भगवान विष्णु का प्रथम “मत्स्य अवतार.” | Bhagvan Vishnu First Matsya Avatar

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भगवान विष्णु ने पृथ्वी के उपर आज तक नव अवतार लिये हैं. (1) मत्स्य अवतार (2) कुर्मा अवतार (3) वराह अवतार (4) नरसिंह अवतार (5) वामन अवतार (6) परशुराम अवतार (7) राम अवतार (8) कृष्ण अवतार (9) गौतम बुद्ध. (10) सनातन ( हिन्दू ) धर्म के अनुसार दसवा अवतार कलि अवतार कली युग के अंतिम चरण में होगा. 

       प्रभु के नव अवतार में चार अवतार सत्ययुग में हुए थे. ( श्री मत्स्य , कुर्मा , वराह , नरसिंह )तीन त्रेता युग में हुए थे. ( श्री राम , श्री परसुराम , श्री वामन ) और दो द्वापर युग में हुए हैं. ( श्री कृष्ण और गौतम बुद्ध.) 

       आज मुजे बात करनी है श्री विष्णु भगवान के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार के बारेमें. 

           पृथ्वी लोग के पालनकर्ता श्री भगवान विष्णु ने प्रथम अवतार के रूपमें मत्स्य अवतार को धारण किया था. असुर हयग्रीव का विनाश एवं वेदोंकी रक्षा के लिये यह अवतार लिया गया था. चैत्र में शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान श्री विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था. इस अवतार की विस्तार से कथा मत्स्य पुराण में मिलती है.

        पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था. मत्स्य मतलब मछली होता है. पौराणिक कथा के अनुसार…… 

     एक बार द्रविड़ देश के राजश्री सत्यव्रत कृतमाला नदी में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे , तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो. क्योंकि समुद्र में बडी मछली छोटी मछली को खा जाती है. इस बात पर दया और धर्म का पालन करते राजा सत्यव्रत ने मछली को अपने कमंडल में रख लिया और घर की ओर प्रयाण किया. मगर घर पहुँचने तक वह मछली उस कमंडल के आकार की हो गई. राजा नें इसे एक बड़े पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मत्स्य उस पात्र के आकार की हो गई. 

         राजाने उसे पुन: नदी के जल में छोड़ दिया. छोड़ते ही मछलीने फिर विराट रुप धारण किया. राजा को समजने में देर नहीं लगी. उसने मछली को हाथ जोड़कर कहां,आप कोई महा शक्ति हो. कृपया दर्शन देनेकी कृपा करें. 

     इस बात पर राजर्षि सत्यव्रत के समक्ष भगवान विष्णु जी प्रकट हुए और कहा कि हे राजन! हयग्रीव नामक दैत्य ने वेदों को चुरा लिया है. जगत् में चारों ओर अज्ञान और अधर्म का अंधकार फैला हुआ है. मैंने हयग्रीव को मारने के लिए ही मत्स्य का रूप धारण किया है. 

          आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय से समुद्र में डूब जाएगी. तब तक तुम एक नौका बनवा लो और समस्‍त जीव प्राणियों के सूक्ष्‍म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्‍तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना. प्रचंड आंधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में तुम सबको बचा लूंगा. 

     कथा अनुसार सातवे दिन समुद्र उमड़ उठा. भयानक वर्षा हुई. सारी पृथ्वी पानी में डूब गई. सत्यव्रत सप्त ऋषियों के साथ अनाजों और औषधियों के साथ जीवोंको लेकर नाव पर सवार हो गये. प्रलय का प्रकोप शांत होने पर भगवान विष्णु ने दैत्य हयग्रीव का वध करके उससे वेद छीनकर ब्रह्माजी को पुनः दे दिए. भगवान ने प्रलय समाप्‍त होने पर राजा सत्यव्रत को वेद का ज्ञान वापस दिया. राजा सत्‍यव्रत ज्ञान-विज्ञान से युक्‍त हो वैवस्‍वत मनु कहलाए. उक्त नौका में जो बच गए थे उन्हीं से संसार में जीवन आगे चला.

      भगवान विष्णु को प्रजा के पालक कहा जाता है. हर युग में अवतार लेकर उन्होंने धरती और प्राणियों की रक्षा की है. माना जाता है कि कलयुग में वे कल्कि अवतार लेकर दुष्टों का संहार करेंगे और एक बार फिर इस धरा पर नव सृस्टि का नवनिर्माण होगा. 

    आज भी कई श्रद्धालु लोग मत्स्य द्वादशी के दिन पूजा के दौरान मंत्र: ” ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥” इस मंत्र का जाप करते है. और जलाशय या नदियों में मछली को चारा डालते है. 

——====शिवसर्जन ====———

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