बर्बरता पूर्ण लगाया गया ” ज़ालिम जजिया कर.”

 प्रशासन जब जबरन टेक्स वसूलने की कोशिश करता है तब हम लोग जजिया कर का उल्लेख होता सुनते है. प्रश्न ये निर्माण होता है की जजिया कर होता है क्या ? शायद कई लोगोंको इसका पता तक नहीं होगा. 

     ” जजिया ” एक प्रकार का धार्मिक कर है, जिसे मुस्लिम राज्य मे रहनेवाली गैर मुस्लिम जनतासे जबरन बसूलात किया जाता है. इस्लामी राज्य में केवल मुसलमानों को ही रहने की अनुमति दी जाती थी और यदि कोई गैर मुसलमान उस राज्य में रहना चाहे तो उसे जज़िया कर देना होता था. इसे देने के बाद गैर मुस्लिम लोग इस्लामिक राज्यमें अपने खुद के धर्म का पालन कर सकते थे. 

    इतिहास साक्षी है कि भारत मे प्रथम जजिया कर मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध प्रान्त के देवल में लगाया था. बाद मे जजिया कर लगाने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान फिरोज तुगलक था. इसने जजिया को खराज (भूराजस्व) से निकालकर पृथक कर के रूप में बसूला था. इससे पूर्व ब्राह्मणों को इस कर से मुक्त रखा गया था. यह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया था. 

           फिरोज तुगलक के ऐसा करने के विरोध में दिल्ली के ब्राह्मणों ने भूख हड़ताल का सहारा लिया था. फिर भी उस फिरोज तुगलक ने इसे समाप्त करने की ओर कोई कोशिश नहीं की थी. अन्त में दिल्ली की जनता ने ब्राह्मणों के बदले स्वयं जजिया कर देने का निर्णय लिया था. इसके बाद लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने भी जज़िया कर लगाया था. 

        दिल्ली सल्तनत के फैलने के साथ जजिया कर का क्षेत्र भी बढ़ गया था. अलाउद्दीन खिलजी ने जजिया और खरज न दे पाने वालों को गुलाम बनाने का कानून बनाया था.    

           खिलजी के कर्मचारी ऐसे लोगों को गुलाम बनाकर सल्तनत के शहरों में बेचते थे जहाँ गुलाम श्रमिकों की भारी मांग रहती थी. मुस्लिम दरबारी प्रसिद्ध इतिहास कार जिया उद्दीन बरनी ने लिखा है कि बयानह के काजी मुघिसुद्दीन ने अलाउद्दीन को सलाह दी थी कि इस्लाम की जरूरत है कि हिन्दुओं पर जजिया लगाया जाय ताकि हिन्दुओं के प्रति निरादर दिखाया जा सके और उन्हें अपमानित किया जा सके. उसने सलाह दी कि जजिया लगाना सुल्तान का मजहबी फर्ज बनता है. 

        सल्तनत के बाहर के मुसलमान शासकों ने भी हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था. कश्मीर में सर्वप्रथम जजिया कर सिकंदर शाह द्वारा लगाया गया. यह एक धर्मान्ध शासक था और उसने हिन्दुओं पर भारी अत्याचार किये थे. उसके बाद इसका पुत्र जैनुल आबदीन ( सन 1420 से 1470 ) शासक बना और सिकन्दर द्वारा लगाए गए जजिया को समाप्त कर दिया था. जजिया कर को समाप्त करने वाला यह पहला शासक था . 

         गुजरात में जजिया कर सर्वप्रथम अहमदशाह ने सन 1411 से 1442 के समय लगाया था. उसने इतनी सख़्ती से जजिया वसूला था कि बहुत से हिन्दू मजबूर होकर मुसलमान बन गये थे. बादमे शेरशाह के समय जजिया को “नगर कर” की संज्ञा दी गयी थी. 

            जजिया कर को समाप्त करने वाला मुगल शासक अकबर था . अकबर ने सन 1564 में जज़िया कर समाप्त कर दीया था. लेकिन सन 1575 में पुनः शुरू कर दिया था. इसके बाद सन 1579 – 80 में पुनः समाप्त कर दिया था. औरंगजेब ने सन 1679 में जजिया कर लगाया था. उसके राज्य में जजिया कर के विरुद्ध हिन्दुओं ने विद्रोह भी किया जिससे बीच में कुछ स्थानों पर जजिया हटा लिया गया था. 

 सन 1712 में जहाँदारशाह ने अपने मंत्री जुल्फिकार खां व असद खां के कहने पर जजिया को विधिवत रूप से समाप्त कर दिया था. इसके बाद आये फर्रूखशियर ने सन 1713 में जज़िया कर को हटा दिया किन्तु सन 1717 में इसने जजिया पुनः लगा दिया था. अन्त में सन 1720 में मुहम्मद शाह रंगीला ने जयसिंह के अनुरोध पर जजिया कर को सदा के लिए समाप्त कर दिया था. 

        बताया जाता है की अल्लाह ने मुसलमानों पर पांच चीजें अनिवार्य की हैं: तौहीद, नमाज़, रोज़ा, हज और ज़कात. इनमें से जकात का संबंध इस्लाम की आर्थिक व्यवस्था से है.

       मुगल शासको द्वारा लगाया गया जजिया का बच्चे , महिलाये तथा, ब्राह्मण , पादरी से नहीं वसूला जाता था. ये कर हर व्यक्ति के हिसाब से वसूला जाता था. यदि आपके घर मे पांच व्यक्ति हो तो पाचोसे कर वसूला जाता था. इसके बदले मे उनका सम्मान तथा घरकी सुरक्षा प्रदान करनेकी हमी दी जाती थी. 

    —-=== शिव सर्जन ===——

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