भारत के पहले न्‍यूक्लियर वेपन टेस्‍ट का बटन दबाने वाला शख्स प्रणब दस्‍तीदार

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भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने का प्रयास तो सन 1944 में शुरू हो चूका था जब डॉ होमी जहांगीर भाभा ने 1944 में मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की थी. लेकिन ये प्रयास को अंतिम लक्ष तक , तब पहुंचाया, जब ता : 18 मई 1974 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन ” स्‍माइलिंग बुद्धा ” कोडनेम वाले ऑपरेशन के तहत भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था.

प्रणब रेवतीरंजन दस्‍तीदार को पोकरण में इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेशन सिस्‍टम टीम की कमान सौंपी गई थी. पूरे प्रॉजेक्‍ट की जानकारी बेहद चुनिंदा लोगों को दी. सन 1967 से 1974 के बीच में करीब 75 साइंस्टिस्‍ट्स और इंजिनियर्स ने देश की पहली न्‍यूक्लियर डिवाइस तैयार की. इसे ट्रिगर करने के लिए BARC की लेजर डिविजन ने हाई स्‍पीड गैस ट्यूब स्विचेज तैयार किए. ता : 15 मई 1974 तक डिवाइस को शाफ्ट में उतारा जा चुका था.

ता : 18 मई, 1974 का वह दिन

उस दिन दस्‍तीदार और उनकी टीम टेस्‍ट साइट से 5 किलोमीटर दूर ऑब्‍जर्वेशन बंकर में मौजूद थी. टेस्‍ट का समय सुबह 8 बजे मुकर्रर किया गया था लेकिन देरी हुई. ऐसा इसलिए क्‍योंकि हाई स्‍पीड कैमरा चेक करने के लिए भेजे गए इंज‍िनियर वी. एस. सेठी की जीप स्‍टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

टेस्‍ट समय पर हो, इसके लिए सेठी चढ़ाई करके साइट पर पहुंचे मगर जीत ठीक करने की सेना की कोशिशों के चलते और देरी हुई. आखिरकार सुबह 8.05 बजे दस्‍तीदार ने फायरिंग बटन दबाया. इस टेस्‍ट के बारे में पोकरण में मौजूद टीम से इतर सिर्फ तीन लोगों को पता था. जिसमे तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके खासमखास पी.एन. हसकर और डी.पी. धार थे.

बटन दबाने के लिए दस्‍तीदार को ही क्‍यों चुना गया ? प्रश्न अहम था.

पोकरण में अहम भूमिका निभाने वाले फिजिसिस्‍ट राजा रमन्‍ना ने लिखी अपनी ऑटोबायोग्राफी ” इयर्स ऑफ़ पिग्रीमेज ” में वजह का खुलासा किया है. वे विस्‍फोट के दिनों को याद करते हुए लिखते हैं कि उस रोज इसपर थोड़ी बहस हुई कि बटन कौन दबाएगा. इस बारेमें रमन्‍ना आगे लिखता है कि , ” मैंने यह सुझाव देकर चर्चा को विराम दिया कि जिस आदमी ने ट्रिगर तैयार किया है, उसे ही दबाना भी चाहिए. फिर बाद में दस्‍तीदार को बटन दबाने के लिए चुना गया.

भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु शक्ति हासिल कर ली थी. जिन वैज्ञानिकों ने भारत देश को इस काबिल बनाया, वे राष्ट्रीय हीरो बन गये.

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर और परमाणु भौतिक विज्ञानी प्रणब रेबतीरंजन दस्तीदारका जन्म ता : 10 जुलाई 1933 के दिन हुआ था. वह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक थे. दस्तीदार ने स्माइलिंग बुद्धा प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेशन सिस्टम का नेतृत्व किया था, जो भारत देश का पहला परमाणु बम परीक्षण था. उन्हें 1975 में पद्म श्री मिला था.

दस्तीदार एक सैद्धांतिक वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के रिएक्टर के विकास और डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने

मैनचेस्टर से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी और बेंगलुरु में इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेलो थे.

अपने जीवनकाल के दौरान, प्रणब दस्तीदार जी ने संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निदेशक और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के समूह निदेशक के रूप में कार्य किया. उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद दो अमेरिकी पेटेंट अर्जित किए.

प्रणब रेवतीरंजन दस्‍तीदार का ता :

11 फरवरी 2022 को कैलिफोर्निया में निधन हो गया. मृत्यु के समय वह 89 साल के थे.

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