पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे| Part I

090419 Village

Picture Credit – www.wildlifeconservationtrust.org

आज मुजे पुराने भाईंदर गांव की बात करनी है. सन 1950 तक भाईंदर पूर्व और पश्चिम की कुल जनसंख्या करीब 5000 की थी. पुराना भाईंदर गावठान गांव के सीमा की बात करें तो…

        वर्तमान मे ” OUR LADY OF NAZARETH HIGH SCHOOL – BHAINDAR (W), कैथोलिक चर्च, फकरी कॉलोनी, चंदूलाल छबीलदास वाड़ी से क्रॉस गार्डन होते हुए कोठार, गावदेवी मंदिर से आगे मांडली तालाब, जहांपर आज नगर भवन विध्यमान है. ( तेंबा करीब दो एकड़ का हिस्सा था जहां जिला परिषद् की सरकारी पुरानी अस्पताल थी.) नगर भवन से आगे उत्तर की ओर चलते पुलिस स्टेशन तक एक सर्कल आकर पुरा होता था. जो भाईंदर गांव के नामसे पहचाना जाता था. पुलिस स्टेशन से आगे एकमात्र जिला परिषद् की सरकारी स्कूल थी. जहां गुजराती ओर मराठी माध्यम मे पढ़ाया जाता था. इस स्कूल के बगल मे भाईंदर सेकेंडरी स्कूल थी. जहां मराठी, हिंदी भाषा मे पढ़ाया जाता था. दोनों स्कूल आज भी अस्थित्व मे है.

        भाईंदर पूर्व मे स्टेशन के नजदीक बंदरवाड़ी, खारीगाव, गोड़देव, नवघर आदि छोटे छोटे गांव तो थे मगर स्कूल एक भी नही थी. 4थी कक्षा के बाद बच्चों को बोरीवली – मुंबई आगेकी पढाई के लिए जाना पड़ता था.

      भाईंदर पश्चिम स्टेशन से भाईंदर पुलिस स्टेशन तक पक्का सीमेंट कंक्रीट का रोड था. जिसे तत्कालीन सरपंच रहे श्री चंदूलाल छबीलदास शाह के नेतृत्व मे बनाया गया था.

       उस जमाने मे शुरूमे यहां सिर्फ दो घोड़ागाड़ी चलती थी. (1) अंथोनी गोम्स की ओर दूसरी (2) सोमा भाई दुबली नामक तांगेवाला की. स्टेशन से पुलिस स्टेशन तक का एक तरफी सवारी का किराया 10 पैसा था. जो बढ़कर सन 1962 मे 25 पैसा और सन 1965 मे 50 पैसा प्रति सवारी हो गया था.

       सन 1960 तक यहां घोड़ागाड़ी की बढ़ोतरी हुई और उसमे सात – आठ ओर घोड़ागाड़ी सामिल हुई. साल मे एक बार घोड़ागाड़ी की पासिंग होती थी. इसके लिए ठाणे शहर से यहांपर R.T.O. अफसर आता था. घोड़ा एवं घोड़ागाड़ी को रंग बेरंगी रंगों से दुल्हन की तरह सजाया जाता था.

     इस दृश्य को देखने पुलिस स्टेशन के सामने कई लोग आते थे. उस समय वर्तमान पुलिस स्टेशन और बगल वाला नगर पालिका का ग्राउंड खुले मैदान के रूपमें था. जहां पर विविध प्रोग्राम होते थे. जिसमे कव्वाली, फ़िल्म शो ओर नाटक का मंचन आदि किया जाता था.

        बारिस के दिनों मे भाईंदर पश्चिम का भाग हरीयाली से हरी चादर सा बन जाता था. एक किलोमीटर दूरसे भाईंदर गांव को निहारना रोमांचक नजारा होता था. शांत वातावरण से मन प्रफुल्लित हो जाता था. भरती के समय क्रॉस गार्डन से राजेश होटल तक भाईंदर खाड़ी का पानी आता था जो बड़े तालाब का अहसास कराता था. कभी कभी खारा पानी रोड को पार करके खेती मे घुस जाता था.

