बिनाका गीत माला फेम अमीन सयानी| Ameen Sayani

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साठ और सत्तर के दशक मे श्रोता ” बिनाका गीत माला ” सुननेके लिए अपने रेडिओ सेट से चिपक जाते थे. रास्ते सुनसाम हो जाते थे. लोग दो तीन किलोमीटर तक बैल गाडी मे बैठकर रेडियो सिलोन पर बिनाका गीत माला सुनने के लिए शहर जाते थे. तब उस जमाने मे टेलीविज़न का चलन नहीं था.

रेडियो लक्ज़री आइटम मानी जाती थी.

घर मे रेडियो होना प्रतिष्ठा की निशानी माना जाता था.

उस जमाने मे अमीन सयानी जी भारत के एक मशहूर रेडियो संचालक या उद्घोषक थे. उनको सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में भी ख्याती मिली हुई है. इनका मशहूर कार्यक्रम “बिनाका गीतमाला” रेडियो सिलोन से प्रसारित होता था. अमीन सयानी जी रेडियो सिलोन पर 1952 से 1994 तक ” बिनाका गीत माला” के सफल और लोकप्रिय प्रस्तुत कर्ता रहे.

” जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला ” ये शब्द सुनते ही पुरानी रेडियो वाली यादें ताजा हो जाती हैं. अमीन सयानी की आवाज ने रेडियो को देश के हर कोने में अलग पहचान दिलाई. तकरीबन 46 वर्ष तक रेडियो सीलोन के जरिए सयानी की प्रस्तुति और बाद में विविध भारती पर इसके प्रसारण को लोग आज भी याद करते हैं. हर साल संयुक्त राष्ट्र ता : 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर मनाती है.

अमीन सयानी का जन्म ब्रिटिश भारत में ता : 21 दिसम्बर, 1932 के दिन बॉम्बे ( अब मुंबई ) मे एक गुजराती भाषी मुस्लिम परिवार में हुआ था.उनके माता-पिता कुलसुम और जान मोहम्मद सयानी हैं. सयानी ने अपनी स्कूली शिक्षा सिंधिया स्कूल और कॉलेज की शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई में की. उनकी मां एक स्वतंत्रता सेनानी थीं और गांधी के करीबी थीं, यही वजह है कि सयानी खुद को गांधीवादी कहती हैं. उन्होंने एक कश्मीरी पंडित से शादी की.

अमीन ने 54,000 रेडियो कार्यक्रम किये है. बहुत कम लोग जानते हैं की अमीन सयानी हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू के साथ गुजराती भाषा पर भी अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं.

अमिताभ बच्चन अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे. तब उन्होंने फिल्मों में किस्मत आजमाने से पहले रेडियो में अपना भविष्य बनाने का विचार किया था. वह आल इंडिया रेडियो के स्टेशन जा पहुंचे. उन दिनों अमीन सयानी ऑल इंडिया रेडियो के अनाउंसर थे.

आल इंडिया रेडियो में अमीन का काफी दबदबा था. किसी को AIR में रखने या निकालने का निर्णय भी उनके सलाहपर लिया जाता था. यही कारण अमिताभ बच्चन का जॉब एप्लीकेशन भी उन्हीं के पास गया.

उस समय अमीन सयानी एक हफ्ते में 20 शोज किया करता था. इतना ही नहीं वें रेडियो प्रोग्रामिंग के हर प्रक्रिया में शामिल था, इस वजह से उनके पास बिल्कुल समय नहीं था. एक दिन श्री अमिताभ बच्चन जो आज सदी का महानायक है, ऑल इंडिया रेडियो के मुंबई स्टूडियो में बिना अपॉइंटमेंट ही ऑडिशन देने पहुंच गया. मगर अमीन ने उनकी आवाज सुने बिना ही रिजेक्ट कर दिया.

अमीन सयानी ने कुछ समय बाद

जब सयानी ने आनंद फ़िल्म (1971) का एक ट्रॉयल शो देखा तो अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए इसपर अमित कहते है कि मुझे उस इनकार का खेद है. लेकिन, मुझे लगता है कि जो हुआ वह हम दोनों के लिए अच्छा था. सोचिए वो रेडियो की दुनिया में आ जाते तो मैं सड़कों पर होता और उसे रेडियो पर इतना काम मिलता कि भारतीय सिनेमा अपना सबसे बड़ा अभिनेता खो देता.

अमीन सयानी के सम्मान मे उन्हें कई पुरस्कार प्रदान किये गये है.

*** 2008 में, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

**** इंडिया रेडियो फोरम के साथ लूप फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से लिविंग लीजेंड अवार्ड (2006)

*** रेडियो मिर्ची ( टाइम्स ग्रुप के एफएम नेटवर्क) की ओर से कान हॉल ऑफ फेम अवार्ड (2003)

*** एडवरटाइजिंग क्लब, बॉम्बे (2000) द्वारा गोल्डन एबी सेंटेनरी (“बिनाका/सिबाका गीतमाला”) के उत्कृष्ट रेडियो अभियान के लिए.

*** इंडियन एकेडमी ऑफ एडवरटाइजिंग फिल्म आर्ट (IAAFA) से हॉल ऑफ फेम अवार्ड (1993)

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पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड (1992) लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स.

*** इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स (आईएसए) से स्वर्ण पदक (1991) श्री के.आर. नारायणन , भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति.

संयुक्त राष्ट्र 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर मनाती है.

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