” भाईंदर पश्चिम का मच्छी मार्किट.” Part – XLVIII

fish market

मिरा भाईंदर अपने नमक उत्पादन तथा स्टील कारखानों की वजह भारत भर मे प्रसिद्ध है. मगर क्या आपको पता है ? भाईंदर मच्छी व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है. मिरा भाईंदर का पश्चिम भाग अरबी समुद्र से घिरा हुआ है.

ये कोली, आगरी और माछी समाज का मूल गांव है. और ये तीनो समाज मच्छीमारी के लिए जाने जाते है.

विशाल समुद्र की वजह यहांपर मच्छीमारी का व्यवसाय फलाफूला है. भाईंदर का मत्स्योद्योग एक प्रकार की मच्छी ” पापलेट ” ( PAPTET ) और ” बोम्बील ” के लिए प्रसिद्ध है.

आप कभी भाईंदर पश्चिम उत्तन, पाली, चौक स्थित गये हो तो सेकड़ो छोटी बडी नावे समुद्र किनारे लंगर ( ANCHOR ) डालकर समुद्र में खड़ी हुई देखी होगी.

ये मच्छीमार को कभी कभी आंधी तूफान मे जान की बाजी लगाकर काम करना पड़ता है. सब्जी उत्पादन करने वाले को किसान कहां जाता है. ये लोग भी मांसाहारी लोगोंके भोजन के लिए किसान बनकर मच्छी पकड़ने का काम करते है. आज मुजे भाईंदर के मच्छी मार्किट के बारेमें बात करनी है.

भाईंदर का मच्छी मार्किट भाईंदर पश्चिम स्थित एस. टी. बस स्थानक की आवंटित की गई जगह के बाहर रोड पर भरता है. यहांपर आपको हर प्रकार की मच्छी होलसेल तथा रिटेल मे उयलब्ध हो जा जाती है. यहां पर आप छोटी से बडी विविध प्रकार की ताजी मच्छी तथा सुखी मच्छी खरीद सकते हो.

वैसे तो यह मार्किट सुबह चार बजे शुरु हो जाती है और नव दस बजे तक खुली रहती है. सुबह मच्छी का लिलाव भी होता है. तथा होलसेल के लिए भी मच्छी रखी जाती है. मगर इसके लिए आपको भाव ताल करनेकी जरुरत है.

वर्ना आपको मच्छी महंगी पड़ सकती है. ज्यादातर विक्रेता दुगुना भाव बताते है. आपको मच्छी का भावताल करना आना चाहिए.

मछलियों के भी सेकड़ो प्रकार है. पापलेट, रावस, सुरमाई, चाक्सी, रोहू, कतला, निवटी, गौर, दहाड़ा, काटी, बोम्बील मुसी, पाकट, झींगा, खेकड़ा, सिंगाड़ा, बॉय, धोम्बी, हलवा, वाकती, कालामासा, बला, करडी, कोलिम, बांगड़ा, मांडली, लेकरू, कूपा, किलिस

वाम, आदि मछलियों का समावेश है.

आजकल तो मछलियों की खेती की जाती है. मछली के बीज किसी भी हैचरी से खरीदे जा सकते हैं. हर जिले में मछली पालन विभाग होता है, जो मछली पालकों को हर तरह की मदद मुहैया करता है. नया काम शुरू करने वालों को मछली पालन की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

समुद्र किनारे की खारी जमीन मे क्यारी बनाकर छोटी मच्छी को पालकर बडी की जाती है और ऊंचे दामों मे बेचीं जाती है. सफाला, पालघर साइड मे झींगा, खेकड़ा की खेती की जाती है. कई मछलियों को तालाब के मीठे पानी मे पाली जाती है. जिसमे रोहा, कतला बंगाली मछली का समावेश है.

