भूखे की भूख मिटाने वाली ” रोटी.”

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हम लोग रोज रोटी खाते हैं, पर कभी आपने सोचा हैं? रोटीका इतिहास क्या हैं ? इसकी शुरआत कहासे हुई थी.

कुछ लोगों को मानना है कि रोटी का आविष्कार 5000 साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यता से हुआ था. वहीं कुछ लोग यह मानते हैं कि रोटी का प्रथम आविष्कार पूर्वी अफ्रीका में हुआ था, बाद मे इसे भारत लाया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्डन में लगभग साढ़े 14 हजार साल पहले रोटी पकाई गई थी.

रोटी विविध आटे की बनती हैं. गेहू, मक्का, ज्वार, चना, बाजरा,जौ, मटर , रागी, और चावल के आटे की रोटी बनाई जाती हैं. रोटी बनाने के लिए सर्व प्रथम गेहूं, जौ, बाजरा, मडुवा, ज्वार,के अनाज का उपयोग किया जाता है.

रोटी भारतीय उपमहाद्वीप में सर्व सामान्य खाने में पका कर खाये जाने वाली चपटी खाद्य सामग्री है. यह आटे एवं पानी के मिश्रण को गूंध कर उससे बनी लोई को बेलकर एवं आँच पर सेंक कर बनाई जाती है. रोटी बनाने के लिए सामान्य रूप से गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है पर देश के विभिन्न भागों में स्थानीय अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा आदि भी रोटी बनाने के लिए प्रयुक्त होता है.

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भूखे की भूख मिटाने वाली " रोटी." 3

भारत के विभिन्न भागों में रोटी के लिए विभिन्न हिंदी नाम प्रचलित हैं, जिनमें फुल्का, चपाती, रोटली, भाखरी, आदि प्रमुख हैं. रोटी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘रोटिका’ से हुई है. रोटी शब्द के कई उल्लेख 15 वीं शताब्दी में जन्मे हिन्दू धर्म के महान भक्ति परम्परा के सन्त भक्त सूरदास जी द्वारा रचित ग्रन्थ सूरसागर में मिलते हैं. उदाहरण के लिये प्रस्तुत एक पद: ….

सरस कनिक बेसन मिलै,

रुचि रोटी पोई।।

प्रेम सहित परुसन लगी,

हलधर की माता।

– भक्त सूरदास जी.

रोटी के प्रकार :

चूल्हे की आँच से रोटी बनाने की विधि :

नान, परांठा, मिस्सी रोटी, बयारु रोटी,

लच्छा परांठा, मीठी रोटी, तंदूरी रोटी,

मण्डे (रूमाल जैसी रोटी), डबल रोटी (ब्रेड), सोगरा (बाजरा की रोटी).

दुनिया की पहली रोटी कब पकाई गई, इसे लेकर मत मतान्तर हैं. लेकिन विशेषज्ञयों द्वारा की गई शोध से पता चला हैं कि उत्तर-पूर्वी जॉर्डन में शोध कर्ता ओको एक ऐसी जगह मिली है, जिसे लेकर ये कहा जा रहा है कि वहां करीब साढ़े 14 हजार साल पहले फ्लैट ब्रेड यानी रोटी पकाई गई थी.

दावा किया जा रहा है कि इस जगह पर पत्थर के बने एक चूल्हे में रोटी पकाई गई थी. द हिंदू की खबर के मुताबिक शोधार्थियों को मौके से वह पत्थर का चूल्हा मिला है. इस अवशेष के मुताबिक लोगों ने कृषि विकास से सदियों पहले रोटियां पकाकर खाना शुरू कर दी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक 4000 साल पहले इंसानों ने खेती करना शुरू किया, उससे काफी समय पहले पूर्वी भूमध्य सागर में शिकारियों ने रोटियां पकानी शुरू कर दी थीं. कहा जा रहा है कि उस समय रोटी को बनाने में जंगली अनाजों का इस्तेमाल किया जाता था. यह जौ, इंकॉर्न, जई और पानी में उगने वाले एक खास किस्म के पौधे ट्यूबर्स से बनाई जाती होगी.

रोटी की असली उत्पत्ति का कोई एक इतिहास नहीं है. ये एक रहस्य है.

प्राचीन ग्रंथों, आत्मकथाओं, अदालती अभिलेखों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में कई संदर्भ और उदाहरण आधुनिक समय की रोटी जैसी चपटी रोटी का उल्लेख करते हैं. तो रोटी की उत्पत्ति कहाँ से हुई ?

रोटी की उत्पत्ति का सबसे प्रलेखित और ज्ञात बिंदु लगभग 5000 साल पहले हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता है. सिंधु घाटी सभ्यता एक कृषि प्रधान समाज था, जिसका अर्थ है कि उनके निर्वाह का मुख्य स्रोत कृषि और कृषि उत्पादों और वस्तुओं का व्यापार था. प्राचीन हड़प्पावासियों द्वारा गेहूँ, बाजरा, सब्जियाँ और अन्य बाजरा की खेती के प्रमाण मिले हैं, और इसलिए गेहूँ आधारित चपटी रोटी के प्रमाण मिले हैं.

रोटी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में से एक है, दुनिया भर में कम से कम 100 से भी अधिक अलग अलग तरह की ब्रेड (रोटी) उपलब्ध हैं. जिनमें से कुछ कई आधुनिक समाजोंसे पहलेकी हो सकती हैं. ज़्यादातर ब्रेड को उप-प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि क्विक ब्रेड, फ्लैटब्रेड और यीस्ट ब्रेड.

रोटी को इंग्लिश में ब्रेड कहा जाता है. अगर आप भारत में बनने वाली रोटी को बाहर कहीं विदेश में ऑर्डर करेंगे तो उसके लिए आपको इंडियन चपाती ब्रेड शब्द का इस्तेमाल करना होगा.

भारत में रोटी गेहूं से बनाई जाती है. उसमें मैदा का इस्तेमाल नहीं किया जाता. लेकिन विदेशों में जो रोटियां बनती हैं उनमें मैदा का इस्तेमाल होता है. बंगाली भाषा में रोटी को रूटी कहा जाता है. विदेशों में भी इसे कई और जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. पूर्वी अफ्रीका में रोटी को चापो के नाम से जाता है. स्पैनिश में रोटी को मोलेटे के नामसे जाना जाता है. परंतु विदेशों में बनने वाली रोटियां भारतीय रोटी से काफी अलग होती हैं.

“गेहूं का आटा एकमात्र ऐसा आटा है जिसमें ग्लूटेन की मात्रा अधिक होती है, जो रोटी पकाने में संरचना और बनावट के लिए महत्वपूर्ण है.”

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