मैं यहां पर कोई फ़िल्मी हीरो दिलीपकुमार की बात नही कर रहा हूं, बल्कि एक भारत के सबसे मशहूर हीरा व्यापारियों में से एक श्री दिलीपकुमार लाखी की बात कर रहा हूं. वे लाखी समूह के अध्यक्ष हैं, जो हीरे बनाने में माहिर है. वे एशिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री स्थापित करने वाले और दस लाख से ज़्यादा कैरेट पॉलिश किए हुए हीरे बनाने वाले पहले समूह हैं.
दिलीपकुमार वी लाखी का परिवार सूरत में सबसे बड़ी हीरे के व्यापारियों में से एक हैं. उनका परिवार लंबे समय से डायमंड के कारोबार में हैं. लाखी के परिवार ने मंदिर के लिए 101 कि.ग्रा. सोने का दान किया है. सोने का उपयोग राम मंदिर के दरवाजे, गर्भगृह, त्रिशूल, डमरू और स्तंभों को चमकाने में किया गया है. यह मंदिर ट्रस्ट को अब तक मिला सबसे बड़ा दान है.
मौजूदा वक्त में सोने की कीमत करीब 65 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से ज्यादा है. इस तरह से देखा जाए तो एक किलो सोने की कीमत करीब 65 करोड़ रुपये हुई. कुल 101 किलो सोने की कीमत करीब 65 करोड़ रुपये हुई. इस तरह से लाखी परिवार ने राम मंदिर को सबसे अधिक का दान दिया है.
डायमंड बिजनेस के परिवार से ताल्लुक रखने वाले दिलीप कुमार वी लाखी के पिता विशिनदास होलाराम भारत पाकिस्तान के विभाजन से पहले 1944 में जयपुर आ गए थे. 13 साल की उम्र में, युवा दिलीपकुमार ट्यूशन लेते थे और अपने खाली समय में वे व्यवसाय संभालते थे.
जितना अधिक वह अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होता गया, उतना ही वह अपने पिता की व्यवसायिक कुशलता, संघर्ष और मजबूत भावना से प्रभावित होता गया. 1972 में जब दिलीप कुमार की उम्र 22 साल की हुई थी, तो उनके पिता ने उन्हें मुंबई के जवेरी बाजार एक केंद्र स्थापित करने के लिए भेजा. दिलीप कुमार ने अपने पिता के भरोसे को मजबूत किया और फिर डायमंड के व्यापार उद्योग में बड़ी तरक्की हासिल की. आज दिलीप कुमार लाखी के भारत के सूरत में शायद दुनिया की सबसे बड़ी हीरा पॉलिशिंग फैक्ट्री है, जिसमें 6,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं.
वैसे तो वे भले ही वह पेशे से हीरा व्यापारी हैं, लेकिन दिलीपकुमार लाखी भारतीय शेयर बाजार में शीर्ष निवेशकों में से एक के रूप में सबसे प्रसिद्ध हैं. दिलीपकुमार लाखी की निवेश रणनीति को बोल्ड माना जाता है क्योंकि उनके नवीनतम पोर्टफोलियो में अधिकांश स्टॉक अत्यधिक अस्थिर स्मॉल-कैप स्टॉक हैं. पिछलें वर्षों में, परिकलित जोखिमों ने उनकी कुल संपत्ति को दिसंबर सन 2015 में 157.54 करोड़ रुपये से जून सन 2023 में 1,075.8 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया.
अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए कई बड़े कारोबारियों और हस्तियों ने दान दिया है, लेकिन गुजरात के सूरत के हीरा कारोबारी दिलीप लाखी ने इस दान में भी इतिहास रच दिया है.
ता : 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या के राम मंदिर के गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला विराज गए. इस समारोह के लिए शहर को फूलों और चमकदार रोशनी से सजाया गया.
इस बीच फूलों से सजे-धजे मंदिर की अलौकिक छवि देखते ही बन रही. इस पल को एक बात खास बनाती है कि 500 साल से जिस राम मंदिर का सब लंबे वक्त से इंतजार कर रहे थे उसका पूरा निर्माण पूरी तरह से समर्पित अनुयायियों के दान से हुआ है.
राम के इन दान देने वालों में दिलीप लाखी नंबर वन रहे हैं. उन्होंने मंदिर को इतना सोना दान किया है कि लोग दाँतों तले उँगली दबा लें. राम मंदिर निर्माण के लिए कुल 5500 करोड़ रुपए से अधिक का दान दिया गया है, लेकिन इन सबके बीच दिलीप लाखी अपनी अलग जगह बना ले गए.
राम मंदिर में दिए गए 101 कि.ग्रा. सोने का इस्तेमाल श्री राम मंदिर के दरवाजे, गर्भगृह, त्रिशूल, डमरू और स्तंभों को सजाने के लिए किया जाएगा, जो पवित्र संरचना में एक अलग रूप देते हैं.
उल्लेखनीय हैं कि राम मंदिर में भूतल पर गर्भगृह के द्वार सहित कुल 15 स्वर्ण द्वार बनाए गए हैं.
श्री दिलीप कुमार के तीन भाई मोतीराम वी लाखी, प्रकाश वी. लाखी और दीपक वी लाखी हैं ये तीनों भाई अलग-अलग हॉन्गकॉन्ग, न्यूयॉर्क और
संयुक्त अरब अमीरातमें कारोबार उनका सँभालते हैं.
दिलीपकुमार लाखी समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ विश्वास रखते हैं,. उन्होंने सुनामी पीड़ितों के लिए घरों के निर्माण और गुजरात भूकंप और बाढ़ के पीड़ितों को पुनर्वास प्रदान करने में बहुमूल्य योगदान दिया है.
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