मानव निर्मित आपदा को हम रोकने के लिए कदम उठा सकते है. मगर हम लोग , प्राकृतिक आपदा को रोकने मे असमर्थ है. नब्बे के दशक मे बारिस के मौसम मे मीरारोड़ (प) नाजरेथ आगर मे बिजली गिरने से तीन नमक मजदूरों की मौत चली गई थी.
मिरा भाईंदर शहर क्षेत्र मे पहला भूकंप सन 1965 मे आया था. उस समय भाईंदर छोटे छोटे गावोंमें बसा था. जनसंख्या करीब 5000 की रही होंगी. सुबह चार बजे हुए भूकंप से धरती हिल उठी थी. लोग घर से बाहर निकलकर मैदान मे आ गये थे. मगर कोई जानहानि नहीं हुई थी.
ता : 11 दिसम्बर 1967 के दिन महाराष्ट्र के कोयना नगर मे 6.6 की तीव्रता का भूकंप आया था, तब 177 लोगोंकी जान चली गई थी. 2,200 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिसके झटके मिरा भाईंदर ने महसूस किये थे, मगर कोई हताहत नहीं हुई थी.
नवंबर 2009 में महाराष्ट्र स्थित कोयना बांध के आस पास एवं मुंबई के कुछ इलाकों में भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.8 मापी गई थी. मिरा भाईंदर मे भी तब भूकंप के झटके महसूस किये गये थे. रोड पर रखे वाहन कांपने लगे थे. लोग रोड पर आ गये थे, मगर कोई हताहत नहीं हुई थी.
सन 1948 की महा विनाशक सुनामी शनिवार ता : 21 नवम्बर 1948 के दिन आये महा चक्रवात से भाईंदर का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया था. शनिवार दोपहर 3 बजे से शुरु तूफान रविवार शाम तक रहा था.
प्रत्यक्षदर्शी बुजुर्गो का कहना था कि एक दिन पहले से बारिस गिरना शुरु हो गई थी. रविवार सुबह से बारिस तेज गिरना शुरु हुई. तमाम रास्ते पानी मे डूब जानेकी वजह यहां वहां जाना मुश्किल हो गया था. खास करके भाईंदर पश्चिम मे नमक मिठागार मे रहने वाले लोगोंकी हालत दयनीय हो गई थी.
तूफानी हवा के साथ तेज बारिस और समुद्र मे आयी सुनामी की वजह से
लोग अपने घर से बाहर नहीं जा सके. नमक आगर मे रखे 40 – 50 किलो के लकड़े के चारण तैरते रेल्वे लाइन पर आकर अटके थे.
तेज हवा और बारिस के कारण कई वृक्ष धराशाही हो गये थे. राहत सामग्री बाढ़ पीड़ित तक पहुंचाने वाला कोई नहीं था. नाजरेथ बोर आगर स्थित रहने वाले एक परिवार ने भाईंदर तक पहुंचने की कोशिश की थी. मगर हाथ छूट जानेसे एक व्यक्ति की बहकर जान चली गई थी.
सबसे ज्यादा असर नमक आगर मे काम करने वाले मजदूरों को हुई थी.
आठ दिन यातायात बंद रही थी. कई कुत्ते, पशु की दर्दनाक मौत हो गई थी.
रोड कीचड़ मिट्टी से भर गये थी. उसको सफाई करने मे कई दिन लगे थे.
नव विवाहित वर वधू की जल समाधी.
दंतकथा ( LEGEND ) है की आजसे करीब 200 साल पहले मिरा भाईंदर गांव क्षेत्र मे यातायात के लिए एकमात्र साधन दूंगी (नाव) था. नाव से ही ठाणे, दहिसर, बोरीवली या आगे यात्रा संभव थी. किवदंती के अनुसार उस जमाने मे राई, मोरवा, मुर्धा क्षेत्र से एक बारात, मोरवा खाड़ी से दूंगी (नाव) मे बैठकर जा रही थी.
जब उत्तन डोंगरी स्थित कुंभाता के नजदीक नाव जा रही थी. तब नाव पलटी खाने से, उसमे स्वार वर – वधू के साथ तकरीबन 100 लोगो की जान चली गई थी. उस पहाड़ की जगह को आज भी स्थानीय लोग नवरा – नवरी के नाम से पुकारते है.
भाईंदर उत्तन एसटी बस दुर्घटना – उत्तन
अस्सी के दशक के उत्तरार्ध मे भाईंदर से उत्तन जा रही एस.टी. बस कुए मे गिरने से 16 लोगोंकी मौत हो गई थी. उस समय मिरा भाईंदर क्षेत्र मे मिट्टी और पत्थर के कच्चे रोड थे. एकमात्र भाईंदर पश्चिम स्टेशन से पुलिस स्टेशन तक का मार्ग सीमेंट कंक्रीत का था.
बारिस का समय था. अतः उस वक्त डोंगरी के आगे पत्थर खदान के सामने स्थित एक कुए मे बस जा गीरी. बारिस की वजह कुआ फूल उपर तक भरा था. उस वक्त बस मे स्वार करीब 20 लोग मेसे दो तीन यात्री ही बच गये बाकी सभी यात्री की मौत हो गई थी.
——=== शिवसर्जन ===——