पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे| Part 8

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डॉ. गुणवंत त्रिवेदी.

चिकित्सकों मे महा मानव.

साठ के दशक मे भाईंदर पश्चिम श्री राम मंदिर और श्री शंकर मंदिर के नजदीक रहने वाले सभी लोग डॉ. गुणवंत त्रिवेदी के संपर्क मे जरूर आये होंगे. अपने पेशे को सेवा बनाने वाले इस डॉक्टर को हृदय से सलाम. आज डॉक्टर सेवा के लिए नहीं मेवा के लिए प्रैक्टिस करते है. पैथोलोजिकल लेबोरेटरी, तथा मेडिकल स्टोर्स से साथ मिलकर कमीशन का धंधा करना आम बात हो गयी हे !. कोई क्या कर शकता है ? प्रशासन लाचार,

माना जाता है कि कुछ पैथोलोजिकल लेबोरेटरी द्वारा डॉक्टरो का कमिसन बंद कवर मे पहुंचाया जाता है.

ऐसे मे डॉ. गुणवंत त्रिवेदी जैसे सेवा भावी डॉक्टर मेडिकल जगत के लिए प्रेरणा श्रोत है.

14 नवम्बर 1962 मे आपने भाईंदर गांव मे श्री शंकर मंदिर के पास एक दवाखाना शुरू किया था. ये एकमात्र ऐसा डॉक्टर थे जो चौबीसो घंटे ग्रामवासिओ की सेवामे उपलब्ध रहते थे.

करीब 32 साल तक सेवा कार्य करने के बाद ता : 22 सितम्बर 1994 के दिन इस दुनिया से विदा हो गये.

उनकी अंतिम यात्रा मे पूरा गांव सामिल हुआ. पुलिस स्टेशन से भाईंदर सेकेंडरी स्कूल तक लम्बी लाइन लगी थी.

आपने लोगोंने श्री रामानंद सागर की ” रामायण ” तो देखी होंगी. बहुत प्रसिद्घ हुई थी. इस सीरियल मे रावण की प्रमुख भूमिका अभिनेता अरविन्द त्रिवेदी ने निभाई थी. रिश्ते मे श्री अरविंद त्रिवेदी डॉ. गुणवंत त्रिवेदी के सगे चचेरे भाई थे. ये बात मेरे द्वारा संदेश दैनिक राष्ट्रीय पत्र मे प्रकाशित आर्टिकल के बाद कई भाईंदर वासियों को पता चला था.

आजकल कई डॉक्टर बाजुकी बिल्डिंग मे घर आनेके लिए 1000 रुपये विजिट फीस लेते है जबकि डॉ त्रिवेदी रात दो तीन बजे भी बीना फीस लिए खारीगाव, गोड़देव, नवघर आदि कई गावोंमें महिलाओ की डिलीवरी के लिए जाते थे. जैसा नाम वैसा उनमे गुण भी थे.

मृत्यु से पहले उसने मुजे एक चिठ्ठी लिखी थी जो मैंने आज भी संभालकर रखी है. प्रस्तुत है उनका पत्र……

श्री पी एल चतुर्वेदी लाल

तथा श्री परम मित्र स्नेही श्री सदाशिव माछी.

सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत आभार मानता हुं.

आपने मेरे बारेमे बहोत अच्छी तरहसे और कोई जातका विशेष भी नहीं लिखा है. आपने सही लिखा है. मेरा तो कर्त्तव्य है मे पुरी कोशिश से निभा रहा हुं पब्लिक भी उतनी ही मान दे रही है , मेरे पर भी लोगोने उतने ही आशीर्वाद दिये है. आपका बहुत आभारी हुं. और आपको धन्यवाद देता हुं.

आप जैसे स्पस्ट वक्ता और कर्त्तव्य निष्ठ को आपके काम मे भगवान बहुत शक्ति दे. और आपका काम आगे बढ़ता रहे ऐसी मेरी और से भगवान को प्रार्थना करता हुं.

श्री सदाशिव बड़ा प्रेमी , कर्तव्य निष्ठ और विश्वासु है. मे बचपन से उसको जानता हुं. ओ आपके साथ काम करनेसे बड़ा उत्साही है. और आप भी दोनों मिलकर काम करें.

आपने मेरे कामकी कदर की मे आपका दोनोका बहुत आभारी हुं.

आपका , डॉ. गुणवंत त्रिवेदी. का प्रणाम.

***

स्व: श्री जनार्दन रकवी.

भाईन्दर शहर के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित – महान पुरुष के रूप में आज भी लोग उनको याद करते है. मेरा सौभाग्य है कि मुजे उनके साथ वारंवार सत्संग करने का मोका मिला था. इस भले आदमी का जिक्र बार बार करने पर भी मन नहीं भरता.