सभी मछली खाने योग्य नहीं होती. कई मच्छी अंडे देकर अपना प्रजनन करती है तो कई सफ़ेद शार्क (White Shark) जैसी मछली बच्चे को जन्म देती है. मच्छीमारो को बारिस के दो महीने जून, जुलाई मे मच्छी पकडनेकी पावंदी होती है. एक तो समुद्र मे तूफान का डर और दूसरा यह मच्छियों का प्रजनन समय होता है.

समुद्र मे तैनात कॉस्ट गार्ड इनपर नियंत्रण रखनेका कार्य करती है. इसका उल्लंधन करने वालों पर कड़क कानूनी कार्रवाई की जाती है.

मछली में मौजूद सेचुरेटेड फैट,अधिक मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड की वजह से मछली का सेवन करना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. मछली में विटामिन,मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है.

दुनिया की सबसे कीमती मछलियों में भी शुमार है. इसकी लंबाई तीन मीटर और वजन 200 कि.ग्रा. तक हो सकता है. ये मछली मुख्य रूप से अमेजन में पायी जाती है.

” भाऊचा ” धक्का मछली बाजार मुंबई के सबसे बड़े मछली बाजारों में से एक हैं. यह मछली बाजार मजगांव के नजदीक स्थित है. यहांसे भी मछली विक्रेता मछली लाकर भाईंदर मे बेचते है. यहां विविध प्रकार की मछलियां विक्री के लिए आती है.

आजकल कई मछलियों की दवा बनाई जाती है जो हजारों मे बिकती है. गत वर्ष पालघर के तरे मच्छीमार को कुल 157 गोर मछली मिली थी जो एक करोड़ से अधिक कीमत पर बेचीं गई थी.

एक किलोग्राम का खेकड़ा 1200 रुपये तक बिकता है. इससे तो ड्राई फ्रूट सस्ते मिलते है. जेलीफिश मछली को खाई नहीं जाती. यह ताड़गोले जैसी ही सफेद होती है और इसमे एक भी काटा नहीं होता है.

कई मच्छी के काटा लगने पर विंछू की तरफ तकलीफ देता है. बैटफिस एक अनोखी मछली है. इसे जब भी खतरे का आभास होता है ये बिलकुल गतिहीन हो जाती है. इस दौरान ये एक बहते हुए पत्ते की तरह नजर आती है.

बॉक्स जेलीफिश को दुनिया की सबसे खतरनाक मछली कहा जाता है इस मछली का जहर किसी भी मनुष्य के अंदर चला जाए तो उसकी तुरंत मौत हो सकती है.

डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय मछली है. डॉल्फिन को दुनिया की सबसे प्यारी मछली भी कहा जाता है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि डॉल्फिन पांच से आठ मिनट तक अपनी सांस रोक कर रख सकती है

मछलियां अपनी आखें कभी बंद नहीं करती है. वे सोते समय भी अपनी आंखें खोल कर रखती है.

एक मछलियों के झुंड में जो मछली मध्य में होती है वही पूरे मछली के झुंड़ को नियंत्रण में रखती है.बाकी मछलीयां मध्य की मछली के निर्देश अनुसार चलती हैं.

व्हेल शार्क दुनिया की सबसे बड़ी मछली है. इसकी लंम्बाई 30 – 40 फुट तक हो सकती है. इसका वजन लगभग 25,000 किलो होता है और यह मुख्य रूप से प्लवक खाती है. प्लवक खारे पानी में उगने वाली बनस्पती होती है.

सेलफिश मछली दुनिया की सबसे तेज मछली है. ये 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तैर सकती है.

भाईंदर का मच्छी मार्किट मे इतनी भीड़ होती है की यहां चलने तक की जगह नहीं रखी जाती है. आचारसंहिता जैसा कोई नाम निशान नहीं होता है. इसीलिए तो लोग बातों बातोंमे कहते है की क्या मच्छी मार्किट लगाकर रख दिया है.

समुद्र मे ज्वार के समय मच्छी ज्यादा आती है तब सस्ती भी मिलती है.

अच्छी मछली का एक्सपोर्ट होने की वजह भाव मे यहां तेजी आती है.

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