     भाईंदर गांव के बीचो बिच स्थित राव तलाव के नजदीक विध्यमान, राममंदिर, शिवालय मंदिर, हनुमान मंदिर, गावदेवी मंदिर आदि प्राचीन मंदिर है.

       राममंदिर की स्थापना नमक व्यापारियों के संगठन द्वारा की गई थी.

        राव तालाब स्थित विध्यमान श्री हनुमान मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है.ये करीब 400 साल पुराना है. यहांपर छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु श्री रामदास स्वामी देशाटन करते भाईंदर गांव पधारे थे तब उन्होंने इसका पूजन किया था.

      शिवालय मंदिर की स्थापना सालों पहले श्री छबीलदास के पिताश्री श्री वनमालीदास शाह ने की थी जिसका जीर्णोद्धार श्री चंदूलाल छबीलदास सेठ ने सन 1948 मे किया था.

    भाईंदर स्टेशन से पूर्व मे बांदरवाडी, खारीगाव, गोड़देव और नवघर गांव स्पष्ट दिखाई देते थे. 

       भाईंदर पश्चिम मे भाईंदर गांव तथा दूर दूर मूर्धा, राई, मोरवा गांव तथा नमक के मिठागर तथा डोंगरी उत्तन का पहाड़ दिखाई देता था. सन 1950 तक इस सभी गावों की कुल जनसंख्या करीब 5000 की रही होंगी. इन गावोंमें ग्रामपंचायत की हकूमत थी. 

      सन 1942 मे भाईंदर, गोड़देव, नवघर, खारीगाव, बंदर वाड़ी वगेरा गावों को मिलाकर ग्रुप ग्रामपंचायत की स्थापना हुई और श्री जे बी सी नरोना प्रथम सरपंच चुने गए थे. 

       सन 1962 मे भाईंदर ग्रुप ग्राम पंचायत से भाईंदर पूर्व की नवघर ग्रुप ग्रामपंचायत अलग हो गई और उस समय भाईंदर ग्राम पंचायत का चुनाव जनतांत्रिक पद्धति से हुआ था. तब सेठ श्री चंदूलाल छबीलदास शाह भाईंदर पश्चिम ग्रामपंचायत के सरपंच बने थे. उस समय मुजे लगता है कि शायद भाईंदर पूर्व नवघर ग्रुप ग्रामपंचायत के सरपंच के रूपमें श्री गोपीनाथ पाटील की नियुक्ति हुई थी. 

        सन 1961 में भाईन्दर बोरीवली तालुका में आता था. गांव के लोगोको पानी के लिये कुआ, तालाब, बावड़ी पर अवलंबन होना पड़ता था. गर्मी के सीजन में मूर्धा, राई, उत्तन, मोरवा गाँव की महिलाओको चार पांच किलोमीटर की दुरी पर धारावी, डोंगरी से पानी लाना पड़ता था. चुनाव में कांग्रेस ने, मेनन को वोट दो, नेहरू को साथ दो का नारा लगाया था, तब शिवसेनाने अपना उम्मीदवार श्री करिअप्पा जी को खड़ा किया था.

       शिवसेना की विधिवत स्थापना ता : 19 जून 1965 मे श्री बाळासाहेब ठाकरे ने की थी. प्रचार के लिये आये मेनन को यहाकि पानी समस्या से अवगत कराया बादमे यहाके समाज सेवको ने तत्कालीन विधायक श्री ईश्वर भाई पारिख की सहायता से भाईन्दर गांव विभाग के लिये पानी योजना कार्यान्वित की जिसके कारण राई मूर्धा, मोरवा, नवघर, खारीगाव, गोड़देव, बंदरवाडी और भाईन्दर को नल का पानी नसीब हुआ. इससे पहले लोग तालाब और कुए का पानी पीते थे.

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