पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे| Part -XXXV – श्री धारावी देवी मंदिर – ( डोंगरी )

DHARVI DEVI

श्री धारावी देवी मंदिर जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मिरा भाईंदर महा नगर पालिका क्षेत्र मे भाईंदर ( पश्चिम ) डोंगरी, तारोडी गांव स्थित विध्यमान है. इस मंदिर मे बिराजमान देवी, महादेव श्री शंकर भगवान की पत्नी पार्वती का अवतार माना जाता है. तो स्थानीय किसानो की कुलदेवी के रूप मे भी जाना जाता है.

इस धारावी देवी माता को मन्नत की देवी माना जाता है. भक्त जन श्रद्धासे यहां मन्नत मांगने आते है और पूरी होने पर यथा शक्ति मन्नत पूरी होने पर देविका सुक्रिया अदा करने, अपनी कृतज्ञता दिखाने आते है. ये एक जाग्रत देवस्थान है.

स्थानीय किसान आगरी लोग सहित माछी समाज उपरांत कोली, क्रिस्चन हर समाज के लोग इसकी भक्ति भाव से पूजा करते है. कोली लोग रक्षा बंधन के दूसरे दिन जब समुद्र मे मच्छी पकड़ने जाते है तब इस देवीकी पूजा अर्चना करने के बाद समुद्र मे कदम रखते है.

इस भव्य मंदिर मे लोग भक्ति भाव से यहां पर आते है. पहाड़ी एरिया का कुदरती सौंदर्य को देखकर प्रसन्न होते है. यहां तक पहुंचने के लिये आप अपना निजी वाहन या भाड़े की रिक्शा के द्वारा आसानीसे आ सकते है.

जानकारों का मानना है की यह मंदिर करीब 300 साल से विध्यमान है. सन 1739 तक वसई का किला पुर्तगाल की हकूमत तले था. तब दीव, दमण, गोवा, सेलवास, नगर हवेली, अर्नाला विरार केलवा तक पुर्तगाल का राज़ चलता था.

नरवीर चिमाजी अप्पा (सन 1739 से 1740) ने दो साल तक लड़ाई जारी रखकर पुर्तगाल वसाहत पर जीत हासिल की और साष्टी तालुका पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था. उस समय चौक गांव के पहाड़ पर जो किला था. उसे धारावी किले के नाम से भी जाना जाता था. माना जाता हे की सन 1737 मे श्री बाजीराव पेशवा ने चट्टानों वाले पहाड़ी इलाके मे खुदाई के दौरान धारावी किले का निर्माण किया था.

हर साल श्री धारावी देवी मंदिर मे मेले का आयोजन किया जाता है. इस ख़ुशी के अवसर पर देवी की पालकी निकाली जाती है जो मूर्धा गांव तक लायी जाती है. सभी लोग नाचते गाते, हर्षोल्लास से इसमे भाग लेते है.

श्री धारावी देवी मंदिर ट्रस्ट. विधिवत पंजीकृत संस्था है. जिसका संस्थापक स्व : श्री हरिशचंद्र केशव पाटील है जो सन 1980 मे राई, मूर्धा, मोरवा ग्राम पंचायत के सरपंच थे. वे कांग्रेस पार्टी के सम्माननीय नेता थे.

वह धारावी देवी के एक उत्साही भक्त थे और मंदिर के संस्थापक प्रबंध न्यासियों के साथ आपने जीर्णोद्धार मे अपना बहुमूल्य योगदान दीया था.

मंदिर के संस्थापक न्यास मंडल मे

1. श्री हरिश्चंद्र केशव पाटिल

2 श्री गणपत तुकाराम बन

3 श्री सदाशिव मुकुंद तेंदुलकर

4 श्री विद्याधर गोपीनाथ रावणकर

५ श्री दत्तारे गजानन भदेकर

6 श्री नरेन्द्र भास्कर पाटिल

7 श्री जगन्नाथ गोकुल आचरेकर

8. श्री बालकृष्ण राम पाटिल

9. श्री रमेश जगन्नाथ पाटिल

10. श्री अशोक बलवंत पाटिल

11. श्री शशिकांत रघुनाथ चव्हाण

आदि प्रमुख है.

वर्तमान प्रबंध न्यास मंडल मे

1. श्री प्रवीण एच. पाटिल (अध्यक्ष)

2. श्री नरेंद्र भास्कर पाटिल (उपाध्यक्ष)

3. श्री रमेश जगन्नाथ पाटिल (सचिव)

4. श्री अशोक बलवंत पाटिल (जेटी सचिव)

5. श्री विद्याधर गोपीनाथ रावणकर (कोषाध्यक्ष)

6. श्री हंसराज दाजी पाटिल (सदस्य)

7. श्री प्रवीण रामचंद्र पाटिल (सदस्य)

8. श्री शशिकांत रघुनाथ चव्हाण (सदस्य)

9. श्री नरेंद्र महादेव म्हात्रे (सदस्य)

10. श्री विजय म्हात्रे (सदस्य)

11. श्री वसंत जगन्नाथ शिंदे (सदस्य)

आदि मान्यवर सेवा कार्य कर रहे है.

( अधिक और आज तक के सेवको की जानकारी के लिये न्यास मंडल या मंदिर स्थित ऑफिस का संपर्क कर सकते है )

मंदिर सुबह 6.00 बजे से शाम 8.00 बजे तक खुला रहता है.

पूजा पाठ या अधिक जानकारी के लिये आप मंदिर के विश्वस्थ मंडल का संपर्क कर सकते है.

——=== शिवसर्जन ===——

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