भारतीय स्थापत्य वास्तु कला का| उत्तम नमूना “मीनाक्षी मंदिर.”

meenakshi DEVI

दक्षिण भारत, एक से बढकर एक प्रेक्षणीय वास्तुकला के मंदिरों के लिये विश्व में प्रसिद्ध है . आंध्रप्रदेश , तमिलनाडु , और उड़ीसा सहित संपूर्ण दक्षिण भारत में प्राचीन मंदिरों का जो समूह है, इन सभी राज्यों में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा करीब 33000 विविध प्रकार के मंदिर है. उनमें से कई मंदिरों को यूनेस्को द्वारा ” वर्ल्ड हेरिटेज साइट ” का दर्जा प्राप्त है. 

        हमारे भारत देश में विदेशी पर्यटक आते है, ताजमहल देखकर चले जाते है. मगर ताजमहल को टक्कर देने वाले मंदिर की दक्षिण में कमी नहीं है. अतः विदेशी पर्यटकों की मानसिकता में बदलाव लानेकी अति आवश्यकता है. 

     शायद आपको पता नहीं होगा की हमारे दक्षिण भारत में निम्नलिखित विश्वस्तरीय मशहूर मंदिरे भी है… 

( 1 ) तिरुपति बालाजी मंदिर ( स्वामी वेंकेटेश्वर मंदिर ) 

         जिला चित्तूर, आंध्रप्रदेश. 

( 2 ) पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनन्तपुरम, केरल. 

( 3 ) श्री रंगनाथमस्वामी मंदिर, श्रीरंगम (तिरुचिरापल्ली).    तमिलनाडु. 

( 4 ) मीनाक्षी अम्मन मंदिर. मीनाक्षी अम्मन मंदिर. मदुरई,   तमिलनाडु. 

( 5 ) श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर , वेल्लोर , तमिलनाडु.

( 6 ) नटराजा मंदिर ( थिल्लाई नटराज मंदिर ), चिदंबरम,   तमिलनाडु. 

( 7 ) अन्नामलाई मंदिर , तिरुवनमलाई जिला , तमिलनाडु .

( 8 ) बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु. 

( 9 ) एकाम्बरेश्वर मंदिर , कांचीपुरम , तमिलनाडु. 

( 10 ) चामुंडेश्वरी मंदिर , मैसूर , कर्नाटक. 

( 11) त्यागराजस्वामी मंदिर, तिरुआरुर , तमिलनाडु.

( 12 ) श्रीकृष्ण मंदिर, गुरुवायुर, केरल . 

( 13 ) वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी, अनंतपुर जिला. आंध्रप्रदेश. 

        मगर आज मुजे बात करनी है , तमिलनाडु के मीनाक्षी अम्मां मंदिर. मदुराई के बारेमें मीनाक्षी मंदिर को मीनाक्षी अम्मां मंदिर , मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर के नाम से पहचाना जाता है. तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में विध्यमान यह ऐतिहासिक मन्दिर है. 

       यह हिन्दू देवता शिव या सुंदर ईश्वर के रूपमें यानी की सुन्दरेश्वरर तथा उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित है. यह उल्लेखनीय है की पांड्य राजाओ का राजचिन्ह मछली था. इसे मछली के आकार की आंख वाली देवी मीनाक्षी के रूप में माना जाता है. यह मंदिर दक्षिण भारतीय स्थापत्यकला का उत्तम नमूना है. 

        पौराणिक कथानुसार भगवान श्री शिव सुन्दरेश्वरर रूप धारण करके अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे. मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है. इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. 

       हर शुक्रवार को यहां मीनाक्षी देवी तथा भगवान सुंदरेश्वर की स्वर्ण प्रतिमाओं को झूले में झुलाया जाता है. यह मंदिर अपनी कलाकृति की वजह से दुनियाभर में मशहूर है. यहां का गर्भगृह लगभग 3500 साल पुराना बताया जाता है. ये मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर है. 

        करीब 45 एकड़ में ये मंदिर फैला फैला है. ये शिव मंदिर समूह में भगवान शिव की नटराज मुद्रा में आकर्षक प्रतिमा है. यह प्रतिमा एक रजत वेदी पर स्थित है. बाहर अनेक शिल्प आकृतियां हैं, जो केवल एक-एक पत्थर पर निर्मित हैं, साथ ही गणेशजी का मंदिर है. 45 एकड़ में फैले इस मंदिर के सबसे छोटे गुंबद की ऊंचाई 160 फीट है. दो मुख्य मंदिरों सुंदरेश्वर और मीनाक्षी के अलावा भी कई दूसरे मंदिर हैं, जहां भगवान गणेश, मुरूगन, लक्ष्मी, रूक्मणी, सरस्वती देवी की पूजा होती है. 

