भारतीय प्रशासनिक सेवा ( I.A.S. )

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आपने कई बार देखा होगा कि पुराना अफसरो की बदली के बाद नये अफसर आते है तो कभी कभी उनके नाम के बाद I.A.S. लिखा रहता है. आप सोचते होंगे की ये आई.ए.एस. क्या होता है ? आज इसीके बारेमें कुछ बातें शेयर करनी है.  

               भारतीय प्रशासनिक सेवा { The Indian Administrative Service ( I.A.S.) } को भारत की प्रमुख मानव समाज संबंधी सेवा माना जाता है, इसके सदस्य भारत सरकार के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों की सेवा करते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों में ( I.A.S.) अधिकारियों को तैनात किया जाता है. 

        सरकार की नीतियों को लागू करना और उनका पालन करवाना मुख्य रूप से आईएएस का काम होता है.जिले में आई.ए.एस. जिला मजिस्ट्रेट, कलेक्टर या फिर कमिश्नर हो सकता है. इसके अलावा पद बढ़ने पर कैबिनेट सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी, अंडर सेक्रेटरी , डिप्टी सेक्रेटरी आदि पद पर बिराजमान हो सकते हैं. हमारे भारत देश में नौकरशाही का उच्च पद कैबिनेट सचिव का होता है. जो संसद के प्रति उत्तरदाई होता है.  

         भारत में सिविल सेवा की परीक्षा अंग्रेजों की देन है, हालांकि तब से लेकर आज तक इसमें काफी बदलाव किये गये है. आई.ए.एस. अफसर बनने के लिये काफ़ी मस्सकत करनी पड़ती है. इसके लिये कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है. भारतीय नौकरशाही मे उसे श्रेष्ठ माना जाता है. उसके उपर केवल मंत्री होते है. 

    भारत में ऑल इंडिया सर्विस के तहत तीन टॉप अफसर चुने जाते हैं जिसमें IAS, IPS और IFS शामिल हैं.  जैसे  

( 1 ) I.A.S. (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) सिविल सेवा परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को (IAS ) आई.ए.एस. बनाया जाता है. आई.ए.एस. अधिकारी संसद में बनने वाले कानून को अपने इलाकों में लागू करवाते हैं. 

( 2 ) I.P.S. भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस ) indian police service. सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित पदों में से ये एक है जो आई.ए.एस. के बाद आता है. ये कई विशिष्ट लाभों के साथ सरकार में सबसे अच्छे वेतन पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) भारत की मुख्य तीन नागरिक सेवाओं में से एक है. सन 1948 में आई.पी.एस. स्थापित की विधिवत स्थापना की गई थी.

 ( 3 ) I.F.A. भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस)(Indian Foreign Service इसको भारतीय विदेश मंत्रालय के कार्यों के संचालन के लिये निर्माण किया गया है , जिसे भारतीय विदेश सेवा कहते हैं. यह सेवा भारत सरकार की केंद्रीय सेवाओं का हिस्सा है. भारत के विदेश सचिव, भारतीय विदेश सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं. सामान्य नागरिक भी अपनी योग्यता और शिक्षा के आधार पर इस सेवा का हिस्सा बन सकता है.

      IAS सर्विस परीक्षा में टॉप रैंक पाने वाले ही आई.ए.एस. चुने जाते हैं. इनकी जिम्मेवारी देश को सुचारु रुप से चलाने की होती है. यह सिविल सर्विस परीक्षा देने वाले की पात्रता ग्रेजुएट होना आवश्यक है.

          सिविल सर्विस परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम उम्र 21 वर्ष की है. अगर कोई इस परीक्षा में शामिल होना चाहता है तो उसे कम उम्र से ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. सामान्य वर्ग के आवेदक अधिकतम 32 वर्ष की उम्र तक 6 बार इस परीक्षा में भाग ले सकता है. इसके लिये पहले बने I.A.S अफसर का मार्गदर्शन लेना अधिक फायदेमंद होता है. वैसे इसके लिए दसवीं के बाद सिविल सर्विस परीक्षा की पढ़ाई पर फोकस शुरू कर देना उचित होता है. 

