पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे| Part XXXVI – भाईन्दर ( पश्चिम ) का संडे बाजार |Sunday Market

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भाईन्दर पश्चिम स्टेशन रोड स्थित संडे बाजार ( रविवारी ) बाजार करीब सो साल से भरता है. शुरू में यह बाजार भाईन्दर पुलिस स्टेशन से आज जहां मिरा भाईन्दर महा नगर पालिका भवन का मुख्य गेट हैं वहा तक भरता था.

आज जहां नया पुलिस स्टेशन अवं पुराना महा नगर पालिका भवन हैं वहा मैदान था. जहां पर मिठाई वाले, पुराने कपडे वाले , मिक्स मसाले वाले , आदि फेरीवाले बैठते थे. आज जिसको कॉमडी ( मुर्गी ) गली बोलते हैं वहा जिंदा मुर्गी का बाजार भरता था. सुबह सात बजेसे दोपहर एक डेढ बजे तक ये बाजार खुला रहता था.

उस ज़माने में संडे मार्केट की यह विशेषता थी की उस दिन जादू के खेल दिखाने वाले ” स्ट्रीट जादूगर ” अपना करतब दिखाने आते थे. दोरी पर बेलेंसिंग खेल दिखाने वाले और बच्चो के लिये जुले वाले भी आते थे. मेले के जैसा माहौल बना रहता था. दूर दूर से लोग खरीदारी के लिये यहा पर आते थे. तब पश्चिम में उत्तन, पाली, चौक, राई, मोरवा , मूर्धा और पूर्व में खारीगाव , गोड़देव , नवघर , बंदरवादी में खास दुकान नही थी. अतः लोग यहा सप्ताह भर की खरीदी करने आते थे. केरोसिन ( घासलेट ) के स्टोव का और लकड़े के चुले का जमाना था. इसलिए काशी मीरा , घोड़बंदर , चेना से आदिवासी लोग सूखी लकड़ी बेचने आते थे.

भाईंदर में व्ही. सी. शाह ने प्रथम HP गॅस की एजेंसी ली थी. तब रिक्षा टेम्पो में ग्राहकों के घर तक सिलिंडर की डिलीवरी दी जाती थी.

सन 1960 -65 में खानेके कच्चे पान एक पैसे में एक मिलता था, यांनी एक रुपिये का सो पान मिलता था.

जिसका लोगोंका पता ठिकाना भाईंदर (पश्चिम ) गांव से दूर हो वो लोग झुमरलाल होटल का पता देते थे. झुमरलाल होटल के बाहर एक पान की दुकान थी. जहां पर पोस्टमैन दूर गांव के पोस्टकार्ड, पत्र को रख देता था. जहासे रविवार को लोग अपने पत्र लेके जाते थे. मुख्य मार्ग पर गंगाराम भाई की पान की दुकान थी. श्री चांदमल सेठ की किराना दुकान, झुमरलाल होटल, ताराचंद धूलचन्द की होलसेल धान्य की दुकान, शंकर लाल, मोहन लाल की दुकान, खोजा भाई की अवं जनता कपडे की दुकान, मुरली नाई की दुकान और टेलर की दुकान आदि प्रमुख थी. यह सभी दुकान जो म्युनिसिपल स्कूल से लेकर कॉमडी गली के बीच में थी. इस एरिया को मार्किट एरिया कहा जाता था.

गंगाराम भाई की पान की दुकान के पीछे धरम शाला थी जहां पर श्री राम सेवा मंडल द्वारा मराठी नाटक का हर साल मंचन किया जाता था.

मिरा भाईन्दर पुराना कार्यालय और वर्तमान नया पुलिस स्टेशन जहां पहले मैदान था, वहा दुल्हन बी. के रिस्तेदारो द्वारा हर साल कव्वाली मुकाबला का प्रोग्राम रखा जाता था. उस ज़माने मशहूर कव्वाल इस्माइल आज़ाद, युसूफ आज़ाद, शकीला बानू भोपाली, जानी बाबू , कलंदर आजाद, रुखसाना , अज़ीज़ नाजा , आदि सभी अव्वल दर्जा के कव्वाल यहा पर आ चुके हैं.

“इच्छा माजी पुरी करा ” का मंचन करने कॉमेडी किंग दादा कोंडके भी यहा आ चुके थे. इसी प्रांगण में 16 एम. एम. प्रोजेक्टर द्वारा अनेक हिंदी फिल्मे मुफ्त दिखाई जाती थी.

यही प्रांगण में कब्बडी के सामने होते थे. उस ज़माने में शरद , गौरी शंकर , रामचंद्र , पदमन रकवी , सुनील रकवी, मकरंद, आदि होनहार खिलाडी थे. स्पर्धा में विरार से मुंबई तक की टीम भाग लेती थी. मगर मेच नायगाव के “कोली दर्यावर्दी टीम “और भाईन्दर कब्बडी संघ की टीम में होती थी. और ज्यादातर मुकाबले भाईन्दर की टीम जीत जाती थी.

——=== शिवसर्जन ===——

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