धर्म के बारे में गलत या झूठा आरोप लगाना.

*** किस के खिलाफ पब्लिक में टिप्पणी या बयान देना.

*** अख़बार या टेलीविजन पर किसी के खिलाफ गलत रिपोटिंग करना.

*** किसी को गाली देना.

*** मानहानि से संबंधित साम्रगी को प्रकाशित करना.

*** ऐसी कोई कार्यवाही हो किसी को बदनाम करने की मंशा से की हो.

*** लिखित या मौखिक रुप से मानहानि करना.

दावा साबित होने पर दोषी को 2 वर्ष की साधारण कैद या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है.

उल्लेखनीय हैं कि मानहानि केस मुआवजे का 10% कोर्ट फीस लेता है.

इसलिए कोई व्यक्ति चाहे जितनी भी मानहानि की मांग करे, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि कोर्ट फीस का 10 प्रतिशत कोर्ट फीस देना होगा.

विश्व भर में बहुत सारी समाचार संस्थाएँ हैं, जैसे कि रॉयटर्स, पीटीआई (PTI) आईएएनएस (IANS) और एअनआई (ANI) इतियादी. आपने कभी देखा होगा कि समाचार मे लिखा हुआ रहता हैं…. रॉयटर्स…. पीटीआई.

एअनआई. वगेरा मतलब वह समाचार एजेंसी की वो न्यूज़ रहती हैं.

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) भारत की एक प्रमुख समाचार संस्था है.

यह समाचार एजेंसीका एशिया महाद्वीप के समाचार अभिकरणों में पहला स्थान है. देश भर में इसके 120 कार्यालय काम कर रहे है. रायटर युनाईटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) और आजांस फ़्रांस प्रेस (AFP) के साथ भी पीटीआई की खबरों का लेन देन का समबन्ध है.

इसकी स्थापना 27 अगस्त 1947 के दिन हुई थी. 500 समाचार पत्र व बीसीयों विदेशी समाचार समिति इसके ग्राहक हैं. यह स्वयं की उपग्रह डिलीवरी इनसेट उपग्रह पर एक ट्रांसपोंडर के जरिये समाचार सीधे सीधा ग्राहक तक पहुँचता हैं.ये संस्था इंटरनेटके जरिये भी समाचार भेजती हैं. इनके पास करीब 1300 कर्मचारी, जिनमें 350 पत्रकार हैं. देश में इसके 80 कार्यालय व विदेशों के प्रमुख शहरों में संवाददाता कार्य कर रहे हैं. इसी तरह अन्य समाचार एजेंसी ओकी अपनी निजी टीम हैं जिसके द्वारा अपने ग्राहक समचार पत्रों को समचार भेजते हैं.

हर समाचार पत्र के अपने भी निजी पत्रकार रहते हैं.

मुद्रण रेखा (Print Line) :

संपादक और मुद्रक के दायित्वों को कानून की दृष्टि से वैध बनाने के लिए समाचार पत्र के किसी पृष्ठ पर खासकर अंतिम पृष्ठ के किसी एक किनारे पर संपादक, मुद्रक, प्रकाशक, प्रेस एवं कार्यालय का नाम और पते का विवरण देने को ही मुद्रण रेखा के नाम से जाना जाता है.

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