गुलजार का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा हैं. गुलज़ार भारतीय कवि, गीतकार, पटकथा लेखक, नाटककार तथा फ़िल्म निर्देशक हैं. गुलजार को बॉलीवुड के हिंदी सिनेमा जगत में कई प्रसिद्ध अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है.
उनको सन 1977, 1979, 1980, 1983, 1988, 1991,1998, 2002, तथा सन 2005 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रुपमें फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाजा जा चूका हैं. गुलज़ार को भारत सरकार द्वारा सन 2004 में कला क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
ऑस्कर (सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत का) 2009 में अंग्रेजी चलचित्र ” स्लमडॉग मिलियनेयर” के गीत “जय हो” के लिए
ग्रैमी पुरस्कार- 2010 में मिला था. उन्हें 2013 में दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्माननीत किया गया था.
गुलजार का कहानियाँ और शायरी लिखने का जुनून था. गुलजार साहब ने कई भारतीय राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 21 फिल्मफेयर पुरस्कार, तथा एक अकादमी पुरस्कार और एक ग्रेमी पुरस्कार भी प्राप्त किया है. गुलज़ार साहब ने 21 फिल्मों का निर्देशन भी किया है, जिसमें से एक माचिस नाम की प्रख्यात फिल्म भी थी.
गुलज़ार उर्फ़ सम्पूर्ण सिंह कालरा का जन्म दीना, झेलम जिले, ब्रिटिश भारत में 18 अगस्त 1934 को एक खत्री-सिख परिवार में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. इनके माता-पिता का नाम सुजन कौर और माखन सिंह कालरा है. गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं.
जब गुलजार बेहद मासूम और छोटे थे तभी उनकी माँ का इंतकाल हो गया था. देश के विभाजन के वक्त इनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया. वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले आए. मुंबई आकर उन्होंने एक गैरेज में बतौर मैकेनिकका काम करना शुरू कर दिया. वह खाली समय में शौकिया तौर पर कवितायें लिखने लगे. इसके बाद उन्होंने गैरेज का काम छोड़ कर हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करने लगे.
उन्होंने स्कूल में अनुवाद में टैगोर की रचनाओं को पढ़ा था, जिसे उन्होंने अपने जीवन के कई मोड़ में से एक बताया.
उनकी रचनाएँ मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होंने रचनायएँ कीं.
गुलज़ार साहब की शादी तलाकशुदा अभिनेत्री राखी गुलजार से हुई हैं. पर उनकी बेटी के पैदाइश के बाद ही यह जोड़ी अलग हो गयी. लेकिन गुलजार साहब और राखी ने कभी भी एक-दूसरे से तलाक नहीं लिया. उनकी एक बेटी हैं, मेघना गुलजार जोकि एक फिल्म निर्देशक हैं.
गुलजार का हिंदी सिनेमा में करियर बतौर गीत लेखक श्री एस डी बर्मन की फिल्म बंधिनी से शुरू हुआ था. सन 1968 में उन्होंने फिल्म आशीर्वाद का संवाद लेखन किया. इस हिंदी फिल्म में अशोक कुमार नजर आये थे इस फिल्म के लिए अशोक कुमार को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली. साल 2007 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा. उन्हें फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया. उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया हैं. उन्होंने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फ़िल्में दर्शकों को दी हैं. जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं.
उन्होंने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है. जिनमे दूरदर्शन का शो जंगल बुक शामिल है.
उन्होंने 1963 की फ़िल्म बंदिनी में प्रसिद्ध संगीत निर्देशक एसडी बर्मन के साथ गीतकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और इसके बाद आरडी बर्मन, सलिल चौधरी, विशाल भारद्वाज और एआर रहमान के साथ सहयोग किया.
प्रस्तुत हैं गुलजार साहब की शायरी :
***
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी
नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ
किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था
वो अदालत भी तुम्हारी थी.
***
अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं.
आजका चुटकुला :
मरीज (डॉक्टर से) : मैं रोज 50 रुपए
की दवाई ले रहा हूं, पर कोई
फायदा नहीं हो रहा है.
डॉक्टर : अब तुम मुझसे 40 रुपए
वाली दवाई ले जाओ. इससे
तुम्हें रोजाना 10 रुपए का
फायदा होगा.