भाषा और बोली में अंतर क्या है ? जानना दिलचस्प है. किसी भी भाषा में साहित्य प्रचुर मात्रा में होता है जबकि बोली में साहित्य का अभाव होता है. वैसे भाषा का क्षेत्र मुख्य रूप से विस्तृत होता है परंतु एक बोली का क्षेत्र सीमित होता है. भाषा का प्रयोग राज कार्यों या प्रशासनिक कार्यों में किया जाता है, पर बोली का उपयोग आम बोलचाल में किया जाता है.
भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है और बोली का सीमित होता है. भाषा का व्यवहार अधिक दूर तक फैला होता है और बोली का उसकी अपेक्षा कम दूर तक फैला होता है. एक भाषा के अंदर अनेक बोलियां हो सकती है लेकिन एक बोली के अंदर अनेक भाषा कभी नहीं हो सकती.
अब हम हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा की बात करते है. संस्कृत में भाषा में हिन्दू धर्म से सम्बंधित लगभग सभी धर्मग्रन्थ लिखे गये हैं. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ संस्कृत में लिखे गये हैं. आज भी हिन्दू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही की जाती हैं. संस्कृत को विश्व की अन्य भाषाओं की जननी मानी जाती है.
सन 1961 में की गई जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं. भारत में फिलहाल 1365 मातृ भाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है. कहा जाता है कि कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी. जैसे आप चार कोस दूर जाते हो तो बोली भी बदल जाती है. दुनियाभर में कुल 2500 से अधिक भाषाएं हैं.
मगर सिर्फ संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो पूरी तरह सटीक है. इसका कारण इसकी सर्वाधिक शुद्धता है. विश्व में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए संस्कृत को सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है.
संस्कृत भाषाकी रोचक बातें :
*** संस्कृत भाषा में किसी भी शब्द के समानार्थी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है. जैसे हाथी शब्द के लिए संस्कृत में १०० से अधिक समानार्थी शब्द हैं.
*** मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिणी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत भाषा का था उसका नाम “अष्टाध्यायी” रखा गया था.
*** संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है,अपितु संस्कृत एक विचार है, संस्कृत एक संस्कृति है, एक संस्कार है, संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है सहयोग है, वसुदैव कुटुम्बकम् कि भावना है.
*** संस्कृत, विश्व की सबसे पुराने वेदोंकी भाषा है. इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा माना जाता है.
*** संस्कृत विद्वानों के अनुसार सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग निकलती हैं. इस तरह कुल 36 रश्मियां होती है. इन कुल 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने है.
*** संस्कृत ही एक मात्र साधन हैं जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं. संस्कृत अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान तथा अन्य कई भाषाएँ ग्रहण करने में मदद मिलती है.
*** नासा का कहना है की 6th और 7th जनरेशन सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे.
*** अरब आक्रमण से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्रभाषा थी. कर्नाटक के मट्टुर गाँव में आज भी लोग संस्कृत में ही बोलते है.
*** 18. संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है. इस से अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं. जैसे…. अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहं दोनों ही ठीक हैं.
*** नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे. इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था. उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग भी किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं. जैसा के ऊपर बताया गया है.
*** कहा जाता है कि अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी को केवल होंठों से ही बोला जाता है , किंतु संस्कृत भाषा में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, अंतःस्थ और ऊष्म वर्गों में बांटा गया है.
*** संस्कृत भाषा उत्तराखंड राज्य की आधिकारिक राज्य भाषा है.
*** जर्मनी के 14 विश्वविद्यालय लोगों की भारी मांग पर संस्कृत की शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन आपूर्ति से ज्यादा मांग होने के कारण वहाँ मौजूदा सरकार संस्कृत सीखने वालों को उचित शिक्षण व्यवस्था नहीं दे पा रही है.
*** हिन्दू युनिवर्सिटी के रिपोर्ट अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाता है.
*** संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है. जिससे बात करने वाले व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है.
*** यूनेस्को(UNESCO) संस्था ने भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी सूची में संस्कृत वैदिक जाप को जोड़ने का निर्णय लिया गया है. यूनेस्को(UNESCO) ने माना है कि संस्कृत भाषा में वैदिक जप मानव मन, शरीर और आत्मा पर गहरा प्रभाव पड़ता है.