पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे. _ Part III

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इस क्षेत्र का भाईंदर नाम कैसे पडा ?

कई बुजुर्ग भाईंदरवासी ओका यह कहना था कि, भाईंदर गांव को पुराने जमाने मे ” भाई बन्दर ” के नाम से पुकारा जाता था. संक्षिप्त मे नाम कहने की प्रथा ने उसे कालान्तर के बाद इस नामका भाई (ब) न्दर यांनी भाईन्दर या भाईंदर के नाम से प्रचलित हुआ. जो नाम आज तक चालू है.

आज देश और दुनिया मे टेलीफोन की संख्या मानव जनसंख्या से भी अधिक हो गई है. दो फोन अपने साथ मे रखना फैसन बन गई है. मगर हम मिरा

भाईंदर की बात करें तो अस्सी के दशक मे फोन होना शान की बात थी. तब यहां मोबाइल का जमाना नही था. टेलीफोन सेवा के लिए लैंड लाइन फोन का निजी कनेक्शन लेना जरुरी था. तब घर ने लैंड लाइन का फोन होना प्रतिष्ठा की निशानी माना जाता था.

सामान्य कैटेगरी मे बुक कराने के बाद 14 साल तक इंतजार करना पड़ता था. स्पेशल कैटेगरी मे यहां वी.आई.पी. लोगोंको आठ साल बाद फोन मिलता था. तब MTNL भ्रस्टाचार का अड्डा बन गया था. बीना रिश्वत कोई काम नही होता था.

. फिर मोबाइल का जमाना आया और हर हाथ मे मोबाइल दिखने लगा. पोस्ट ऑफिस ने टेलीग्राम सेवा बंद कर दी. पोस्ट कार्ड, इनलैंड लेटर और कवर की जगह शॉर्ट मेसेज सर्विस ( SMS ) ने ले और मोबाइल ऑल इन वन का पर्याय बन गया.

विडिओ कॉल ने दुनिया को रूबरू मिलने का अहसास कराया. और आज हर लोगोंके लिए मोबाइल आवश्यक आइटम बन गया है . बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इसके व्यसनी बन गये है.

मिरा भाईंदर के लोगोंको न्यायालय के लिए ठाणे शहर तक दौड़ना पडता है. वर्तमान निर्माणाधीन न्यायालय के काम मे तेजी लाना जरुरी है. फ़िरभी श्री प्रताप सरनाईक जी धन्यवाद के पात्र है.

मिरारोड – भाईंदर शहर मे नगर पाकीका की स्थापना के लिए कुछ यहां के लोगोंने काफ़ी परिश्रम किया था.

सन् 1985 मे श्री वसंतदादा पाटिल महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री थे. पत्रकार श्री राममनोहर त्रिपाठी राज्य के नगर विकास मंत्री थे. उस समय मे भाईंदर ब्लाक युवक कांग्रेस के महा सचिव श्री एस आर मिश्रा, शिक्षक श्री सुभाष मिश्रा “भाईन्दर भूमि” पत्र के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम “लाल” चतुर्वेदी जी को मंत्रालय – मुंबई ले कर गये. वहा पर श्रीमान त्रिपाठी जी से बातचीत हुई. उन्होंने अपने सचिव से मिल कर समय निर्धारित करने को कहा.

मिलने पर सचिव ने कहा कि बिना निमंत्रण मंत्री जी कही नहीं जाते अतः “भाईन्दर दवलपमेंट ओर्गनाइज ” संस्था के लेटरहेड पर मंत्री को यहां आनेका निमंत्रण दिया गया.

बादमे मंत्री जी 17 अप्रेल 1985 मे भाईन्दर पधारे. भाईन्दर पश्चिम चर्च के पुराने हॉल मे सभा हुई. इस सभामे उन्होने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री को यहा का, सब हाल बतायेंगे और नगर पालिका स्थापना करने की उन्हें सिफारिश करेंगे. उन्होंने दो महीने मे आश्वासन पूरा किया. और नवघर ग्रुप ग्रामपंचायत , काशी , मिरा, घोड़बंदर ओर भाईंदर ऐसे कुल पांच गावों को मिलाकर ता : 12 जून 1985 को आदेश क्रमांक सीओएन 1082/2953 सी आर. 660/82 युडी – 15 अनुसार भाईंदर मे बी ग्रेड नगर पालिका की स्थापना की गई. उसके बाद मे इसका विस्तार करते उत्तन , डोंगरी , राई , मूर्धा ,ओर चेना आदि गावोका समावेश किया गया.

मिरा भाईंदर नगर पालिका के प्रथम प्रशासक रहे तहसीलदार बी डी म्हात्रे ज्यादा दिन तक नहीं रहे, उनकी जगह पर तहसीलदार श्री दलाल को भाईंदर और विरार दोनों नगर पालिका के प्रशासक के रूपमे नियुक्त किया गया. कार्य के बोज को देखते पहलीबार मुख्याधिकारी के पद पर श्री संपतराव शिंदे की नियुक्ति की गयी.

कार्यभार संभालते ही श्री शिंदे ने भाईंदर पश्चिम के पंचायत कार्यालय को मुख्यालय बनाया .परिषद का गठन किया. जकात शुरू की. कच्चे रोड का डामरीकरण शुरू किया. खुली गटर बनाना शुरू किया.

प्रशासक दलाल के बाद श्री दिगंबर भानु की नियुक्ति हुई. मगर करीब ग्यारह महीने बाद नवम्बर 1986 मे उसका तबादला हो गया. और उसकी जगह श्री ओ बी भगत प्रशासक पद पर बिराजमान हुये. बताया जाता है की अनधिकृत बांधकाम करने के लिये तत्कालीन कथित बिल्डरों ने भगत को धन , सूरा और सुंदरी की मौज कराकर अपना काम करवा लिया.

शिंदे के बाद श्री मिलिंद सावंत. मुख्याधिकारी पद पर आये मगर जनता की नजरो मे मुर्खाधिकारी साबित हुये. ग्राम पंचायत के समय से कार्यरत जुने अधिकारी वर्ग ने उसे नाचने वाली एक कठपुतली बनाकर रख दीया. तीसरे नंबर पर आये श्री सुधीर राउत कर्मचारी ओमे अनुशासन स्थापित करने मे कामयाब रहे मगर वो भी जुने अधिकारी ओसे दबे रहे.

उसके बाद आये श्री लक्मणराव लटके मुख्याधिकारी के पद पर आये. मगर वो भी कुछ खास नहीं कर पाए. श्री शिंदे के कार्य काल मे मिरा भाईंदर पालिका ने अच्छी प्रगति की थी. जो ओर कोई नहीं कर पाया.

आपको जानकारी के लिए बता दू कि सन 1981 मे भाईंदर की कुल जनसंख्या 35151 थी. नगर पालिका स्थापना के बाद सन 1991 मे मीरा भाईंदर की जनसंख्या 175372 हो गई. जो बढ़कर 2011 मे 809378 हो गई जिसमे पुरुष 429260 और महिला 380118 थी. सन 2021 की जन गणना कोविद -19 की वजह अब तक नहीं हो पाई मगर आज यहांकी जनसंख्या का आकड़ा 15 00000 करीबन ( पंदरा लाख ) पार होनेका अनुमान हे. हमारे देश मे हर दस सालके अंतराल मे जनगणना होती है.

——=== शिवसर्जन ===——

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