बीरबल और अकबर की हजारों कहानी प्रसिद्ध है. जो प्रेरणा श्रोत है. ऐसी ही एक कहानी आज प्रस्तुत करनी है…..
एक दिन राजा अकबर का दरबार भरा था. वहां बीरबल, मंत्री गण, तथा राजा के साले साहब और रानी मौजूद थीं. सभा के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि बीरबल ने भरी सभा में “पाद” मार दिया था. राजा अकबर को उनकी पत्नी और साले साहब ने इतना भड़काया की राजा को अपने उदास मन से बीरबल को सभा छोड़ने का आदेश देना पड़ा.
जब बीरबल को निकाल दिया गया तो उसने अपनी जगह पर खेती करने का विचार किया. ठंडी का मौसम था, तो बीरबल ने गेहूं की खेती की. ठंड के मौसम में ओस की बूंद गेहूं की छोटी छोटी हरी पतियों पर ऐसे चमक रही थी, मानों जैसे कोई मोती हो.
एक दिन राजा अकबर सुबह के समय अपने घोड़े से वहां से गुजर रहे थे, कि उन्हें बीरबल दिखाई दिया. उसने बीरबल से पूछा कि आज-कल क्या कर रहे हो? बीरबल ने थोड़ा दिमाग लगाया और राजा से बोले कुछ नहीं महाराज सभा से निकाल देने के बाद मोतियों की खेती कर रहा हूं.
गेहूं की पतियों पर ओस की बूंदे राजा ने देखी. वो हैरान रह गया. खेत की ओर देखा ओस की बूंद पतियों पर सच में मोती दिख रही थी. बीरबल सच में ही ओस की बूंद को मोती समझ बैठा और सोचने लगा अगर बीरबल मोती किसी अन्य राजा को बेचता है तो यह मुझ से भी अमीर हो जाएगा. राजा ने बीरबल से कहां, बीरबल ये मोती तुम मुझे बेच देना. बीरबल राजी हुआ.
इतने सारे मोती देखकर बीरबल की नींद हराम हो गई. उसने बीरबल को महल में बुलाया और बीरबल से मोतियों का राज जानने की कोशिश की. उसे तो पता था यह कोई मोती नहीं केवल ओस की बूंदे है, लेकिन यह राजा को सबक सिखाने का रास्ता था.
बीरबल ने कहां महाराज ये खेती हर जगह नहीं हो सकती इसके लिए आपको वह महल तुड़वाना पड़ेगा जो आपने रानी के लिए बनवाया है. केवल वहीं इसकी खेती हो सकती है. राजा ने सोचा कि इतने सारे मोतियों में तो रानी के लिए बाद में दस महल बनवा दूंगा. राजा ने हां कर दिया.
दूसरे ही दिन महल को तुड़वा दिया गया मिट्टी को एकदम उपजाऊ किया गया. बीरबल ने खेती शुरू कर दी और थोड़े दिन बाद ही खेती की कटाई का आदेश दिया जैसे ही गेहूं की पत्तियां थोड़ी बड़ी हुई ओस की बूंद जमना शुरू हो गई. राजा अकबर खुश हुआ.
जब कटाई के लिए बीरबल को बुलाया गया तो वहां पूरा गांव ही मौजूद था. बीरबल राजा से कहते है महाराज अब आप एक मोती तोड़ सकते है. जैसे ही अकबर एक मोती तोड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाते है, तो बीरबल ने उन्हें रोक दिया और कहा कि महाराज क्षमा करें किन्तु आप ये मोती तभी तोड़ सकते है अगर आपने आज तक “पाद” ना मारा हो वरना ये मोती पानी की बूंद बन जाएगा. राजा हैरान हो गए और अपना हाथ पीछे कर लिया.
बीरबल ने वहां मौजूद सभी मंत्री गण, रानी, राजा के साले साहब और पूरे गांव को मोती तोड़ने के लिए कहां किंतु शर्त यही थी, केवल वही मोती तोड़ सकता है, जिसने आज तक “पाद” ना मारा हो वरना मोती पानी की बूंद बन जाएगा.
जमा हुईं भीड़ में से किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि कोई मोती तोड़ सके. सभी अपने पैर पीछे खींचने लगे. तभी राजा और रानी को अपनी गलती का अहसास होता है और वे बीरबल से माफी मांगते हुए, फिर से सभा में आने के लिए कहते है.