        दसवीं के बाद आप उस विषय को चुनें जिसमें आपकी रूचि हो जो आप सिविल सर्विस के दौरान चुन सकें. पसंदीदा विषय होने से आपको पूरी तैयारी में भी आसानी हो जाती है.

उम्मीदवार बारहवीं में किसी भी स्ट्रीम का चयन कर सकते हैं.

उम्मीदवारों को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी स्ट्रीम में स्नातक की डिग्री होनी जरुरी है. 

        I.A.S. का आदर्श वाक्य, ” योग : कर्मसु कौशलम् ” है. जिसका अर्थ ” ” एकता कार्य में उत्कृष्टता है “. अंग्रेजो ने इसे भारतीय सिविल सेवा (ICS) indian civil service के रूपमें सन 1858 मे स्थापित किया था. जिसे 26 जनवरी 1950 से भारतीय प्रशासनिक सेवा ( I.A.S.) के नाम से पहचानी गई थी. 

       आई.ए.एस.अफसर का काम सरकार की नीतियों को लागू करना और उनका पालन करवाना होता है. जिले में कलेक्टर, आई.ए.एस. जिला मजिस्ट्रेट, या कमिश्नर ये हो सकता है. इसके अलावा पद बढ़ोतरी पर कैबिनेट सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी, अंडर सेक्रेटरी , डिप्टी सेक्रेटरी आदि पद भी मिलते हैं. भारत में नौकरशाही का उच्च पद कैबिनेट सचिव का होता है जो संसद के प्रति जवाबदेह होता है. इसके अलावा आई.ए.एस. ऑफिसर को सरकार के विभिन्न विभागों, कंपनियों या बोर्ड आदि का प्रमुख बनाया जाता है. 

     यह एक लोकप्रिय कैरियर विकल्प है. एक आई.ए.एस. अधिकारी की नौकरी पाने वाले को कई सारे भत्तों और विशेषाधिकार मिलता है. आई.ए.एस.अधिकारी सरकार के विभिन्न प्रशासनिक मामलों का प्रबंधन करती है.आई.ए.एस. अधिकारी नीतियों को तैयार करता है और विभिन्न मुद्दों पर मंत्रियों को सलाह देता है. कानून और व्यवस्था बनाए रखना, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों के कार्यान्वत करके निगरानी करता है. राजस्व और अदालतों को राजस्व मामलों में एकत्रित करता है , सार्वजनिक निधियों के व्यय का पर्यवेक्षण करता है. वित्तीय स्वामित्व के मानदंडों के अनुसार और संबंधित विभाग के लिए जिम्मेदार मंत्री के परामर्श से नीति को निर्धारण और कार्यान्वत करके सरकार के दैनिक मामलों को संभालता है.

         एक आई.ए.एस. IAS अधिकारी की नौकरी बहुत ही सम्मानजनक होती है और इसमें संतुष्टि की बहुत बड़ी भावना होती है क्योंकि आप समाज में सर्वोच्च स्तर तक योगदान दे रहे होते है. मगर नौकरी में काम का दबाव होता है. आईएएस अधिकारी पर बहुत जिम्मेदारी होती है. वो उसके विभाग में चल रही हर चीज का जवाबदार होता है जो काम तनावपूर्ण हो सकता है.

       I.A.S. अधिकारी को राजनेताओं और स्वार्थी लोगों के कारण राजनीतिक दबाव का सामना करना पडता है. I.A.S. अधिकारियों को अपने कार्यों में भ्रष्टाचार से निपटना पड़ता है, भले ही वे ईमानदार क्यों ना हों.

I.A.S. अधिकारी के रूप में कैरियर बनाने के लिए कॉलेज

*** लोयोला कॉलेज, चेन्नई.

*** पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला.

*** स्टेला मैरिस कॉलेज, चेन्नई.

*** टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई.

*** महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक.

*** आई ए एस, कोटा.

*** सेंट जोसेफ कॉलेज, चिकमगलूर.

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