राव तालाब भाईंदर पूर्व पश्चिम का सबसे पुराना और सबसे बडा तालाब हैं. यह तालाब भाईन्दर पश्चिम स्थित पुराने भाईन्दर गांव के बीच में हैं. पुराने जमाने में जब यहा नलका पानी नही था तब यहा स्थित कुए का पानी लोग पिने के लिये इस्तेमाल करते थे. भाईन्दर गाँव में मुख्य तीन तालाब थे. (1) राव तालाब (2) मांडली तालाब (3) चर्च स्थित तालाब जहां आज मिरा भाईन्दर महानगर पालिका का मुख्य कार्यालय खड़ा हैं. हर तालाब के किनारे दो तीन कुए रहते थे. जिसका पानी स्थानीय लोग पीने के उपयोग में लेते थे.
इसके अलावा श्रीमंत घराने के लोगों के घर खुदका निजी कुआ हुआ करता था. नमक आगर के श्रीमंत कहे जाने वाले व्यापारिओके हर घरके वाड़े में मीठे पानीका कुआ होता था.
इसी प्रकार भाईंदर (पूर्व) में खारी गॉव, गोड़देव, नवघर, मिरा गांव.आदि जगह पर भी तालाब और कुआ थे. जिसका लोग पानी पीते थे. पश्चिममें मूर्धा , राई , मोरवा,डोंगरी आदि गावोंमें तालाब और कुऐ थे.
राव तालाब के नजदीक श्री शंकर मंदिर, श्री राम मंदिर , श्री हनुमान मंदिर आज भी विद्यमान हैं जहां पर धार्मिक कार्यक्रम होते है. श्री राम मंदिर प्रांगण में हर साल रामलीला का मंचन होता था. दो तीन गुजराती – मारवाड़ी की सामाजिक संस्था सहरानीय कार्य करती थी जो संस्थाएं श्री रामलीला का हर साल यहां आयोजन करते थे.
यही राम मंदिर प्रांगण में साठ के दशक की शुरुआत में सबसे पहले शिवसेना प्रमुख श्री बाला साहेब ठाकरे जी शिवसेना के उमीदवार करिअप्पा का प्रचार करने भाईंदर पधारे थे. तब कांग्रेस की ओर से मेनन को उम्मीदवार खड़ा किया था ओर नारा था,” मेनन को वोट दो नेहरू को साथ दो.”
राव तालाब स्थित करीब चारसो साल से भी ज्यादा प्राचीन श्री हनुमान मंदिर जो आज भी मौजूद हैं. जहां हर साल मराठी नाटक का मंचन होता था. यहां श्री हनुमान मंदिर के दर्शन के लिये छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू श्री रामदास स्वामी स्वयं पधारे थे.
हर साल यहा देशी कुस्ती के कार्यक्रम का आयोजित किया जाता था. बादमे यहां का कार्यक्रम कोठार स्थित ग्राउंड में आयोजित होने लगा था.
श्री शंकर मंदिर की बगल में श्री वीरेंद्र चंद्रकांत भाई शाह के घर उस जमाने में छह फुट ऊंची गणपति मूर्ति की स्थापना की जाती थी जिसके दर्शन अवं वहा रखी प्रदर्शनी को देखने लोग दूर दूर से आते थे. पुरे भाईन्दर गाँव के गणपति का विसर्जन बड़ी धूमधाम से तासा (वाजिंत्र ) के साथ नाचते गाते, राव तालाब में विसर्जन होता था.
इसी राव तालाब की नजदीक सेठ श्री गिल्बर्ट मेंडोसा , वकील श्री नंदलाल गाड़ोदिया , मशहूर डॉक्टर श्री शिव भगवान अग्रवाल, समाजसेवी श्री घनराज अग्रवाल , शेठ श्री मॉरेस रॉड्रिक्स श्री वीरेंद्र शाह, श्री हेमंत शाह, श्री बबुदा कदम, श्री रमाकांत कदम जी का बचपन बिता हैं. यही पर मरीजों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. गुणवंत त्रिवेदी का दवाखाना था.
साठ के दशक की शुरुआत में भाईंदर पश्चिम स्टेशन रोड स्थित इब्राहिम सेठ के घर से पाटील वॉच कंपनी स्थित रोड के किनारे होलसेल भाजी मार्केट भरती थी. सुबह पांच से नव के बीच दूर दूर से लोग भाजी बेचने तथा खरीदनेके लिये विक्रेता आते थे. वसई – नाला सोपारा – विरार की हरि ताजी सब्जी मार्केट की विशेषता थी. यहासे फिर मुंबई में पहुंचाई जाती थी.
सेठ श्री चंदूलाल जी की वाड़ी में करीब हजारों जंगली चमगादड़ पक्षी थे जो पेड़ पर उलटे लटकते हैं. शाम होते
ही वो दूर दूर जंगल में फलो की तलाश में निकल जाते थे और सुबह चार पांच बजते ही वापस श्री चंदूलाल सेठ जी की वाड़ी में आ जाते थे.
मांडली तलाव के दक्षिण दिशा की और टेम्बा अस्पताल थी. जिसका ज्यादातर उपयोग रेसिडेंट डॉक्टर द्वारा पुलिस मेडिकल जांच एवं पोस्ट मॉर्टम के लिये किया जाता था. इसके अलावा यहां पर कुष्ठ रोग आदि के लिये जिला परिषद के अंतर्गत औषधिय कैंप भी चलाया जाता था. जहां आज विशाल भीमसेन जोशी पालिका रुग्णालय विध्यमान है.
सन 1930 तक मीरा भाईंदर क्षेत्र मे एक भी पुलिस कर्मी तैनात नहीं था. जब ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध मे महात्मा गांधीजी ने देश भर मे नमक सत्याग्रह किया था, तब भाईंदर के देश भक्त प्रेमी अनेक लोगों ने भी सक्रिय भाग लिया था.
सन 1930 से भाईंदर मे पुलिस का आना जाना शरू हुआ. उसके बाद सन 1936 मे यहां पर सिर्फ एक पुलिस सिपाई की नियुक्ति की गईं. तब भाईंदर क्षेत्र की जन संख्या करीब 5000 की थी. आजादी की लड़ाई के समय मे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी , पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई तथा श्री सुभाष चंद्र बोस , सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महान पुरुष भाईंदर पधार चुके थे.
यहां पर उल्लेखनीय है कि भाईंदर के सबसे धनी और नमक व्यापारी ओमे सबसे प्रथम नाम श्री गोवर्धन केशव जी डोसा का लिया जाता है,जो पूर्व प्रधान मंत्री स्व: श्री मोरारजी भाई देसाई के रिस्ते मे मामा लगते थे. अतः यहां उनके घर पर हैदराबाद वाले बंगले मे अनेक राजनीति के जाने माने लोगों का आना जाना रहता था.
सन 1945 के करीब भाईंदर (प.) मे दो कमरे का पुलिस स्टेशन बना जो वर्तमान भाईंदर पश्चिम पुलिस स्टेशन की पश्चिम दिशा मे आज भी मौजूद है. यहीं पर पुलिस निरीक्षक झरेकर अपनी ड्यूटी निभाते थे. इससे पहले अंग्रेजो के खिलाफ सन 1942 मे हुए ” क्विट इंडिया ” भारत छोड़ो अभियान मे भाईंदर के कई लोगोने हिस्सा लिया था.
—-====शिवसर्जन ====—-