भगवान श्री गौतम बुद्ध| Bhgagwan Gautam Buddha

gautama buddha

सनातन ( हिंदू ) मान्यता के अनुसार श्री गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु जी का नव वा अवतार माना जाता है. बताया जाता है की बौद्ध कोई धर्म नहीं है. यह बिपासना केंद्र है. ये जीनेकी राह दिखाता है. बुद्ध के अनुयायी ध्यान केंद्र को बिपासना केंद्र कहते है. 

           भारत (नेपाल ) सहित दुनिया भर के कई बोद्ध के अनुयायी है, जैसे की चाइना, जापान, इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा, फिलीपींस, श्री लंका. ब्रह्मदेश, सिंगापुर इतियादी. 

     श्री गौतम बुद्ध ईसवी सन पूर्व 563 से 483 साल पहले हो गये. गौतम बुद्ध को महात्मा बुद्ध, भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ एवं शाक्यमुनि के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी शिक्षा ओ पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ. 

          उनका जन्म लुंबिनी ( आज का नेपाल ) मे इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था. उनकी माँ का नाम महामाया था, जो कोलीय वंश से थीं. बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद उनकी माता जी का निधन हो गया था. उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महा प्रजापती गौतमी ने किया था. 

       भगवान बुद्ध नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर सत्य एवं दिव्य ज्ञान की प्राप्ति के लिये रात्रि में राजपाठ का मोह त्याग कर वन मे चले गये थे. कई वर्षों की कठोर साधना, तपस्चर्या के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गये. 

         एक बार गौतम अपने सारथी के साथ रथ पर शहर के दर्शन करने जा रहे थे, तब राजकुमार गौतम ने रास्ते मे एक बूढ़े आदमी को देखा, थोड़े दूर गये तो रास्ते मे एक रोग ग्रस्त व्यक्तिको देखा और आगे गया तो चार आदमी एक लाश को लेकर आ रहे थे. उन्होंने अपने सारथी को पूछा, क्या मै भी बूढा हो जाऊंगा ? मै भी कभी मर जाऊंगा ? 

       सारथी ने कहा, जिसका जीवन है, उसकी मौत निश्चित है. दुनिया मे आये सभी को एक ना एक दिन मरना ही पड़ता है. सारथी की ये बात ने बुद्ध का जीवन परिवर्तन कर दीया, और रात्रि को सत्य और स्वयं की खोज मे गृह त्याग करके जंगल की ओर निकल गये. 

         कठोर चिंतन, साधना और ध्यान से वर्षों के बाद उन्हें बोधी ज्ञान, प्रबुद्धता प्राप्त हुई और वे बुद्ध बन गए जिसका अर्थ है ‘जागा हुआ “या” प्रबुद्ध इंसान. 

       भाईंदर की बात करें तो श्री सत्यनारायण गोयन्का जी ने फिर बुद्धिज़म को मुंबई , गोराई में लाकर दुनियामे इतिहास रचा.” ग्लोबल पगोडा ” बौद्ध बिपासना केंद्र. गोराई , मुंबई बोरीवली के नाम से शायद ही कोई अनजान होगा. विश्व में ऐसा पगोडा ( वास्तु ) कही नहीं है.

          मिरा भाईन्दर ( पश्चिम ) से करीब 23 किलोमीटर की दुरी पर बोरीवली ( गोराई ) स्थित एस्सेल वर्ल्ड की उत्तरी छोर पर भव्य पगोडा का निर्माण किया गया है. जो श्री सत्य नारायण गोयन्का का धार्मिक प्रकल्प है. जिसके लिये एस्सेल वर्ल्ड के मालिक श्री शुभाष गोयल ने मुफ्त में जगह दी है. सत्यनारायण गोयन्का ने फिर बुद्धिज़म को मुंबई , गोराई में लाकर इतिहास रचा. यहां पर समय समय पर शिविर होते रहती है. जिसमे भारत भर के लोग भाग लेते है. 

            पगोडा का निर्माण सन 2000 में शुरू हुआ और सन 2008 में पुरा हुआ. उसके बाद 8 फरवरी 2009 के दिन तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने इसका शुभारंभ किया. जिसमे भारत सहित विश्व के कई गणमान्य लोगोने भाग लिया था.  

