पानी समस्या मानव निर्मित

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गांव से लेकर बड़े शहर तक पानीकी विकरार विकट समस्या समग्र विश्व के लोगोंको नासूर बनकर परेशान कर रही है. पुरा विश्व पानी की किल्लत की वजह से त्राहित है. क्या आपको यह नही लगता कि ये समस्या मानव निर्मित है…? इस धरा की सतह पर 2/3 भाग मे पानी और 1/3 भागमे जमीन है. भले समुद्र का पानी खारा है मगर कुदरत हमें बारिस के रूपमें मीठा अमृत तुल्य पानी बरसाता है.

बढ़ती आबादी और जल संग्रह की कमी के कारण ही यह समस्या निर्माण हुई है. वैश्विक ऊष्णतामान का बढ़ता पारा, हवामे बढ़ रहा प्रदुषण ने दुनिया के लोगोंको चिंतित कर रखा है. फिर भी कुदरत हमें मीठा पानी बादल के माध्यम से बरसा तो रही है मगर मानव के अनियोजन की वजह से पानी संकट गहराता जा रहा है.

आप समज सकते है कि शहर में पेयजल की समस्या प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित समस्या है. यदि योग्य आयोजन किया जाय, जल संग्रह के श्रोतो को तलासा जाय तो पर्याप्त पानीका संग्रह हो सकता है. हमारे यहां पर्याप्त पानीके लिए देश की मुख्य नदियोको आपसमे जोड़नेकी बात तो की जाती है मगर चुनाव के बाद सब कुछ भुला दिया जाता है.

बढ़ती गर्मी और गिरते भू-जल स्तर का संशोधन करना ही होगा. हर गांव और शहर मे विध्यमान कुए, वाव, तालाबों का संवर्धन करना होगा. हर बिल्डिंगो मे वर्षा संग्रह की योजना कार्यान्वित करनी होंगी.

भारी वर्षा से पहाड़ियों या नदियों के आस-पास बादलों के फटने से भी नदियाँ जल से भर जाती हैं, मगर पानी समुद्र मे बह जाता है. कई साल पहले उतराखंड में आई भयंकर बाढ़ का प्रमुख कारण बादल का फटना था.

अतिवृष्टि भी खेतों को नुकशान पहुँचाती है. धरती पर जीवन का सबसे जरूरी स्रोत जल है क्योंकि हमें जीवन के सभी कार्योंको कार्यान्वयन करने के लिये जल की आवश्यकता पड़ती है, जैसे कि पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़ा धोने तथा फसल पैदा करने आदि के लिये.

जल का रासायनिक सूत्र h2o है.

दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन के अणुओं को मिलाकर जल बनता है.जल की तीन अवस्थाएं होती है:

(1) ठोस (solid)

(2) द्रव्य (liquid)

(3) गैस (gas)

हमारा शरीर 70% जल से बना हुआ है. मनुष्यके अलावा जीव, जंतु, पशु, पक्षी, प्राणी हर सजीव जीवोंको पानी की अति आवश्यकता होती है. पानी जीवन है, पानी के बीना जीव सृस्टि संभव नही है. सभी जीवोमे पानी की मात्रा अधिक होती है.

जल संकट किसे कहते है ? जल संकट जल उपयोग की मांगों को पूरा करने के लिए उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को कहा जाता है. दुनिया के सभी महाद्वीपों में रहने वाले लगभग 2.8 बिलियन लोग हर साल कम से कम एक महीने पानी की कमी से प्रभावित होते हैं. दुनियामें करीब 1.2 अरब से अधिक लोगों के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है.

गावोंमें लोग कुआ, वाव, तालाब का पानी पिने के लिए उपयोग करते है. मगर शहरों में रहने वाले लोगों के लिए नल का पानी ही सबसे सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प है. जो शुद्धिकरण करके भेजा जाता है. गावोंमें पीनेके पानी को साफ करने के लिए इसे पीतल, तांबे या मिट्टी के बर्तन में 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालकर पीने लायक होने पर ही उसे उपयोग में लेंना चाहिए.

एक बार उबाले गए पानी को आठ घंटे के भीतर प्रयोग कर लेंना चाहिए वर्ना इसमें वातावरण में मौजूद कई प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से फिर से अशुद्धियां आ जाती हैं.

पृथ्वी , इस ब्रह्मांड के सूर्यमण्डल में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पर पानी और ऑक्सीजन की उपलब्धता के कारण ही जीवन संभव हुआ है. जल पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है. हमारी पृथ्वी की सतह पर पानी की प्रचुर मात्रा मे 97.5% पानी खारा है और 2.5% ताजा पानी (पीने लायक) है. पृथ्वी पर महासागर, नदियां, झील, भूमिगत जल और वर्षा जल के मुख्य और सबसे बड़े स्रोत हैं. पानी को बचाना और संरक्षित करना आज की आवश्यकता है. देश के कई गांव पीने के पानी की बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं. इसलिए पानी को बचाना हमारी जिम्मेवारी है.

यह एक विस्मयजनक सत्य है कि भारत में वर्षा के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है जबकि दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सूखा अकाल जैसी गंभीर परिस्थिति होती है. पर्याप्त वर्षा के बावजूद लोग पानी की एक-एक बूँद के लिये तरसते हैं तथा कई जगह संघर्ष की स्थिति भी पैदा हो जाती है.

मिराभाईन्दर महानगर जैसे शहर मे जब पानी की किल्लत हो जाती है तो फिर गावोंकी हालत क्या होती होंगी. सत्तर और अस्सी के दशक मे नगर पालिका की स्थापना होनेसे पूर्व भाईंदर वासी पानीकी एक एक बूंद के लिए तरसते थे. कई बार लोगोंने चक्का जाम किया था तो कई बार रेल आंदोलन किया था. बढ़ती जनसंख्या की वजह से हर साल समस्या बढतीही जाती रही है , जो सिलसिला आज तक चालू है.

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