आपको जानकर हैरानी होंगी कि अस्सी और नब्बे के दशक तक निजाम दुनिया के दस सबसे अमीर लोगों में सामिल था. वैसे उनकी संपत्तिको लेकर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिलता लेकिन कहा जाता है, आजादी के दौर में वो अरबो रुपये का मालिक था.
जी हा! हैदराबाद के पूर्व निजाम उस्मान अली खान को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में गिना जाता है. ब्रिटिश न्यूजपेपर “द इंडिपेंडेन्ट” की एक खबर के अनुसार हैदराबाद के निजाम (1886-1967) की कुल संपत्ति 236 अरब डॉलर आंकी गई थी.
नवाब उस्मान अली खान का जन्म ता : 6 अप्रैल, 1886 के दिन हैदराबाद में हुआ था. नवाब साहब का पूरा नाम निज़ाम उल मुल्क आसफ जाह सप्तम था. कहा जाता है कि निजाम 1340 करोड़ रुपये का पेपरवेट यूज करते थे.
यह पेपरवेट 185 कैरेट हीरे से बना था. जिसका नाम “जैकब” हीरा था , जिसे निजाम द्वारा पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल किया गया था. निजाम के मोतियों और घोड़ों के शौक के बारे में आज भी हैदराबाद में कई कहानियां मशहूर हैं.
निज़ाम कंजूसी में एक नंबर :
कहा जाता है कि निजाम अमीर होने के साथ ही साथ वें कंजूस भी थे. वह कपड़े भी प्रेस किया हुआ नहीं पहनते थे हैदराबाद के निजाम अपने ऊपर काफी कम खर्च करते थे.
निजाम मीर ओस्मान अली खान बहुत ही मैला सूती पैजामा पहनते थे, और पैरों में बहुत ही घटिया किस्म की जूतियां होती थीं, जिन्हें वो बहुत कम पैसों में बाजार से मंगवा लेते थे. ब्रिटिश अफसरों के आने पर वो एक तुर्की टोपी लगाया करते थे, 35 साल से वो टोपी उनके पास थी, उसपर फफूंदी सी जम गई थी. वो अपने छोटे से कमरे में नौकरों को घुसने नहीं देते थे, कमरे में चारों तरफ जाले लगे थे, धूल चढ़ी थी. केवल साल में एक दिन, निजाम के जन्मदिन पर उनके कमरे की सफाई होती थी.
नवाब उस्मान अली खान आजादी से पहले 1940 के आसपास उसकी संपत्ति लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो आज के समय तकरीबन 35.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी जाती है. माना जाता है कि उस वक्त दुनिया में किसी के भी पास इतना पैसा नहीं था. नवाब उस्मान अली खान ने ही देशको पहला हवाई अड्डा ( Air port ) हैदराबाद में दिलाया था. हालांकि आजादी के बाद इनके साम्राज्य को भारतीय गणराज्य में मिला लिया था.
देश को दिया 5000 किलो सोना :
कहा जाता है कि निजाम मीर उस्मान अली खान ने 1965 में अपनी हैदराबाद यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को 5,000 किलो सोना दिया था. प्रधान मंत्री 65 की लड़ाई के बाद अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए धन जुटाने के लिए देश भर में दौरा कर रहे थे.
1947 में, निजाम ने विवाह के अवसर पर एलिज़ाबेथ द्वितीय के लिए हीरा गहने का उपहार बनाया, जिसमें एक तिआरा और हार शामिल था. इस उपहार से ब्रोशस और हार अभी भी रानी द्वारा पहने जाते हैं और निजाम ऑफ़ हैदराबाद नेकलेस के नाम से जाना जाता है.
निजाम मीर उस्मान अली खान के पास इतना पैसा कहां से आया :
आखिर हैदराबाद के निजाम के पास इतनी सारी संपत्ति आई कहां से होंगी ?इतिहासकारों की मानें तो निजाम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था गोलकोंडा माइंस. ये माइंस सोना और हीरा उगलती थीं. उस समय दुनिया में हीरा सप्लाई का सबसे बड़ा एकमात्र जरिया गोलकोंडा माइंस ही थीं.
