भाईंदर भूमि दशक पूर्ति विशेषांक :
पत्र का दस साल पुरा होते ही भाईंदर भूमि पत्र द्वारा अपना ” दशक पूर्ति विशेषांक : 1996.” प्रकाशित करने का निर्णय लीया गया. वसई ( पूर्व ) के स्वानंद प्रिंटिंग प्रेस मे छपाई का काम जोरो से शुरु था.
कुछ टेक्निकल क्षति के कारण प्रिंटिंग का काम धीमा चल रहा था. चार रंगीन पृष्ठ सहित 170 पृष्ठ का अंक था. गुरूजी उसे यादगार बनना चाहते थे. समय बीतता जा रहा था. और उसके उद्घाटन की तारीख निश्चित की गईं, तारीख नजदीक आ गई . भाईंदर पूर्व रेलवे स्टेशन के प्रांगण मे मंच को सजाया गया. शाम के छह बजे का समय रखा गया.
इधर मै श्री सदाशिव माछी पत्र का सह संपादक और वितरक श्री जुगल किशोर अग्रवालजी ( पेनवाला ) को वसई से छपी हुई प्रत लानेकी जिम्मेदारी दी गयी थी. शाम के पांच बज चुके थे. उद्घाटन का समय नजदीक आ रहा था. यहां भाईंदर मे सबको हमारा बेसब्री से इंतजार था. बिचका एक फोटो वाला पृष्ठ छप रहा था. यदि उसको पुरा करें तो दो घंटा अधिक निकल जाये स्थिति परिस्थिति थी. मैंने समय सूचकता दिखाई और मै शेठ की केबिन मे गया. उसे सब हालात से वाकिफ किया और तुरंत सिर्फ दस प्रत को बाइंडिंग करके देनेको कहा.
मेरी बात को स्वीकार करते उन्होंने तुरंत दस अंको को रेडी करने का आदेश दीया. जब हमारे हाथो मे दस अंक मिले तो ठीक छह बजकर तीस मिनट हो चुकी थी. प्रेस से स्टेशन की दुरी पंद्रह मिनट की थी. हम लोग वहासे ऐसे भागे की छह सात मिनट मे स्टेशन पहुंच गये. वसई से हम लोग भाईंदर की ओर रवाना हुये.
यहां लोग स्टेज के सामने आकर बैठ गये थे. स्टेज पे सभी महेमानो का आगमन हो चुका था. हम लोग दौड़ कर कार्यक्रम स्थल पर पहुचे. शाम के ठीक सात बजे थे. मैंने प्रत गुरूजी के हाथो मे रखी. ओर समय पर विमोचन हो गया.
यह पुरा कार्यक्रम लायंस क्लब ऑफ़ भाईंदर और भाईंदर की प्रसिद्ध संस्था अग्रवाल सेवा समिति भाईंदर तथा भाईंदर भूमि परिवार ने मिलकर बनाया था.
भाईंदर भूमि दशक पूर्ति विशेषांक 1996 जब पाठको के हाथ मे आया तो सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की.
मुख पृष्ठ पर दुनिया को लपेटे हुये डरावना ड्रेगन की छबि ( फोटो ) प्रसिद्ध की गयी थी, जो दुनिया पर छाए आंतकवाद ओर भ्रस्ट्राचार को दर्शाता था. जो खतरे को बया करता था.
अंदर का पृष्ठ पलट ते ही श्री उत्तर प्रदेश के राज्य पाल, राजस्थान के मुख्य मंत्री के निजी सचिव का शुभकामना पत्र, भाईंदर भूमि के दस वर्ष पुरे होनेके अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री मनोहर जोशी का शुभेछा पत्र , फ़िल्म अदाकार श्री शत्रुध्न सिन्हा का शुभेछा संदेश , तत्कालीन संसद सभ्य ( राज्य सभा) के सदस्य श्री प्रमोद महाजन. नवभारत टाइम्स के श्री विश्वनाथ सचदेव , जनसत्ता के कार्यकारी संपादक श्री राहुल देव., उपरांत श्री कृष्णाराव म्हात्रे माजी सभापति ठाणे. नगर सेवक मुजफ्फर हुसैन , लायंस क्लब के प्रेजिडेंट लायन मिलन पाटील, कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य श्री प्रकाश चतुर्वेदी ( चंचल ) आदि अनेक मान्यवरों के पत्र प्रकाशित किये गये थे.
पुष्ठ 21 नंबर पर भाईंदर भूमि के प्रवेशांक पर 1 जनवरी 1986 के दिन प्रकाशित की गईं संपादकिय पाठकों की जानकारी की लिये प्रस्तुत की थी.
राष्ट्रीय स्वयं संघ के नगर संघ चालक श्री गंगाधर गाड़ोदिया , सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री तनसुख धारीवाल , अग्रवाल समाज के मंत्री श्री रामगोपाल अग्रवाल , प्रमुख व्यवसायी श्री मदन भूतड़ा , पोद्दार स्कूल भाईंदर पश्चिम के प्राचार्य श्री के एम जानी , श्री अरुण गाड़ोदिया , प्राचार्य आर ए सिंह , पत्रकार श्री एस एस राजू जी , के मंतव्य प्रमुखता से उजागर किये गये थे.
पत्रकार श्री सदाशिव माछी पत्रकार श्री गुलाब शुक्ला , के आर्टिकल. तथा सन 1986 से 1996 तक के, दस साल के विकास के प्रमुख चरण. इतिहासिक घटना से हमें अवगत कराते थे. मीरा भाईंदर का भूगोल – इतिहास -समाज शास्त्र , आर्टिकल मे पुराने भाईंदर का इतिहास दर्शाया गया था .
भाईंदर के विकास मे गुजराती ओका सहरानीय योगदान , तत्कालीन ठाणे जिला के प्रमुख संवाददाता श्री श्रीनारायण तिवारी द्वारा सन 1987 मे भाईंदर भूमि पत्र के प्रधान संपादक श्री पुरषोतम लाल चतुर्वेदी जी का लिया गया इंटरव्यू के कुछ अंश.
भाईंदर की भूमि मे जन्मे बालयोगी श्री सदानंद महाराज के जन्म से लेकर सन 1996 तक की उनकी कहानी को उजागर किया था . उल्लेखनीय है की भूमि पुत्र आगरी ओर माछी समाज के श्रद्धेय संत श्री सदानंद महाराज ने बारा साल की उम्र मे अपने भाईंदर पश्चिम राई गांव से सन्यास लेकर श्री परशुराम भूमि तुंगारेश्वर पहाड़ पर अपना आश्रम की स्थापना की थी तब से आज तक वही वास्तव्य कर रहे है.
श्री सदानंद महाराज की विशेषता है की उसे भाईंदर से लेकर भारत भर के हर जाती के लोग आदर के साथ मानते है. आज भी आप जंगल की वनस्पति औषधि द्वारा लोगों की सेवा कर रहे है.
——=== शिवसर्जन ===——