         बुद्ध विपासना पगोडा की कुल ऊंचाई 96.12 मीटर यानी लगभग 300 फुट ऊंची है. नीचे गोल आकर में बना ध्यान केंद्र में एक साथ 8000 साधक बैठ सकते है. अगर खड़े रहे तो 12000 साधक खड़े रह सकते है. पगोडा की विशेषता है की बीचमे एक भी खम्भा नहीं है. पुरा राजस्थान से लाये गये बड़े बड़े विशाल भारी पत्थर से बना है. 

        शिल्प कला की अदभुत कारीगरी है. ताजुब की बात है की , इसमें सीमेंट का बिलकुल उपयोग नहीं किया गया है. पगोडा के उपर बीचमे भगवान श्री गौतम बुध्द के अस्थि एवं बाल रखे गये है जो विश्व ग्लोबल संस्थान की तरफ से मिले है, जिसको हीरा , मोती , सोना , चांदी जेवरात के बीचमे रखकर कंस्ट्रक्शन किया गया है. 

          मुख्य पगोडा के दोनों बाजु दो छोटे छोटे पगोडे बनाये गये है. जिससे भव्यता का अहेसास होता है. पगोडा के पूर्व में एक विशाल अशोक स्तंभ पर्यटकोंका आकर्षण केंद्र हे. वैसे तो मुख्य पगोडा में अंदर जाना मना है मगर अंदर प्रेक्षको के लिए गेलरी बनायीं गयी है, जहासे आप अंदर का पुरा नजारा देख सकते हो. 

           यह वास्तु को ईस तरह से डिज़ाइन की गयी है की बारिस का जो पानी पगोडा पर गिरता है वो सीधा पगोडा की टंकी में जाता है. विशाल पगोडा के नीचे विशाल काय पानी की टंकी बनी है. जिसका पानी साल भर चलता है. नीचे भू भाग मे तीन विशाल तालाब बनाये गये है. 

     मंदिर परिसर में गौतम बुद्ध की जीवनी को दर्शाते करीब 100 से ज्यादा फोटो की प्रदर्शनी रखी गई है जो प्रेक्षणीय है. नीचे बुक स्टॉल अवं एक मिनी A/C थिएटर है, जहां 18 मिनट की पगोडा की फिल्म फ्री में दिखाई जाती है. पगोडा का प्रवेश बिलकुल निशुल्क है. 

     ग्राउंड फ्लोर में खान पान के लिये सुंदर व्यवस्था है जहां आप पैसे देकर मन चाहा नास्ता खाना खा सकते हो. पगोडा से आप दूर दूर तक प्राकृतिक सौंदर्य का मनमोहक नजारेका लाभ उठा सकते हो. नीचे धम्म चक्र अवं गौतम बुद्ध की सुंदर प्रतिमा प्रेक्षणीय है. पर्यटक यहापर मोबाइल से सेल्फ़ी लेकर मोमेंटम को यादगार बनाते है. 

       श्री गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई.पूर्व कुशीनारा में हुई थी. उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी. बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे ‘महापरिनिर्वाण’ कहते हैं. लेकिन उनकी मृत्यु के मत में बौद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकार एकमत नहीं हैं.

          बुद्ध को मरने से पहले पता चल गया था की उनका अंतिम समय आ गया है. मरते समय उनका शिष्य आनंद साथ मे था. बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राहुल भी भिक्षु हो गये थे. बुद्ध की पत्नी यशोधरा अंत तक उनकी शिष्या नहीं बनीं.

              उनके मरने पर 6 दिनों तक लोग दर्शनों के लिए आते रहे थे. सातवें दिन शव को जलाया गया. फिर उनके अवशेषों पर मगध के राजा अजातशत्रु, कपिलवस्तु के शाक्यों और वैशाली के विच्छवियों आदि में भयंकर झगड़ा हुआ.जब झगड़ा शांत नहीं हुआ तो द्रोण नामक ब्राह्मण ने समझौता कराया कि अवशेष आठ भागों में बांट लिये जाएं. ऐसा ही हुआ. आठ स्तूप आठ राज्यों में बनाकर अवशेष रखे गये. बताया जाता है कि बाद में अशोक ने उन्हें निकलवा कर 84000 स्तूपों में बांट दिया था.

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                         शिव सर्जन प्रस्तुति.

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