स्पष्ट वक्ता, पीड़ित गरीबों का मशीहा, अन्याय, अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना, उनका मुख्य मकसद था. आप कांग्रेस के समर्पित सेवाभावी कार्यकर्ता थे. उस समय पुरा भाईंदर क्षेत्र कांग्रेस के रंगों मे रंगा था.

भाईन्दर पश्चिम पुलिस स्टेशन के नजदीक तत्कालीन विध्यमान धर्मशाला में आये गरीबों की मदद करके सेवा करना लावारिस लाश को अग्नि संस्कार करना, पिछड़े वर्ग के लोगोके दुःख मे साथ देना, धार्मिक अवं सामाजिक कार्य में गाँव की मदद करना , आपके जीवन का अहम भाग था.

मीरारोड स्थित सेवार तालाब के सामने विद्यमान ब्रह्मदेव मंदिर के रख रखाव अवं उसके जीर्णोद्धार में सबसे आगे रहते थे. भाईन्दर पुलिस स्टेशन के सामने राम मंदिर रोड स्थित आपका. निवास था. लोग आपको ” जनादादा ” के नामसे मान सम्मान के साथ पुकारते थे. आदर करते थे.

दीन – दुखीओ की सेवा की लड़ाई, आपने मरते दम तक लड़ी और 15 नवम्बर 1992 के दिन हमेशा के लिए एक मशीहा इस दुनिया से विदा हो गये.

और मानवता का संदेश दे कर गया.

***

भाईंदर की पानी वाली बाई…. !

( श्रीमती सरोज नागी.)

शीर्षक पढ़कर चौक गये ना…? आपने भाईंदर मे पानी वाली दाढ़ी का नाम तो जरूर सुना होगा ! जिन्होंने भाईंदर भूमि नामक पत्र प्रकाशित करके 14 साल तक अपने दाढ़ी बाल बढाकर , भाईंदर मे पानी के लिये महा संघर्ष नहीं महा संग्राम किया था !

श्री पुरषोतम लाल चतुर्वेदी जी के बाद मुंबई गोरेगांव की समाज सेविका मृणाल गोरे ने पानी के लिये हांडा – कलशी का मोर्चा निकाल कर , पानी वाली बाई का बिरुद हासिल किया था. मगर बहुत कम लोगों को पता हे की भाईंदर की पानी वाली बाई के रूपमे सन 1992 मे श्रीमती सरोज नागी जी को पानी वाली बाई के रूप मे पहचाना जाता था.

पानी समस्या से त्रस्त भाईंदर की जनता को राहत दिलाने इस परोपकारी महिला ने टेंकर द्वारा पानी वितरण करके इतिहास रचा था.जिसकी प्रथम न्यूज़ मैंने राष्ट्रीय गुजराती समाचार पत्र संदेश दैनिक मे दी थी.

श्रीमती सरोज नागी ने निजी खर्च करके 1000 फुट लम्बा रबर का पाइप खरीदकर , कुआ पर मोटर पंप बिठाकर नवघर रोड स्थित मुफ्त मे जनता को पानी पहुंचाने का भगीरथ कार्य उस समय किया था.

तब मिरा भाईंदर नगर पालिका की स्थापना हो चुकी थी. नवघर गांव के तत्कालीन वार्ड क्रमांक : 25 मे यह महिला समाज सेवी के नामसे प्रसिद्ध थी.

उनकी लगन , कार्य शैली से जनता नागी से बहोत प्रभावित होकर उनको पानी वाली बाई के नामसे पहचानने लगे थे. श्रीमती सरोज नागी जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी की वह मिरा भाईंदर नगर पालिका का चुनाव हार गयी थी ! फ़िरभी उन्होंने जनता की प्यास बुझाने एक टेंकर का एक हजार रूपया खुद खर्चा करके लोगों को पानी पहुंचाने का पुण्य कार्य करती थी. जिसको निःस्वार्थ समाज सेवा ही करनी हो , उसको नागी जी प्रेरणा श्रोत हे.

लोग भी उनका दिलो जान से सम्मान करते थे और पानी वाली बाई के नाम से संबोधित करते थे !

सन 1985 से लेकर सन 1998 तक मिरा भाईंदर शहर मे पानीके लिये अनेको हिंसक आंदोलन हुये थे.जिसकी मेरे द्वारा खींची कुछ दुर्लभ हिंसक तस्वीर आज भी मेरे पास मौजूद हे. जो मौका ए वारदात पर जाकर खींची गयी थी.

( सौजन्य सह आभार : भाईंदर भूमि )

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