उल्लेखनीय है कि भारत देश की आजादी के समय पुरा देश 565 देशी रियासतों में बंटा था और भारत के अन्तर्गत तीन तरह के क्षेत्र थे. (1) ब्रिटिश भारत के क्षेत्र , (2) देसी राज्य (Princely states) और फ्रांस और (3) पुर्तगाल के औपनिवेशिक क्षेत्र. जूनागढ़, कश्मीर तथा हैदराबाद तीनों रियासतों को सेना की मदद से भारतीय गणराज्य में मिलाया गया था.
सन 1948 के सितंबर महीने में ही हैदराबाद का भारत में एकीकरण हुआ था. हैदराबाद के भारत में शामिल होने के 77 साल हो गए हैं. वर्तमान में 17 सितंबर को हैदराबाद का एकीकरण का दिवस मनाया गया, जिसे भारत सरकार हैदराबाद मुक्ति दिवस के रुप में मनाती हैं जबकि कुछ दल इसे विद्रोह दिवस के रुप में भी मनाते हैं.
विदेशों में चर्चित रहा खजाना :
हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान का खजाना भारत सहित विदेशों में भी चर्चित रहा है. उनके खजाने की कहानी देश की आजादी और भारत-पाकिस्तान बंटवारे से जुड़ी हुई है. 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो सिर्फ कुल तीन रियासतें जम्मू- कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ को छोड़कर सभी रियासतों का विलय हो चुका था लेकिन हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान हैदराबाद को आजाद देश बनाने पर अड़े हुए थे.
तारीख : 17 सितम्बर, 1948 तक हैदराबाद निजाम की रियासत बना रहा, इसके बाद आपरेशन “पोलो” नाम के सैन्य अभियान के जरिये पटेल ने इस रियासत का विलय भारत में करा लिया. इस विलय के लिए खून भी बहा लेकिन अंततः रियासत हैदराबाद ने भारतीय फौज के आगे हथियार डाल दिये. और हैैदराबाद के मुसलमानों का 650 वर्ष पुराना शासन विलीन हो गया.
उस समय देश के पहले गृहमंत्री श्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के कड़े रुख को देखते हुए निजाम सुरक्षित रास्ता भी तलाश रहे थे. अफरातफरी में उन्होंने लगभग 10 लाख से अधिक पाउंड लंदन के नैटवेस्ट बैंक में ब्रिटेन में तत्कालीन पाकिस्तान उच्चायुक्त हबीब रहमतुल्ला के खाते में जमा करा दिए. भारत-पाक विभाजन होने के बाद पाकिस्तान की नीयत बिगड़ी. नए-नए बने पाकिस्तान की नजरें निजाम के पैसे पर पड़ी. बाद में वह इस पैसे पर अपना हक जताने लगा. हुआ ये कि 1948 में लंदन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त निजाम के उस पैसे को निकाल नहीं पाए.
आखिरी निजाम ने पैसे को वापस मांगा तो पाकिस्तान ने साफ इंकार कर दिया. मामला ब्रिटेन की अदालत में पहुंचा. केस में दो पक्ष रहे पाकिस्तान उच्चायुक्त बनाम 7 अन्य. अन्य पक्षों में निजाम के वंशज, भारत सरकार और भारत के राष्ट्रपति भी शामिल थे. 70 वर्ष बाद लंदन की रायल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है कि इस धन पर निजाम के उत्तराधिकारियों और भारत का हक है. पाकिस्तान की सारी दलीलें विफल हो गईं. भूखा-नंगा देश एक बार फिर हाथ मलता रह गया. लंदन के बैंक में जमा धन अब बढ़कर 3 करोड़ 50 लाख पाउंड हो चुका है.
