मिरा भाईंदर मे पानी के लिए अनेक आंदोलन हुए. मैंने स्वयं दहिसर और बोरीवली से लोगोको पानी लेकर आते देखा है. दिन ब दिन जन संख्या बढ़ती गई, और तालाब और कुए का पानी कम पड़ने लगा. लोग पानीके बूंद बूंद के लिए तरसने लगे.
अस्सी के दशक के प्रारंभ की ये बात है. तब भाईंदर मे ग्रामपंचायत की हकूमत थी. नेताओं मे श्री मीठालाल जैन का नाम सुर्खियों मे था. खारीगाव मे तब नल का पानी उपलब्ध नहीं था. लोग रोड पर नारा लगाते थे, है कोई मायका लाल पानी देगा मीठालाल. त्रस्त महिला ओने पानी के लिए आंदोलन किया.
भाईंदर पूर्व खारीगाव का ये पहला पानी आंदोलन था. त्रस्त महिलाओं ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हंडा कलसी का मोर्चा निकाला. जमकर नारे बाजी हुई. प्रशासन की नींद हराम की.
महिलाओ का नेतृत्व सौ. सुनित्रा दत्ता अखड़कर, सौ, वृशाली सतीश सावंत तथा सौ. लता महेता ने किया. गांव की कई महिलाओ ने भाग लिया. जिसमे सौ. रेवती पाटील, सौ. विश्रान्ति गोवेकर, सौ.शकुंतला पाटील, सौ. मिना सुर्वे, सौ. चेम्बूरकर आदि महिलाओ का समावेश था. अनेक लोगोंने महिलाओ को साथ दिया. तो दूसरी तरफ टैंकर लॉबी नाराज हुई. उन्होंने नेतृत्व करने वाली उपरोक्त तीनो महिलाओ को जान से मारने की धमकी दी.
आखिरकार श्री मीठालाल ने इन महिलाओ की मदद की. फाटक स्थित तत्कालीन पानी की टंकी से रेलवे समांतर केबिन तक और वहासे श्री सत्यनारायण मंदिर तक दो इंच की पाइप लाइन श्रमदान करके खींची गई. पानी तो खारीगाव तक पंहुचा मगर कम प्रेसर और जैसे जैसे जन संख्या बढ़ते गई पानी समस्या और विकरार रुप धारण करती गई.
पानी के लिए मानों महा युद्ध होने लगा. सार्वजनिक नल पर रोज ब रोज झगड़े, हाथापाई आम बात बन गई. टैंकर लॉबी फिर हावी हो गई. उनके लिए कमाई का नया धंदा मिल गया. नब्बे के दशक की शुरुआत मे पानी प्रॉब्लम बढ़ते गया.
लोगोंको गटर के पानी से कपडे धोनेकी नौबत आयी. परिस्थिति इतनी विकट थी की लोग मिरा भाईंदर क्षेत्र मे अपनी बेटी देनेसे परहेज करते थे. लोग खड्डा खोदकर गटर का गंदा मिश्रित पानी से कपडे धोते थे.
कुछ लोग दहिसर से पानी लाते थे तो कुछ लोग बोरीवली स्टेशन से पानी लाते थे. भाईंदर ( ईस्ट ) की अधिकांश महिलाएं भाईंदर ( वेस्ट ) मे पानी लाने जाती थी. समस्या बनी हुई थी तब….
तारीख : 12 जून 1985 के दिन मिरा भाईंदर नगर पालिका परिषद् की स्थापना हुई. उस वक्त मिरा भाईंदर शहर क्षेत्र रोड, गटर स्ट्रीट लाइट, पानी, अस्पताल, उद्यान जैसी अनेक प्रमुख जन सुविधा से वंचित था.
पानी की विकट समस्या के लिए भाईंदर मे अनेक जन आंदोलन हुआ. बेस्ट की बसों कों बी पी रोड स्थित जला दिया गया. दमकल कों भाईंदर वेस्ट मे जला दिया गया. रेल पटरियों पर रेल्वे के लकड़े के स्लीपर से अवरोध पैदा करके आग लगा दी गई. स्टेशन परिसर मे घड़ी, इंडिकेटर की तोड़फोड़ की गई. भाईंदर इस्ट की टिकट खिड़की कों तोड़कर असामाजिक तत्व टिकट कूपन कों चुरा ले गये. कई जगह चक्का जाम किया गया.
उसी वक्त तारिख : 1 जनवरी 1986 के दिन ” भाईंदर भूमि ” नामक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र का यहां प्रकाशन प्रारंभ हुआ.
भाईंदर भूमि पत्रके प्रधान संपादक थे , श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी ” लाल साहब.” जी को पत्रको क्यों प्रकाशित करने पडा ? इस पत्र का क्या मकसद था ? जैसे तमाम प्रश्न के उत्तर जानने के लिए कल का अंक जरूर पढ़े.
——=== शिवसर्जन ===——