हम लोग अक्सर हाई फाइ मूवीज या स्टोरी में ‘टाइम मशीन’ जैसी चीज के बारे में देखते और सुनते आ रहे हैं…इस मशीन की मदद से इंसान पास्ट और फ्यूचर में चला जाता है और अपनी गलती सुधारता है. हालांकि ऐसी चीज आज तक फिक्शन ही रही है. लेकिन सन 1960 में वेनिस के एक इटैलियन पादरी पेलेग्रिनो एर्नेटी ने ऐसी ही टाइम मशीन बनाने का दावा किया था. जिसे क्रोनोवाइजर नाम दिया था.
इस बात का खुलासा 2002 में एर्नेटी के दोस्त फादर फ्रांसुआ ब्रूनो ने अपनी बुक ” द वेटिकन्स न्यू मिस्ट्री ” में किया था. उन्होंने बताया कि एर्नेटी ने नोबल प्राइज विनर एनरिको फर्मी और वॉर्नहर वोन ब्राउन के साथ दुनिया के 12 वर्ल्ड फेमस साइंटिस्ट्स के साथ मिलकर क्रोनोवाइजर बनाया था.
हॉलीवुड की फिल्मों में अक्सर ऐसी मशीनें देखने को मिलती हैं, जिनमें एक बूढ़ा आदमी जाता है और फिर जवान हो कर वापिस निकलता है.
हॉलीवुड के इस आइडिया को एक व्यक्ति ने कानपुर में लोगों को यह कह के बेच दिया की उसके पास इजरायल की एक मशीन है और वह उसके जरिए बूढ़े लोगों को जवान बना देगा.
एक रिपोर्ट्स के अनुसार कानपुर के इस ठग ने ये बोल कर लोगों से 35 करोड़ की ठगी कर ली कि उसके पास एक टाइम मशीन है जो लोगों को जवान कर देती है. ये कानपुर में खासतौर से बुजुर्गों को अपना निशाना बनाता था और उनसे कहता था कि वह उन्हें एक मशीन के जरिए जवान कर देगा. कुछ बुजुर्ग उसके झांसे में आ गए और उन्होंने इसके लिए उसे पैसे भी दे दिए.
लेकिन, जब बुजुर्गों को पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है तो उन्होंने पुलिस का दरवाजा खटखटाया.
क्या होती है टाइम मशीन :
टाइम मशीन को लेकर सबसे पहले बात लोकप्रिय उपन्यासकार हर्बर्ट जॉर्ज वेल्स (H.G. Wells) ने की थी. उनके द्वारा लिखी एक काव्यात्मक कहानी “द टाइम मशीन” में इसका जिक्र मिलता है, जो सन 1895 में प्रकाशित हुई थी.
आपको बता दें, हर्बर्ट जॉर्ज वेल्स को साइंस फिक्शन साहित्य का पितामह कहा जाता है. इस कहानी में एक किरदार होता है जिसे ‘टाइम ट्रैवेलर’ कहा जाता है. यह किरदार एक मशीन विकसित करता है जो उसे अलग-अलग टाइमजोन में पहुंचा देती है. बाद में इस कहानी से प्रेरित होकर कई हॉलीवुड फिल्में भी बनीं, जिसमें टाइम मशीन का कॉन्सेप्ट दिखाया गया.
टाइम ट्रैवेलिंग पर विज्ञान का कहना :
ऐसा नहीं है कि टाइम ट्रैवेलिंग पर सिर्फ साहित्यकारों ने बात की. विज्ञान भी इसपर अपना मत रखता है. आपको बता दें, अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत यह बताता है कि समय और स्थान एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और जब कोई वस्तु प्रकाश की गति के करीब यात्रा करती है, तो उसके लिए समय धीमा हो जाता है. यानी इस सिद्धांत के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रकाश की गति से यात्रा करे, तो वह भविष्य में पहुंच सकता है, हालांकि, किसी मशीन के द्वारा ऐसा किया जा सके, अभी तक ये पॉसिबल नहीं हो पाया है.
टाइम मशीन ( सन 1895) वेल्स की पहली पूर्ण लंबाई वाली काल्पनिक रचना थी,. टाइम ट्रैवलर समय के माध्यम से यात्रा करने और वर्ष 802,701 तक की यात्रा करने के लिए एक उपकरण का आविष्कार करता है.
हिंदू पौराणिक कथाओं में, विष्णु पुराण में राजा रैवत काकुद्मी की कहानी का उल्लेख है , जो निर्माता ब्रह्मा से मिलने के लिए स्वर्ग की यात्रा करता है और जब वह पृथ्वी पर लौटता है तो यह जानकर आश्चर्यचकित होता है कि कई युग बीत चुके हैं.
ये भरकम बजट में ऐसी मशीन बनाई जा रही है, जिसे £90 मिलियन यानि 8 अरब 18 करोड़ 6 लाख 91 हज़ार 300 रुपये में तैयार किया जा सकता है.
टाइम मशीन को हिन्दी में कालयंत्र या टाइम मशीन कहते है जिसमे बैठकर हम भुतकाल या भविषयकाल मे जा सकते हैं. ( समाप्त )