यहूदी धर्म करीब 4000 साल पुराना धर्म हैं. ढाई हजार साल पहले ये धर्म के लोग समंदर के मार्ग से भारत में करोबार और शरण लेने के उदेश्य से भारत आये थे.भारत मे इनकी जन संख्या घटती जा रही हैं और यह धर्म भारत देश का सबसे छोटा अल्पसंख्यक समुदाय बन गया है.
यह धर्म इजराइल का राजधर्म है. दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता हैं. यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म जैसे धर्म की उत्पत्ति हुई है. यहूदी धर्म अनुयायी ओका यह मानना हैं कि ईश्वर एक है. इस धर्म में मूर्ति पूजा को पाप माना जाता है.
इनके धर्मग्रंथ का नाम “तनख ” है, जो इब्रानी में लिखा गया है. इनकी धर्मिक भाषा “इब्रानी” (हिब्रू) हैं.
ईसा मसीहा से करीब 2000 साल पहले यहूदी धर्म की स्थापना पैगंबर अब्राहम या इब्राहिम ने की थी. पैगंबर अब्राहम साहब के बड़े बेटे का नाम हजरत इसहाक था और छोटे बेटे का नाम हजरत इस्माईल था. दोनों की मां अलग-अलग थीं. उनके बड़े बेटे हजरत इसहाक की मां का नाम सराह था और छोटा बेटा हजरत इस्माईल की मां का नाम हाजरा था.
धर्म के संस्थापक पैगंबर अब्राहम के पोते का नाम हजरत याकूब था.और याकूब का ही दूसरा नाम इजरायल था. याकूब ने ही यहूदियों की 12 जातियों को मिलाकर इजराइल राष्ट्र बनाया था.
याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा (जूदा) था. यहूदा के नाम पर ही उसके वंशज को ” यहूदी ” कहा जाता हैं और उनके धर्म को यहूदी धर्म कहा जाता हैं.
आजसे करीब ढाई हजार साल पहले यहूदियों ने कारोबारियों और दक्षिणी फलस्तीन से शरणार्थियों के रूप में समंदर के रास्ते भारत आना शुरू किया था, और वो धीरे-धीरे यहां आकर बस गये थे. और उन्होंने भारत को अपना घर बना लिया था. महाराष्ट्र सरकार ने यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है, इनकी संख्या लगातार अब गिर रही है.
सन 1948 में इजराइल बनने के बाद तकरीबन 70,000 भारतीय यहूदी इजरायल जाकर बस गए थे. वर्तमान मे इनकी जन संख्या करीब 5,000 रह गई हैं. जिनमें से करीब 3,500 मुंबई में हैं. जो भारत का सबसे बड़ा यहूदी समुदाय है. बाकी अन्य जगह बचे हैं.
विश्व का सबसे पुराना यहूदी समाज ढाई हजार साल पहले भारत आया और मालाबार तट पर कोच्चि के करीब कारोबारी के तौर पर बस गया था. वो हिब्रू और मलयालम जबान का मिश्रण बोला करते थे. लेकिन अब केवल 100 कोच्चि यहूदी बचे हैं, जबकि 7,000 से ज्यादा इजराइल पलायन कर चुके हैं.
” बेने इजराइल ” शब्द का मतलब इजराइल के बच्चे होता हैं. ये 2,100 साल पहले जुडिया से भारत देश आए शरणार्थी हैं, जहां रोमन ने उनका जीना हराम कर रखा था. अतः वो महाराष्ट्र में जाकर बसे. आज भी इस समुदाय के करीब 3,500 लोग यहां रहते हैं.
बगदादी यहूदी करीब 280 साल पहले भारत आए थे इस समुदाय को मिजराही यहूदी कहते हैं. ये कोलकाता और मुंबई में आकर बसे थे. पढ़ा-लिखा और महेनती था. इसीलिए कामयाब व समृद्ध समुदाय में बदल गया था. यह समुदाय हिंदी, मराठी और बांग्ला जैसी भाषाएं बोलना जानते हैं.
चेन्नई के यहूदी पुर्तगाली मूल वाले मद्रास के परदेसी यहूदी हैं जो समुदाय 17वीं सदी में भारत आए थे. इन्होंने यहां हीरों, कीमती पत्थरों और मूंगों का कारोबार शुरू किया था, जो गोलकुंडा की खदान से लाया जाता था.
लापता यहूदी मणिपुर, मिजोरम के ब्नेई मेनाश, जो खुद को इजराइल के लोस्ट ट्राइब्स वंशज मानते हैं. ये लोग सन 1960 की शुरुआत में करीब 7,000 लोग धर्म परिवर्तन कर यहूदी बने थे. इसके बाद ज्यादातर इजराइल से यहां आए.
यहूदी धर्म के धार्मिक ग्रन्थों में तनख़, तालमुद तथा मिद्रश प्रमुख हैं. यहूदी मानते हैं कि यह सृष्टि की रचना से ही विद्यमान है. यहूदियों के धार्मिक स्थल को मन्दिर व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहा जाता हैं. ईसाई धर्म व इस्लाम का आधार यही परम्परा और विचारधारा है. इसलिए इसे इब्राहिमी धर्म भी कहते है.
यहूदी त्यौहारो मे योम किपुर, पुरिम,
शुक्कोह, हुनक्का, पासओवरढक्कन ,
रौशन-शनाह आदि प्रमुख हैं.