हैदराबाद कोई छोटी-मोटी रियासत नहीं थी. सन 1941 की जनगणना के मुताबिक उस समय उसकी जनसंख्या एक करोड़ 60 लाख से अधिक थी. रियासत की आय उस समय के हिसाब से 9 करोड़ रुपए थी जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ के कई देशों से भी अधिक थी.
हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान का शुक्रवार ता : 24 फरवरी 1967 के दिन मृत्यु हो गई. अपनी वसीयत में, उन्होंने मस्जिद-ए जूडी में दफन होने के लिए कहा, जहां उनकी मां को दफनाया गया था, जो राजा कोठी पैलेस के सामने थी. सरकार ने 25 फरवरी 1967 को राजकीय शोक घोषित किया, जिस दिन उन्हें दफनाया गया था. राज्य सरकार के कार्यालय सम्मान के रूप में बंद रहे, जबकि पूरे राज्य में सभी सरकारी भवनों पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा.
ब्रिटिश न्यूजपेपर “द इंडिपेंडेन्ट” की एक खबर केमुताबिक हैदराबाद के निजाम की कुल संपत्ति 236 अरब डॉलर आंकी गई थी, जबकि आज मुकेश अंबानी की संपत्ति 29.9 अरब डॉलर ही है.
वर्तमान में निज़ाम खानदान के लोग कैसे रहते है. उनकी क्या है हालत है :
हाल ही में निजाम के खानदान के सदस्यों ने हैदराबाद के पुराने शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने परिवार के वंशजों में से एक मीर रौनक यार खान को अपना निजाम बनाया. इस कार्यक्रम में शान-ओ-शौकत का पूरा ख्याल रखा गया.
हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान के बारे में एक समय ऐसा बताया जाता था कि वो 185 कैरेट के हीरे का इस्तेमाल पेपरवेट के रूप में किया करते थे. 1937 में, वो अरबों डॉलर की अनुमानित संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे और उन्हें इसके लिए टाइम पत्रिका के कवर पेज पर जगह मिली थी. हालांकि, आज उनका परिवार गरीबी में जीवन काटने को मजबूर है.
आज, निजाम के खानदान के लोगों में एक भी अमीर उत्तराधिकारी नहीं है. हैदराबाद में सभी छोटे-मोटे काम करते हैं और छोटे व्यवसाय चलाते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरी गिनती के अनुसार वर्तमान इस खानदान के करीब 4,500 साहेबजादे हैं. ये सभी मजलिस-ए-साहेबजादगान सोसाइटी के तहत एक छत के नीचे रहते हैं. हालांकि, उनका ये ट्रस्ट लगभग दिवालिया हो चुका है. दुनिया के सबसे अमीर शख्स के इस ट्रस्ट से उनके खानदान के लोगों को अब महीने में 4 रुपये से लेकर 150 रुपये के बीच पैसा मिलता है.
इसी खानदान के मीर साजिद अली खान भी वहां मौजूद थे जो पेशे से कार मैकेनिक रहे हैं. 15 साल पहले जब वो एक कारको ठीक कर रहे थे तभी उनके शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. 40 वर्षीय साजिद अली खान के तीन बच्चे हैं और छोटे-मोटे काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. वे कहते हैं, मुझे ट्रस्ट से हर महीने 18 रुपये वेतन के तौर पर मिलते हैं. कोई उस पैसे पर कैसे रह सकता है?
निजाम के खानदान के 60 साल के मीर सईद-उद-दीन की हालत ठीक है उन्हें हर महीने मिलने वाले 133 रुपये के भत्ते की जरूरत नहीं है क्योंकि उनका बेटा साऊदी में काम करता है.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक फातिमा बरकत-उन-निसा पहले एक स्कूल टीचर के रूप में काम करती थीं लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण उन्होंने पढ़ाना बंद कर दिया. वह कहती हैं कि 20 से 25 रुपये मासिक भत्ते के लिए 500 रुपये का टैक्सी का भाड़ा लगाना संभव नहीं है. वो कहती हैं कि वो साल में सिर्फ एक बार दफ्तर जाती हैं ये बताने के लिए कि वो जिंदा हैं