      यहां पर एक तालाब है जिसे ” पोर्थ मराई कुलम ” कहते है. जिसका अर्थ होता है सोने के कमल वाला तालाब. सोने का 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा कमल बिल्कुल तालाब के बीचों बीच बना हुआ है. भक्तों का मानना है कि इस तालाब में भगवान शिव का निवास है. मंदिर के अंदर खंभों पर भगवान शिव की पौराणिक कथाएं लिखी हुई हैं और आठ खंभों पर देवी लक्ष्मी जी की मूर्ति बनी हुई है. इसके अलावा यहां एक बहुत ही बड़ा और सुंदर हॉल है, जिसमें 985 खंभे लगे हुए हैं. इन खंभों पर शेर और हाथी को अंकित किये गये हैं.

       मंदिर में अंदर जाने के लिए 4 मुख्य द्वार (गोपुरम) हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं. मंदिर में कुल 14 गोपुरम हैं. इनमें 170 फीट का 9 मंजिला दक्षिणी गोपुरम सबसे ऊंचा है. इन सभी गोपुरम में विभिन्न देवी-देवताओं एवं गंधर्वों की सुंदर आकृतियां बनी हुई हैं. प्रति शुक्रवार को मीनाक्षीदेवी तथा श्री सुंदरेश्वर भगवान की स्वर्ण प्रतिमाओं को झूले में झुलाया जाता हैं, जिसके दर्शन के लिए देशभर से हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहते है. 

     माता पार्वती के मीनाक्षी स्‍वरूप का यह मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है. मीनाक्षी का अर्थ है जिसकी आंखें मछली यानी मीन के समान हों. माता मीनाक्षी भगवान शिव की पत्‍नी पार्वती का अवतार और भगवान विष्‍णु जी की बहन मानी जाती हैं.

      भगवान शिव बियाह रचाने मदुरै आए थे. राजा मलध्‍वज ने कठोर तपस्‍या के बल पर मीनाक्षी को पुत्री के रूप में प्राप्‍त किया था. मीनाक्षी मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. यह मंदिर प्राचीन काल की बेहतरीन स्‍थापत्‍य कला और वास्‍तु का सुंदर नमूना है. तमिल साहित्‍य की कहानियों में इस मंदिर की काफी चर्चा की गई है. 

      वर्तमान के मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 17 वीं शताब्‍दी में हुआ था. मंदिर में 8 खंभों पर लक्ष्‍मीजी की मूर्तियां बनी हुई हैं. इन खंभों पर भगवान शिव की पौराणिक कथाएं लिखी गई हैं. मंदिर के परिसर में जो पवित्र सरोवर है, वो 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा है. 

         मदुरै का पुराना शहर 2500 वर्ष से अधिक पुराना है और इसका निर्माण पांडियन राजा श्री कुलशेखर ने 6 वीं शताब्‍दी में कराया था. इस नायक का कार्यकाल मदुरै का स्‍वर्ण युग कहा जाता है जब कला, वास्‍तुकला अधिक फली फूली थी. शहर में सबसे सुंदर भवन सहित मीनाक्षी मंदिर जैसे सबसे प्रसिद्ध स्‍मारक शामिल हैं. 

         तमिलनाडु के सभी प्रमुख त्‍यौहार यहां श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं. इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍यौहार चितराई त्‍यौहार है, जिसका आयोजन अप्रैल, मई में किया जाता है.मीनाक्षी और सुंदरेश्‍वर की खगोलीय विधि से शादी की जाती है और इसमें पूरे राज्‍य से लोगों का समूह देखने आता है.

           देवी मीनाक्षी को राजा मल्‍लय द्वज पांडिया और रानी कांचन माला की बेटी माना जाता है, जो कई यज्ञों के बाद में पैदा हुई थी. यह तीन वर्ष की बालिका अंतिम यज्ञ की आग से प्रकट हुई थी. राजकुमारी मीनाक्षी बडी होकर एक सुंदर महिला में बदल गई जो अनेक भूमियों के संघर्ष में विजयी रही और शक्तिशाली से शक्तिशाली राजाओं को उसने चुनौती दी. जब यह प्रकट हुआ कि राजकुमारी वास्‍तव में पार्वती जी का पुन:जन्‍म है, जो पृथ्‍वी पर अपने पिछले जीवन में कांचन माला को दिए गए वचन का सम्‍मान करने के लिए आई है. 

       मित्रों ऐसे तो हमारे भारत देश में अनेकों मंदिर है जो विश्व को अचंबित करने वाले है. उनकी कलाकृति काबिले तारीफ है.     

——====शिवसर्जन ====———

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →