प्रेम, खुशी, आकर्षण का प्रतिक बांसुरी.

basuri

भगवान श्रीकृष्ण मात्र एक ऐसे देवता हैं, जो 64 कलाओं से युक्त हैं. गुणों का खजाना माने जाने वाले कान्हा के सिर पर शोभायमान मुकुट में लगा मोर पंख हो या फिर उनकी मन मोहने वाली बांसुरी, उनकी हर चीज जीवन को एक नई सीख देती है.

भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी का नाम महानंदा या सम्मोहिनी था. कृष्ण को बांसुरी बजाने का बहुत शौक था , और वे इसे हमेशा अपने साथ रखते थे. बांसुरी को प्रेम, खुशी, और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है.

श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कुछ बातें :

श्रीकृष्ण को बंसी, वेणु, वंशिका, बंशीधर, और मुरलीधर जैसे नामों से भी जाना जाता है. श्रीमद्भागवत पुराण में कृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कई कथाएं हैं.

कहा जाता है कि भगवान शिव ने ऋषि दधीची की हड्डियों से एक बांसुरी बनाई और श्रीकृष्ण को उपहार में दिया था.

श्रीकृष्ण अलग-अलग समय में अलग-अलग तरह की बांसुरी बजाते थे.

गौचारण के समय श्रीकृष्ण आनन्दिनी बांसुरी बजाते थे. रास के समय श्रीकृष्ण महानंदा बांसुरी बजाते थे. बांसुरी में से निकलने वाली धुन मन को शांति देती है. कहा जाता है कि जिस घर में बांसुरी रखी होती है, वहां के लोगों में प्रेम बना रहता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है.

भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय थी और वह इसे हमेशा अपने साथ रखते थे. श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर पूराविश्व भक्तिमय हो जाता था.

श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कथाएं :

एक कथा के मुताबिक, धनवा नाम का एक बंसी बेचने वाला श्रीकृष्ण को बांसुरी देता है.

अन्य एक और कथा के मुताबिक, भगवान शिवजी ने ऋषि दधीचि की हड्डी को घिसकर एक सुंदर बांसुरी बनाई और भेंट स्वरूप श्रीकृष्ण को दी.

कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने जब राधा और गोपियों को छोड़कर जा रहे थे, तब महारास हुआ और उन्होंने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सभी गोपिकाएं बेसुध हो गई थी. राधा की मृत्यु के बाद कृष्ण ने बांसुरी को त्याग दिया.

राधा का गोलोक प्रस्थान :

श्रीकृष्ण प्रिय राधा की बात मानते हुए, बांसुरी बजाने लगे. बांसुरी की धुन इतनी मधुर थी कि राधा रानी ने कृष्ण के कंधे पर सिर रख दिया और मुरली की धुन सुनते हुए ही अपने प्राण त्याग दिए और गोलोक को प्रस्थान कर गईं. राधा के चले जाने से श्री कृष्ण इतने आहत हुए कि उन्होंने उसी समय अपनी बांसुरी को तोड़ दिया था.

भारत का वर्तमान बांसुरी वादक :

हरिप्रसाद चौरसिया (जन्म ता : 1 जुलाई 1938, इलाहाबाद , संयुक्त प्रांत , ब्रिटिश भारत ( अब उत्तर प्रदेश , भारत ) हिंदुस्तानी शास्त्रीय परंपरा में एक भारतीय बांसुरी वादक हैं, जिनके प्रदर्शन और रचनाओं ने संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई.

बांसुरी पर बने हिन्दी गीत :

(1) श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम

लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम.

(2) नींद चुराए, चैन चुराए

डाका डाले तेरी बंसी,

अरे, दिन-दहाड़े चोरी करे

रात भर जगाए,

डाका डाले तेरी बंसी…

(3) राधिके तूने बन्सरी चुराई

बन्सरी चुराई क्या तेरे मन आयी

काहे को रार मचाई रे, मचाई रे,

राधिके तूने बन्सरी चुराई…….

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *