” नाव ” को चलाने वाले को ” नाविक ” कहा जाता है. नाव का उपयोग माजी, माछी, कोली लोग, अपना उदर निर्वाह के लिये मच्छी पकड़ने के लिये करते है. नाव को, नैया, नौका जलयान, दूंगी और किश्ती भी कहा जाता है. ये पानी के उपर चलने या तैरने वाली सवारी है. नाव खास करके लकड़े की बनाई जाती है,मगर आजकल लोहा या प्लास्टिक के बनावट की भी नाव बनाई जाती है.
आजकल जहाजों में विरमाव्राइट का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है. विरमाब्राइट ऐल्यमिनियम की मिश्रधातु है, जो अत्यंत हलकी और मजबूत, होती है और खारा पानी भी उसे प्रभावित नहीं कर पाता है.
आपको शायद पता नहीं होंगा, मगर नावों के भी नाम होते है. जैसे जलपरी, जलबाला, सरस्वती, साबरमती, रंभा, मोहिनी, मेनका, कामिनी, रत्नसागर, दर्या सागर, किस्मत, जैसे हजारों नामो की नाव होती है. क्रिश्चन समाज के कोली लोग नाजरेथ, येशु, मरियम, बाइबल, क्रिसमस, योहान आदि धार्मिक नामो के मुताबिक अपनी नावों का नाम रखते है.
छोटी किश्ती को नाव कहा जाता है, जबकि बडी नावों को पोत या जहाज कहा जाता है. नाव के दस प्रकार बताये गये है. जिसमे (1) भीमा (2) दीर्धा (3) गर्भरा (4) क्षुद्रा (5) अभया (6) चपला (7) मध्यमा (8) मंथरा ((9) पत्रपुटा और (10) पटला. आदि ये छोटी नावों के प्रकार है.
बडी नावों मे (1) गामिनी, (2) लौला, (3) जंघला (4) गत्वरा (5) तरणि (6) प्लाविनी (7) दीर्घिका (8) तरि (9) वेगिनी और (10) धरणी आदि का समावेश है.
छोटी नावों को चप्पू ( oar) से चलाया जाता है. मतलब हाथोसे हलेसा मारकर चलाया जाता था. फिर मानव ने कपडे के सढ़ का आविष्कार किया, जो पवन शक्ति से चलता है, बादमे मोटर पंखे के मशीन से नावे चलने लगी.
आज वर्तमान युग मे पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाली, भाप ( steam ) से चलने वाली, बैटरी से चलने वाली और सूर्य शक्ति से चलने वाली नाव पाई जाती है. अब तो अंतराष्ट्रीय लेवल पर चलने वाली बडी बडी कार्गो जहाज, क्रूज़ और युद्ध पोत नेवी का जमाना चल रहा है.
आपने टाइटैनिक जहाज का नाम तो सुना होगा, जिस पर फ़िल्म बनी है. आजकल वैसे ही चार पांच माले इतने ऊँचे विशाल जहाज भी चल रहे है.
पनडुब्बी ( submarine ) भी नावका ही प्रकार है , जो पानी के भीतर चलती है. इसका युद्ध के लिये उपयोग किया जाता है.
पुराने जमाने मे माल सामान का परिवहन नावों द्वारा समुद्री मार्ग से होता था. तब समुद्री डाकू जहाजों को घेरकर लूट लिया करते थे. उनसे बचने के लिये जहाजों को शस्त्र रखने पड़ते थे.
खाड़ी या समुद्र मे नाव से व्यवसाय करने वालोको नाव का रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है, अनुमति लेनी पडती है, तथा पुलिस द्वारा जारी किया गया नंबर जहाज मे अंकित करना पड़ता है, जैसे हम लोग बाइक और कार का नंबर लिखते है. जो सागरी ट्रैफ़िक पुलिस द्वारा जारी किया जाता है. समय समय पर इसका रिन्यूअल कराना, उनके आदेशों का पालन करना होता है. बारिस मे मछवारों को दो महीने तक समुद्र मे मच्छी मारने की बंदी होती है.
क्योंकि उस समय बारिस मे समुद्र तूफानी होता है, तथा ये समय मच्छीयों का प्रजनन समय होता. आजकल मोबाइल टेक्नोलॉजी की वजह मौसम के पल पल की खबर मछुआरों को मिलती रहती है.
आंतकवादी कसाब एंड कंपनी द्वारा मुंबई हमले के बाद भारत भरमे समुद्री सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अब तो 24 घंटे मरीन पुलिस अलर्ट रहती है.
नाव चलाने वाला माजी का जिक्र हमारे धार्मिक ग्रंथ महाभारत तथा रामायण मे भी किया गया है.
नाव मे अनेकों हिंदी फ़िल्म की शूटिंग की गयी है जिसमे मनोज कुमार, हेमामालिनी अभिनित फ़िल्म, ” क्रांति ” बोल ” जिंदगी की ना टूटे लड़ी, प्यार करले घड़ी दो घड़ी.”
मिलन फ़िल्म ” सुनील दत्त और नूतन अभिनित गाना, सावन का महीना पवन करें शोर.
एक और जया भादुरी की यादगार फ़िल्म ” उपहार ” का माजी नैया ढूंढे किनारा एवं
दो जासूस का सदा बहार हिंदी गाना, जो कोकिल कंठी लता जी की आवाज मे रिकॉर्ड किया गया है. ” पुरवैया लेके चली मेरी नैया, जाने कहा रे…जाने कहा रे..
ये चारो गाना समय मिले तब अवश्य सुनीयेगा, मन प्रफुल्लित हो जायेगा.
——-===शिवसर्जन ===———