भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में वाक् एवं “अभिव्यक्ति” की स्वतंत्रता का प्रावधान है. भारतीय संविधान सन 1949 का अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकारों की गारंटी प्रदान करता है.
जो इस प्रकार हैं :
(1) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार.
(2) शांतिपूर्वक सम्मेलन में भाग लेने की स्वतंत्रता का अधिकार.
(3) संगम या संघ बनाने का अधिकार.
(4) भारत के संपूर्ण क्षेत्र में अबाध संचरण की स्वतंत्रता का अधिकार.
(5) भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास का अधिकार.
(6) व्यवसाय आदि की स्वतंत्रता का अधिकार.
हमारे भारतीय संविधान, 1949 का अनुच्छेद 19(2):
खंड (1) का उपखंड (a) किसी भी मौजूदा कानून के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा या राज्य को कोई भी कानून बनाने से नहीं रोकेगा, हालाँकि उक्त उपखंड प्रदत्त अधिकार के प्रयोग पर भारत की संप्रभुता और अखंडता के संदर्भ में उचित प्रतिबंध लगाता है जैसे- राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, या न्यायालय की अवमानना, मानहानि या हिंसा के लिये उकसाने के संबंध में.
भारत की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता पर खतरेकी स्थिति में वैदेशिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव की स्थिति में, न्यायालय की अवमानना की स्थिति में इस अधिकार को बाधित किया जा सकता है.
भारत के सभी नागरिकों को विचार करने, भाषण देने और अपने व अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता प्राप्त है. प्रेस/पत्रकारिता भी विचारों के प्रचार का एक साधन ही है इसलिये संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित है.
भाषण और बातचीत में अंतर :
भाषणों में ऐसे विचार शामिल होते हैं जो तार्किक रूप से व्यवस्थित और संरचित होते हैं, जबकि बातचीत विषयों के इर्द-गिर्द घूम सकती है. भाषण औपचारिक भाषा का उपयोग करते हैं, जबकि बातचीत में गाली-गलौज, अपवित्रता या खराब व्याकरण का उपयोग हो सकता है.
भाषण का शाब्दिक अर्थ होता है व्याख्यान/ अभिभाषण /कथन /बोली हुई बात. भाषण को अंग्रेजी में स्पीच कहते हैं जिसका अर्थ होता है अपनी बात को व्यक्त करना.
सार्वजनिक सभा में दिया गया वक्तव्य को “भाषण” कहा जाता है. लेकिन किसी खास मकसद से जुटे लोगों को संबोधित करना ” अभिभाषण ” कहा जाता है. ( जैसे संसद के सत्र के दौरान राष्ट्रपति का वक्तव्य और विधान सभा में राज्यपाल का वक्तव्य ).
बातचीत दो या दो से अधिक लोगो के बीच होती है और इसमें सभी लोगों को बोलने का बराबर अधिकार होता है , जबकि भाषण मैं सिर्फ एक ही आदमी को बोलने की मान्यता रहती है बाकी लोग उसे सिर्फ सुन सकते है.
(1) बातचीत का उदाहरण : वहा चार लोग बात कर रहे है.
(2) भाषण का उदाहरण : नेता जी ने आधे घण्टे तक भाषण दिया.
संस्कृत में “भषण” भौंकने को कहते हैं. यानि “भाषण” से “अनुशासन” का डंडा T हटते ही “भाषण” ‘भषण’ में बदल जाता है. इसीलिए तो नेताओको हमेशा अनुशासित भाषण देना चाहिए.
बोलना, चिल्लाना, रोना और गीत गाना भी अभिव्यक्ति का ही प्रकार है.
स्वर, पद, लय और ताल से युक्त जो गान होता है वह गीत कहलाता है. गीत, सहित्य की एक लोकप्रिय विद्या है. इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं. प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है. गीत को सिर्फ गाया जाता है, सुनाया नहीं जाता क्योंकि यह गेय ( गानेकी ) पद्धति में ही लिखा जाता है.
अभिव्यक्ति का एक और माध्यम बॉडी लैंग्वेज है. जिसमे व्यक्ति ना तो कुछ बोलता है, ना तो कुछ कहता है, मगर अपने चेहरे से ऐसा हावभाव करता है जिससे सामने वाला व्यक्ति उसकी अभिव्यक्ति को समझ जाता है.
ये एक मूक भाषा है जो व्यक्ति के सुख, दुःख, डर, दर्द जैसी अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करती है.